Magazine - Year 1973 - Version 2
Media: TEXT
Language: HINDI
Language: HINDI
लघु कहानी– सम्राट पाइरस
Listen online
View page note
Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
विजयश्री वरण करने की महत्त्वाकांक्षाएँ सम्राट पाइरस को नये आक्रमण करने के लिये व्याकुल कर रही थीं। सेनापतियों को बुलाकर उन्होंने नई योजना का विवरण बताया और नई तैयारी करने का आदेश दे दिया।
नये अभियान में इटली को रौंद डालने की– फिर मेसीडोनिया, ग्रीस और सीरिया को जीतने की, सुविस्तृत रूप-रेखा का समावेश किया गया था। सम्राट् पाइरस के विद्वान् मित्र साइनेस के कानों तक यह महत्त्वाकांक्षी योजना पहुँची, तो वह एक दिन टहलता-टहलता राजभवन पहुँचा। दो पुराने मित्र मिले, तो खूब आवभगत हुई। सहज स्वभाव में नये आक्रमण की तैयारी पर भी चर्चा हुई।
साइनेस ने गम्भीर होकर पूछा– "सम्राट् आखिर इस आक्रमण का उद्देश्य क्या है?" पाइरस ने बताया– "वह प्रजा को सुशासन प्रदान करना चाहता है।" इस पर साइनेस ने और भी अचम्भे में आकर कहा– "यह कार्य तो आप बिना आक्रमण किये अपनी प्रजा को सुशासन देते हुए आज ही आरम्भ कर सकते हैं और यदि कदम ठीक उठे हैं, तो उसका अनुकरण अन्यत्र भी हुआ देख सकते हैं। क्या सुशासन स्थापना का यह तरीका बुरा है?" सम्राट् सोच में पड़ गये। कई दिन वे इसी उधेड़ बुन में लगे रहे, अन्त में इस नतीजे पर पहुँचे। आक्रमण में लगने वाली शक्ति को प्रजा की सुख-समृद्धि पर खर्च किया जाय, ताकि शान्ति व सन्तोष की हवाएँ दूर-दूर तक फैलकर वैसा ही वातावरण उत्पन्न कर सके।
युद्ध की तैयारी रोककर साधनों को सृजन में लगाया, तो आतंक की जगह विकास का वैभव उमड़ने लगा। जानकारों ने कहा– "पाइरस का सोचना गलत था और साइनेस का सही।"