Magazine - Year 1945 - Version 2
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Language: HINDI
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प्रार्थना से सिद्धि
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अनेक बार ऐसा देखा गया है कि सच्चे हृदय से भगवान की प्रार्थना करने से, अपना इच्छित मनोरथ पूरा कर देने की प्रभु से याचना करने से, वह कार्य पूरा हो जाता है। इस प्रार्थना से सिद्धि मिलने का एक आध्यात्मिक रहस्य है- वह यह है कि प्रार्थना करने वाले को यह विश्वास रहता है कि 1. परमात्मा ऐसा शक्तिशाली है कि वह चाहे तो आसानी से मेरी इच्छा को पूरा कर सकता है। 2. परमात्मा दयालु है। उसके स्वभाव को देखते हुए यह आशा की जा सकती है कि मेरे कार्य को पूरा कर देगा। 3. मेरी माँग उचित, आवश्यक और न्याय संगत है इसलिए परमात्मा की कृपा मुझे प्राप्त होगी। 4. अपने अन्तःकरण का श्रेष्ठतम भाग, श्रद्धा, विश्वास, परमात्मा पर आरोपण करते हुए सच्चे हृदय से प्रार्थना कर रहा हूँ। इसलिए मेरी पुकार सुनी जायेगी। इन चारों तथ्यों के मिलने से याचक की आकाँक्षा प्रबल हो उठती है और उसके पूरे होने का बहुत हद तक उसे विश्वास हो जाता है और सूर्य की किरणों का प्रकाश उसके अन्तःकरण में बन जाती है।
ऐसी मानसिक स्थिति का होना सफलता की एक पूर्व भूमिका है। तरीका चाहे कोई भी हो पर मनुष्य यदि अपनी मानसिक स्थिति ऐसी बना ले कि मेरा मनोरथ सफल होने की पूरी आशा, पूरी संभावना है तो अधिकाँश में उसके मनोरथ पूरे हो जाते हैं। क्योंकि आशा और संभावनामयी मनोदशा के कारण शारीरिक और मानसिक शक्तियाँ असाधारण रूप से जाग उठती है और उत्तमोत्तम उपाय करने पड़ते हैं, मार्ग निकलते हैं एवं सहयोग प्राप्त होते हैं जिनके कारण सफलता का मार्ग बहुत आसान बनता जाता है और प्रायः वह प्राप्त भी हो जाती है।