Magazine - Year 1982 - Version 2
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Language: HINDI
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सूर्य की सामर्थ्य समझें और लाभ उठाये
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सूर्य देखने में सुदूर आकाश में अवस्थिति एक ऐसा ग्रह पिण्ड दिखाई पड़ता है जिससे दिन के समय गर्मी और रोशनी प्राप्त होता है कि धरती का सारा वैभव हो-सूर्य का अनुदान है और उसी की अनुकम्पा से वनस्पतियों तथा प्राणियों का जीवन क्रम चल रहा है।
देखने में थाली के बराबर आकार का यह अपना सूर्य इतना विशाल और इतनी अनन्त शक्ति का भाण्डागार हो सकता है-इस पर सहसा विश्वास नहीं होता। फिर भी वास्तविकता तो अपने स्थान पर रहेगी ही। जिस सूर्य के सहारे हमारी धरती का सारा जीवन क्रम चल रहा है उसका स्वरूप समझते समझाते मस्तिष्क चकराने लगता है।
आकाश के विभिन्न पिण्डों में सूर्य का अपना अलग ही अस्तित्व है। चन्द्रमा तारे यदि मिट भी जाय तो हमारे लिए कोई विशेष खतरे की बात नहीं है। पर सूर्य का एक घण्टे के लिए भी अलग रहना प्राण संकट उत्पन्न कर सकता है। सूर्य हमारे लिए कितना उपयोगी है इसका हम अनुमान इस आधार पर लगा सकते हैं। वैज्ञानिकों का मत है कि यदि आज सूर्य मिट जाये तो तीन दिन के भीतर ही पृथ्वी के चर-अचर सभी जीवों का अस्तित्व समाप्त हो जायेगा। तथा सूर्य के समाप्त होने के दो दिन के भीतर ही वायुमण्डल की कुल जल वाष्प ठण्डी होकर पानी या बर्फ के यप में गिर पड़ेगी। उस बर्फ की भीषण सर्दी से कोई प्राणी बच न सकेगा।
सूर्य की प्रचण्ड शक्ति को प्राचीन काल में दैवी शक्ति मानकर अपनी उपासना का एक महत्वपूर्ण अंग समझा जाता था। सूर्य की हर गतिविधियों को एक दैवी व्यवस्था के रूप में ही प्रतिपादित किया गया। उसका नियत समय दिशा में ही उदय होना तथा अस्त होना, ऋतु परिवर्तन की निर्धारित प्रक्रिया आदि का रहस्य हजारों वर्षों तक लोगों के दिमाग में ठीक-ठीक नहीं बैठ पाया था। हमारे पूर्वज इन सारी प्रक्रियाओं को एक दैवी अनुग्रह मानते थे और यह प्रतिपादन देते थे कि नित्य एक नया सूर्य उदय होता है तथा सायं को वह समुद्र में समा जाता है। कालान्तर में ज्यों-ज्यों आदमी का बुद्धि विकास हुआ त्यों-त्यों यह तथ्य सामने आया कि सूर्य एक ग्रह है और उसकी क्षमता अन्य सभी ग्रहों से सर्वोपरि है। अब आधुनिक विज्ञान ने तो सूर्य के विषय में ढेरों जानकारियाँ हासिल कर लीं है।
वैज्ञानिकों ने पता लगाया हे कि पृथ्वी से सूर्य की दूरी सवा नौ करोड़ मील है। इस दूरी का अनुमान हम इस आधार पर लगा सकते हैं कि यदि एक आदमी बैठकर 200 अंक तक प्रति मिनट की रफ्तार से गिनती गिने तो सवा नौ करोड़ गिनने में उसे ग्यारह महीने लगेंगे। शर्त यह है कि वह अन्य कोई काम न करे, न सोए, न खाये, न पिये, दिन रात गिनता ही रहे।
एक अन्य वैज्ञानिक ने इस दूरी की कल्पना इस प्रकार की है कि यदि हमारे हाथ इतने लम्बे हो जाय कि हम सूर्य को छू सकें और सूर्य की गर्मी हमारी अंगुलियों पर लगते ही अपने स्नायु तन्तुओं को उसकी सूचना मस्तिष्क तक उसी रफ्तार से पहुँचानी पड़े जिस रफ्तार से वे पहुँचाते हैं तो इस कार्य में कुल 160 वर्ष का समय लगेगा। अर्थात् 160 वर्ष बाद अंगुली जलने की सूचना मस्तिष्क को मिल सकेगी। इसी प्रकार वैज्ञानिकों का कहना है कि यदि सूर्य पर कोई घोर शब्द हो और वह ध्वनि उसी वेग से चले जिस वेग से धरती पर चलती है तो उसे पृथ्वी तक आने में 14 वर्ष लगेंगे।
सूर्य का डील भी कुछ कम आश्चर्यजनक नहीं है। इस सम्बन्ध में वैज्ञानिकों ने कुछ महत्वपूर्ण आँकड़े इकट्ठे किये हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि सूर्य का व्यास पृथ्वी के व्यास का 109 गुना है और इसलिए उसका घन फल पृथ्वी की अपेक्षा 109&109&109 गुना है। तेरह लाख पृथ्वियों को एक में मिला दिया जाय तब कहीं सूर्य के बराबर गोला बन सकेगा। पर सूर्य की घनता पृथ्वी से बहुत कम है। यदि पृथ्वी की ही नाप का पानी का गोला लें तो पृथ्वी उससे साढ़े पाँच गुना भारी होगी। जबकि सूर्य अपनी घनता के बराबर पानी के गोले से मात्र सवा गुना भारी है।
सूर्य कितना गर्म है यह अनुमान लगाना कल्पना से परे है। फिर भी वैज्ञानिकों ने जो जानकारियाँ हासिल की हैं उस आधार पर हम यह अनुमान लगा सकते हैं कि पृथ्वी के दो वर्ग गज जमीन पर सूर्य की जितनी ऊर्जा आती है उसकी शक्ति एक ‘अश्व शक्ति ‘ के बराबर होती है। इस ऊर्जा को यदि उपयोग में लाने का कोई सुगम तरीका हाथ लग सके तो इंजन केवल सौर ऊर्जा से ही चलाये जा सकते हैं।
इन्हीं बातों के आधार पर वैज्ञानिकों ने बताया है कि सूर्य का ताप 60000 से.ग्रे. होगा। 100 से 0ग्रे. पर पानी खौलने लगता है। 3000 से. ग्रे. तक ताप मानव निर्मित विद्युत मशीनें पैदा कर सकती हैं।
गणना से पता चलता है कि सूर्य की सतह के प्रत्येक वर्ग इंच से 54 अश्व बल की शक्ति निकलती है। अँगूठी के नग के बराबर सूर्य की सतह से लगभग 3 अरब बल की शक्ति रात दिन बराबर निकला करती है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि लगभग 300000 मोमबत्ती की रोशनी सूर्य के प्रत्येक वर्ग इंच से बराबर निकलती रहती है। पर हम सूर्य की आकर्षण शक्ति का अनुमान लगा सकते हैं।
माउण्ट विल्सन वेधशालाऐं के शोध कर्ताओं ने कहा है कि सूर्य के पृष्ठ भाग पर उसकी आकर्षण शक्ति पृथ्वी के पृष्ठ भाग की वर्तमान आकर्षण शक्ति की अपेक्षा 28 गुनी अधिक है। इस प्रकार जो पत्थर पृथ्वी पर 1 सेर का जान पड़ता है वह सूर्य पर 28 सेर का होगा। 32 उपग्रहों को लेकर आकाश में स्थित मंदाकिनी निहारिका में निरन्तर गतिशील है। सूर्य मन्दाकिनी विश्व के केन्द्र से 30 हजार प्रकाश वर्ष दूर। 108000 कि. मी. प्रति घण्टा वेग से सूर्य अपने सौर मण्डल को लेकर मन्दाकिनी विश्व का परिभ्रमण करता है। इसका एक चक्कर काटने में सूर्य को 22 करोड़ वर्ष लग जाते हैं। सूर्य की आयु यदि 7 अरब वर्ष मानी जाये तो अपने जन्म के बाद सूर्य ने मन्दाकिनी विश्व के 30 चक्कर काटे माने जायेंगे। मन्दाकिनी विश्व का व्यास 1 लाख प्रकाश वर्ष है। इसका मध्य भाग मोटाई लिये हुए है। इसके मध्यभाग की मोटाई 15 हजार प्रकाश वर्ष हैं । सूर्य जैसे 100 अरब तारे मन्दाकिनी विश्व में विद्यमान हैं। इसके अतिरिक्त इतने ही तारे बन सके इतने ‘तारा बादल’ [रन्टेलर मास ] है।
बुध सूर्य से सबसे नजदीक का ग्रह है। सूर्य से इसकी दूरी 5 करोड़ 79 लाख कि. मी. है। सूर्य की परिक्रमा 88 दिन में करता है। इसके बाद शुक्र जो 10 करोड़ 82 लाख कि.मी. सूर्य से दूर है। जिसे सूर्य परिक्रमा में 225 दिन लगते हैं। पृथ्वी की दूरी 14 करोड़ 96 लाख कि.मी. है। एक परिक्रमा 365 दिन में होती है। पृथ्वी के बाद मंगल है जिसकी दूरी 22 करोड़ 79 लाख कि.मी. है परिभ्रमण में 687 दिन लगते हैं। इसके बाद गुरु है जो 77 करोड़ 83 लाख कि. मी. दूर है जिसका एक वर्ष 4 हजार 333 दिन का है। शनि की दूरी 142 करोड़ 70 लाख कि.मी. है परिभ्रमण 10 हजार 759 दिन में करता है। शनि के बाद यूरेनस (यम) है। जिसकी दूरी 286 करोड़ 96 लाख कि.मी. है। 60 हजार 160 दिन में एक परिभ्रमण करता है। सबसे दूर प्लेटो है इसकी दूरी 490 करोड़ 2 लाख कि. मी है। परिभ्रमण वर्ष 90470 दिन का है।
बुध और शुक्र के उपग्रह नहीं है। जैसे चन्द्र में कलाएँ होती हैं वैसे बुध और शुक्र में भी कलाएँ हैं। इनके वर्ष और दिन एक बराबर होते हैं क्योंकि ये दोनों अपनी धुरी पर नहीं घूमते। पृथ्वी का एक उपग्रह है जिसे चन्द्र कहते हैं। मंगल के दो, गुरु के 14, शनि के 9, यूरेनस के 4, नेप्च्यून के 2 उपग्रह हैं। इसके अतिरिक्त 200 से अधिक छोटे उपग्रह पाये गये हैं। जिनका व्यास 1 से लेकर हजार कि.मी. तक है।
सविता देवता की महा महिमा को यदि समझा जा सके तो हम सूर्य सान्निध्य से उसकी महान सामर्थ्य का भौतिक और आध्यात्मिक प्रयोजनों के लिए असाधारण लाभ उठा सकते हैं और प्रस्तुत कठिनाइयों में से असंख्यों से अनायास ही बच सकते हैं।