Magazine - Year 1983 - Version 2
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Language: HINDI
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ग्लोब का तापमान (kahani)
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ग्लोब का तापमान मानव के कृत्यों से अब इतना अधिक बढ़ चुका है कि हिमनदों तथा ध्रुवों के पिघलने की सम्भावना को नकारा नहीं जा सकता। दक्षिणी ध्रुव पर गए एक वैज्ञानिक दल ने विश्लेषण कर बताया कि विश्वभर के वायुमण्डल में संव्याप्त प्रदूषण की झाँकी वहाँ की जा सकती है जहाँ आइस कैप्स से निरन्तर पृथ्वी ऊष्मा उत्सर्जित करती रहती है। समुद्र की सतह गत बीस वर्षों में 7 से 9 इंच ऊँची बढ़ी है, पोलर क्लाइमेट में भी बहुत परिवर्तन हुआ है। लगभग तीन खरब छियासठ अरब टन कार्बनडाइ ऑक्साइड वायुमण्डल के पाकेट्स में बन्द पड़ी हैं। वृक्षों के निरन्तर कटते चले जाने से यह मात्रा नित्य बढ़ती जा रही है।