Magazine - Year 1971 - Version 2
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Language: HINDI
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(1) “अखण्ड-ज्योति” का चन्दा, गायत्री और आर्ष साहित्य का पैसा मनीआर्डर, चेक, ड्राफ्ट, “अखण्ड-ज्योति संस्थान” के नाम से भेजना चाहिए।
(2) अन्य सभी साहित्य, ज्ञान घट (गुल्लक), धकेल युग-निर्माण योजना हिन्दी, अंग्रेजी, गुजराती, उड़िया और मराठी युग- निर्माण योजना का चन्दा मनीआर्डर, चेक अथवा ड्राफ्ट युग-निर्माण योजना के नाम से भेजें जायें। इनसे सम्बन्धित पत्र व्यवहार भी इसी पते से करना चाहिए।
पत्र व्यवहार किसी के व्यक्तित्व नाम से न करना चाहिये अन्यथा उसमें अनावश्यक विलम्ब होता है और संस्थान पर भी कोई उत्तरदायित्व नहीं रहता।
(3) यज्ञ, प्रकाशन, विद्यालय के लिए दान, अनुष्ठान का पैसा, धर्मघट मासिक दान यह सब “गायत्री मन्दिर ट्रस्ट” के नाम से भेजने में सुविधा रहती है।
(4) मनीआर्डर, ड्राफ्ट या चेक यहाँ के किसी कार्यकर्ता के व्यक्तित्व नाम से नहीं भेजना चाहिए। व्यक्तिगत नामों से भेजने से वे खाते में जमा नहीं हो पाते साथ ही-अनावश्यक विलम्ब होता है व व्यर्थ की उलझनें बढ़ती है। जहाँ तक सम्भव हो ड्राफ्ट भेजे जायें, चेक में असुविधा होती है।
(5) चन्दा भेजने के साथ ग्राहकों के नाम पतों की लिस्ट भेजी जाती है उसके साथ व्यक्तिगत बातें नहीं लिखनी चाहिए। इसी प्रकार शाखाओं के समाचार भी अलग पृष्ठ पर लिखें जायें। एक लिफाफे में कई तरह के पत्र तो हो सकते हैं पर उन्हें अलग-अलग कागज पर लिखने से उन्हें निबटाने में सुविधा रहती है।
(6) पत्रों की लिखावट साफ हो, विशेषकर ग्राहकों के नाम पते पूरे और साफ लिखे जाने चाहिये। पता साफ न होने और गलत होने से पत्रिकायें भटकती और शिकायतें बढ़ती है।
(7) पत्रिकायें न मिलने की शिकायत अखण्ड-ज्योति के लिये 15 तारीख के बाद और युग-निर्माण योजना के लिये 30 तारीख के बाद करनी चाहिये। साथ में ग्राहक नम्बर लिखना न भूलें कानूनी प्रतिबन्ध के कारण अब शिकायत पर भेजे जाने वाली पत्रिकायें 15 दिन बाद यहाँ से भेजी जाती है अतएव दुबारा पत्रिका के लिए 15 दिन की प्रतीक्षा करनी चाहिए।
यहाँ पर मनीआर्डर चेक से आने से लगभग 1 मास तक लग जाता है अतः उपयुक्त समय तक पत्रिका की प्रतीक्षा करें ही पत्र व्यवहार करना चाहिए।
(8) चन्दा भेजा गया हो और पत्रिका न मिल रही हो तब उसकी शिकायत के साथ अपना पिछला ग्राहक नम्बर नये सदस्य होने की स्थिति में “नया ग्राहक” मनी आर्डर भेजने का विवरण यदि मनीआर्डर किसी ओर के द्वारा भेजा गया हो तो उसका पूरा हवाला भी देना आवश्यक होता है।
(9) व्यक्तिगत दुःख-कष्ट और साधनायें सम्बन्धी परामर्श वाले पत्र माताजी के नाम निम्न पते पर भेजे जाने चाहिए।
माता भगवती देवी शर्मा
शान्ति कुंज (वेदमाता गायत्री ट्रस्ट)
प्रा. सप्त सरोवर (हरिद्वार) उ.प्र.