Magazine - Year 1943 - Version 2
Media: TEXT
Language: HINDI
Language: HINDI
गरीबों के हक की छाती पर
Listen online
View page note
Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
अरब देश अच्छे घोड़ों के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ नबोर नामक व्यक्ति के पास बहुत बढ़िया घोड़ा था, ऐसा घोड़ा उस समय दूर दूर तक दिखाई न पड़ता था।
नबोर के नगर में उसका एक दूसरा प्रतिद्वन्द्वी दहेर नामक अमीर रहता था। उसकी बड़ी इच्छा थी कि किसी प्रकार नबोर का घोड़ा मेरे हाथ लग जाये। दहेर ने उस घोड़े की काफी कीमत लगा दी और नबोर को कई लालच दिये तथा धमकाया भी पर नबोर किसी प्रकार अपना घोड़ा देने के लिए रजामन्द न हुआ।
जब सारे उपाय निष्फल हो गये तो दहेर ने एक चाल चली। वह बीमार परदेशी का रूप बनाकर उस रास्ते के किनारे पड़ रहा जहाँ से अक्सर मुँह अन्धेरे नबोर निकला करता था। दहेर ने सोचा नबोर अत्यन्त दयालु है उसे इसी प्रकार छला जा सकता है।
नित्य की भाँति नबोर मुँह अन्धेरे जब उस रास्ते से निकला तो दहेर ने बीमार का जैसा बड़ा दर्द मन्द स्वर बनाकर पुकारा- “भाई घुड़सवार, मेहरबानी करके मुझे शहर तक पहुँचा दो, मैं परदेशी हूँ, बीमार हूँ, कमजोरी के मारे मुझसे उठा भी नहीं जाता, तुम मेरी मदद न करोगे तो यही पड़ा पड़ा मर जाऊँगा।”
नबोर का दयालु हृदय पिघल गया। वह घोड़े से उतरा और बीमार को उठाकर अपने घोड़े पर बिठा दिया और खुद पैदल चलने लगा। कुछ ही कदम चले थे कि उस छल वेशधारी दहेर ने घोड़े को एड लगाई और लगाम को झटका देकर आगे बढ़ा दिया। अब नबोर की आँखें खुलीं। उसने देखा कि दहेर ने मुझे धोखा दिया और इस प्रकार जाल बनाकर मेरा घोड़ा छीन लिया।
दहेर घोड़े को बढ़ाने लगा। नबोर ने कहा- दहेर, तुम घोड़ा ले चुके, अब इसे छीन सकना मेरे लिए कठिन है। पर जरा ठहरो, मेरी एक बात सुनते जाओ। दहेर ने कुछ दूर पर घोड़ा खड़ा कर लिया और कहा - जो कहना है जल्दी कहो। नबोर ने कहा- “देखो, किसी से इस बात का जिक्र न करना कि तुमने किस छल से मेरा घोड़ा लिया। क्योंकि यदि कोई आदमी सचमुच बीमार या पीड़ित हुआ तो लोग उसे धोखेबाज समझकर उसकी सहायता न करेंगे। इससे बेचारे दर्दमन्दों का हक छिन जायेगा और उन्हें बहुत दुख उठाना पड़ा करेगा।”
दहेर की अन्तरात्मा रो पड़ी। उसने कहा- गरीबों का हक छीनकर घोड़ा लेना मुझे मंजूर नहीं है। वह जीन पर से उतर पड़ा और घोड़े की लगाम नबोर के हाथ में देते हुये कहा- भाई आज से आपको गुरु मानता हूँ, आपने मेरी आँखें खोल दी, मैं समझ गया कि दूसरे की वस्तु लेना बुरा है, पर गरीबों के हक की छाती पर खड़ा होकर कुछ लेना और भी बुरा है मैं भविष्य में ऐसा न करूंगा।
नबोर ने दहेर को छाती से लगा लिया और अपना घोड़ा उसे पुरस्कार में दे दिया।