Magazine - Year 1983 - Version 2
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Language: HINDI
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तत्वदर्शी मनीषीगण (kahani)
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आज तत्वदर्शी मनीषीगण, वायुमण्डल के प्रदूषण से नहीं, सूक्ष्म वातावरण के बिगड़ने से अधिक चिन्तित हैं। वे जानते हैं कि वातावरण का प्रवाह मानवी तूफानों से भी अधिक सशक्त होता है। कभी युद्धोन्माद का प्रवाह बहता है तो कभी विलासिता की लहर दौड़ने लगती है। नाज़ीवाद और फ्राँस के विकास की अवधि में इसे अच्छी तरह देखा गया है कि वातावरण कितना सशक्त होता है। इन दिनों व्यक्तिवादी संकीर्णता- प्रत्यक्षवादी भौतिकता का रंग हर किसी पर चढ़ा हुआ है। ऐसे में उपचार स्थूल स्तर पर नहीं सूक्ष्म स्तर पर सत्प्रवृत्ति संवर्धन के रूप में, आदर्शवादी दूरदर्शिता के व्यापक प्रचार-प्रसार के रूप में करना होगा। जिन्हें परोक्ष का थोड़ा भी ज्ञान हो, वे भली-भाँति समझ सकते हैं कि ऐसे प्रयास उपचार चल रहे हैं और संकीर्ण स्वार्थपरता का अन्त सन्निकट है।