Magazine - Year 1969 - Version 2
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Language: HINDI
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स्वावलम्बन एवं व्यक्ति निर्माण की शिक्षा
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आप अपने बालकों को उसका लाभ उठाने दीजिये
गायत्री तपोभूमि में युग-निर्माण विद्यालय की स्थापना दो वर्ष इसलिये की गई थी कि अपने परिवार के वयस्क बच्चे गुण, कर्म, स्वभाव की दृष्टि से अपने व्यक्तित्व का उत्कृष्ट विकास कर सकने में समर्थ हो साथ ही आजीविका की दृष्टि से स्वावलम्बी भी बनें। कहते हुए हर्ष होता है कि अपने ढंग के अनोखे इस विद्यालय ने इस थोड़ी अवधि में आशाजनक सफलता प्राप्त की है। जो छात्र अब तक यहाँ का प्रशिक्षण प्राप्त करके गये हैं, उन्होंने अपनी गतिविधियाँ नये सिरे से इस उत्तमता के आधार पर विनिर्मित की है कि उनके परिवार, पड़ोस के व्यक्ति उस लड़के को आश्चर्यजनक ढंग से परिवर्तित हुआ अनुभव करते है। इस सफलता को देखते हुए अब अभिभावकों को यह परामर्श दिया जा सकता है कि वे अपने वयस्क बालकों की एक वर्ष की पढ़ाई रोक कर भी इस शिक्षा का लाभ उठा सकते हैं।
अभी हम स्वयं दो वर्षों का प्रशिक्षण अपनी देख-रेख में और चला सकेंगे, विद्यालय तो पीछे भी चलता रहेगा पर हमारी स्वयं की देख रेख उतनी स्पष्ट न रहेगी, इसलिये, जो शिक्षार्थी इधर आने ही वाले हो वे इन दो वर्षों का विशेष लाभ उठाने के लिये शीघ्र ही चेत जाएँ तो अच्छा है।
शिक्षा का मूल उद्देश्य है, (1) व्यक्तित्व का समग्र विकास, (2) आर्थिक स्वावलम्बन, खेद है कि आज की शिक्षा इन दोनों ही प्रयोजनों को पूरा नहीं कर रही है। अस्तु शिक्षा की अभिनव प्रणाली के रूप में इस विद्यालय की स्थापना की गई। प्रयोग स्थिति के कारण पाठ्य-क्रम अभी एक वर्ष का ही रखा गया है पर वह भी आशातीत सफलता प्राप्त कर रहा है।
छात्रों को अब नौकरियों की आशा छोड़कर स्वावलम्बी उत्पादन एवं व्यवसाय पर ध्यान देना होगा। जापान ने अपनी राष्ट्रीय समृद्धि और व्यक्तिगत आजीविका की समस्या, बिजली से चलने वाले सस्ते गृह-उद्योग घर-घर लगाकर हल की है। हमें भी यही मार्ग अपनाना होगा, तभी बेकारी की भारी व्याधा से छुटकारा मिलेगा अपना युग-निर्माण विद्यालय इस दृष्टि से एक व्यवहारिक मार्ग दर्शन प्रस्तुत करता है।
दैनिक प्रशिक्षण में आधा भाग व्यक्तित्व के विकास और शारीरिक, मानसिक, पारिवारिक, आर्थिक, सामाजिक और साँस्कृतिक गुत्थियों का परिस्थिति के अनुसार हल ढूँढ़ सकने की क्षमता उत्पन्न करने के प्रशिक्षण में लगाया जाता है और शेष आधा भाग उन गृह-उद्योगों की शिक्षा में लगाया जाता है, जो मामूली पूँजी से, बिजली की शक्ति से चलते हैं और काम करने वाले को सन्तोषजनक एवं सम्मानपूर्ण आजीविका देते हैं। आगे तो अन्य अनेक उद्योग और बढ़ाये जाने वाले हैं पर अभी केवल दस उद्योग हाथ में लिये गये हैं।
(1) विद्युत शक्ति का सामान्य ज्ञान, बिजली का मकानों में फिटिंग, बिजली की छोटी मशीनों, पंखा, हीटर, रेफ्रिजरेटर आदि की मरम्मत।
(2) रेडियो और ट्रांजिस्टर का नया निर्माण और पुरानों की खराबी सुधारना।
(3) प्लास्टिक उद्योग-फाउन्टेन पेन बाल पेन्सिलें एवं प्लास्टिक की अन्य वस्तुएँ बनाना।
(4) बिजली की मशीनों से ऊनी, सूती, रेशमी कपड़ों की तुरन्त धुलाई (ड्राई क्लीनिंग)।
(5) नहाने तथा धोने के साबुन, फिनायल, तरह-तरह के रंग, पेंट वानिसें, स्याहियाँ, सुगन्धित तेल, अनेक सौंदर्य प्रसाधन-क्रीम पाउडर, वैसलीन, लाली, बिन्दी आदि का बनाना।
(6) चश्मे के शीशे विभिन्न नम्बरों तथा डिजाइनों के तैयार करना।
(7) छपाई प्रेस की, प्रिंटिंग, कम्पोजिंग, बाइंडिंग, प्रुफ रीडिंग, व्यवस्था आदि साँगोपाँग शिक्षा।
(8) रबड़ की मुहरें बनाना।
(9) कई प्रकार के आकर्षक एवं सस्ते खिलौने बनाना।
(10) मोजे, बनियान, स्वेटर, गले बन्द आदि बुनना।
इसके अतिरिक्त चारपाई बुनना, लालटेन, स्टोव आदि की मरम्मत, मकान तथा फर्नीचर की टूट-फूट सुधारना बर्तनों पर कलई करना, कपड़े धोना, रंगना तथा सीना, पाक-विद्या रोगी परिचर्या, सामान्य चिकित्सा, गृह-व्यवस्था की आवश्यक शिक्षा की विशेष व्यवस्था रखी गई है।
लाठी, तलवार, छुरा, भाला, धनुष, बन्दूक आदि शस्त्रों का चलाना- फौजी कवायद विभिन्न प्रकार के व्यायाम तथा खेल-कूद के मनोरंजक प्रशिक्षणों का दैनिक कार्यक्रम रहता है। समाज-सेवा एवं नव-निर्माण के विभिन्न प्रकार भी साथ ही सिखाये जाते हैं।
शिक्षार्थी की आयु कम से कम 15 वर्ष और शिक्षा आठवीं कक्षा तक होनी चाहिए। व्यसनी, अनुशासन तोड़ने वाले, उद्दण्ड एवं छूत रोगों से ग्रस्त छात्र नहीं लिये जाते। शिक्षा सर्वथा निःशुल्क है। भोजन अपना स्वयं बना सकते हैं। छात्रावास की सुन्दर व्यवस्था है, प्रवेश 1 जुलाई से आरम्भ होगा। स्थान केवल 40 छात्रों का है, प्रवेश लेने वालों को विद्यालय की नियमावली मंगाकर उसमें लगे फार्म आवेदन शीघ्र ही भेजने चाहिये और अप्रैल के अन्त तक स्वीकृति प्राप्त कर लेनी चाहिये। निर्धारित संख्या पूरी हो जाने पर शेष को अगले वर्ष के लिए प्रतीक्षा करनी पड़ती है, इसलिए जिन्हें प्रवेश लेना हो समय रहते अपना स्थान निश्चित करा लें।