Magazine - Year 1986 - Version 2
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Language: HINDI
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वे अजूबे जिनका कोई समाधान नहीं।
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इस संसार में ऐसी चित्र-विचित्र घटनाएँ घटती रहती है, जिनका कोई तर्क सम्मत आधार नहीं। पर वे घटित क्यों हैं? यह अभी भी अविज्ञात है। आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैण्ड में 1960 और 1961 में लगातार कीचड़ की बारिश हुई। सारी सड़कें कीचड़ से भरी रहीं। सफाई एक समस्या बन गई। मार्च 1879 में स्टोनहाउस नेवेदा में भी इसी प्रकार कीचड़ की वर्षा एक घण्टे तक सतत् होती रही जिससे एक रेलगाड़ी का इंजिन एवं डिब्बे लाइन से उतरकर नष्ट हो गए अनेकों की जान गई। इसी प्रकार 26 मार्च 1948 को ओहियो के डेटन में हरी वर्षा हुई। वहाँ के पैट्रोल पम्प, मकान, कपड़े पहने, और दीवालें सब हरी हो गईं। यह रंग कुछ देर बाद अपने आप फीका पड़ गया। अगस्त 1870 में कैलीफोर्निया के सैक्रामेंटों शहर में जीवित अविज्ञात प्राणियों की वर्षा हुई जो 2 से 8 इंच तक लम्बे थे। ये सड़कों और दीवालों पर छा गए।
कैलीफोर्निया के बूट काउन्टी में 11 सितम्बर 1878 को पानी के साथ कैटफिश की बारिश हुई। लेबनान में जुलाई 1841 में वैज्ञानिकों के अनुसार माँस, खून और रंगीन पदार्थ की बारिश दिन में 11 और 12 बजे के बीच हुई। बादल उस समय लाल थे। खून पृथ्वी और पदार्थों में जमकर गाढ़ा हो गया। यह बारिश आधा मील लम्बे और 75 मीटर चौड़े क्षेत्र में हुई। विशेष डॉ. स्याल के अनुसार इस बारिश में सारे लेबनान देश में सैकड़ों पौण्ड खून और माँस की वर्षा हुई। प्रयोग करने पर पाया गया कि यह जीवधारियों का रक्त ही था। वर्जीनिया के क्लोवरली प्रान्त में 1850 को शाम 4 बजे खून की बूँदों और महीन कटे ताजे माँस के टुकड़ों की बारिश हुई। ये माँसपेशी, लिवर और हृदय के टुकड़ों के रूप में थे। रंगीन बादलों के छँटने पर यह खून व माँस की बारिश भी बन्द हो गई।
इसी प्रकार सिम्पसन काउन्टी, उत्तरी केरोलीना में 15 फरवरी 1850 को 900 फीट लम्बे और 30 फीट चौड़े क्षेत्र में ताजे खून, मस्तिष्क और भीतरी अंगों के टुकड़ों की वर्षा हुई। उस समय आकाश पर लाल बादल थे। 24 जुलाई 1851 को सनेफ्राँसिस्को में सेना के कैंप में खून और माँस के बारीक टुकड़ों की वर्षा हुई। हर माँस का टुकड़ा 1/8 इंच से भी कम मोटा और चतुरता से स्लाइस किया हुआ था। इस समय आकाश साफ था और कोई पक्षी नहीं मंडरा रहा था। समझ में नहीं आता कि मानवी रक्त व माँस क्योंकर कहीं से आकर किसी स्थान विशेष पर बरस गये।
अगस्त 1962 में सेनेडीयागो कैलीफोर्निया के केनेथ स्नाइडर के यहाँ मकान के आस-पास छोटे-छोटे पत्थरों की वर्षा प्रतिदिन सुबह 10 से 2 बजे दोपहर तक होती थी। ये पत्थर हल्के थे और शरीर में लगने पर इनसे चोट भी नहीं आती थी।
अक्टूबर 1978 में मैकेग्री के अनुसार उसके बगीचे में दो फ्रैंक का एक सिक्का आकाश से गिरा। उस समय मौसम साफ था। मैकेग्री 1005, वूडलैण्डड्राइव्ह, गेस्टोनिया नार्थ कैरोलिना में रहते हैं। अमेरिका में फ्रेंच करेंसी कैसे पहुँच गयी, इसका जवाब किसी के पास नहीं। इन समस्त घटनाओं का रहस्य नहीं जाना जा सका है। आश्चर्य यह कि इस प्रकार की विचित्र वस्तुओं की बारिश कहाँ से व क्योंकर हुई?
मार्च 1939 में पश्चिम अफ्रीका के मध्य अंगोला में भीषण अकाल पड़ा। मनुष्य, जानवर और पक्षी सब मर गए या अन्यत्र चले गये। वहाँ की पुरानी एक जाति सीलिज को भूखा रहने की आदत है और वे प्रायः सब बिना भोजन के भी किसी तरह जीवित रहे। दो सप्ताह बाद देखा गया कि वहाँ झाड़ियों के मध्य आधा एकड़ के क्षेत्र में अचानक मधु जैसा गाढ़ा पदार्थ जमा होने लगा। इसे सभी लोगों ने थोड़ी-थोड़ी मात्रा में खाकर प्राण रक्षा की। यह पदार्थ प्रतिदिन जमा होने लगा। आश्चर्य यह कि यह कहाँ से आया और किसने उन लोगों की जान बचाई।
एक और घटना ऐसी है जिसका कोई जवाब वैज्ञानिकों के पास नहीं है। 1960 में अमेरिका का 300 पौंड का डिसकवर सेटेलाइट जमीन पर उतरा तब उसका वजन 125 पौंड था और रोज इसका वजन कम होता रहा। इसके गिरने से जिस मकान में आग लगी उसमें धातुओं के मिश्रण का एक टुकड़ा मिला जो बहुत हल्का था। इससे खूब रेडिएशन निकल रहा था। यह ऐसी धातु थी जिसका प्रयोग निर्माण में नहीं किया गया था। एयर फोर्स ने इसे सत्य घटना बताया और वैज्ञानिक आश्चर्य करने लगे कि अन्तरिक्ष में वजन क्यों घटा? यह वस्तु कहाँ से आयी? उस वस्तु में रेडिएशन कहाँ से आया?
1921 के जाड़े में मिनीआपोलिस में एक लड़की एडना एलिस की हत्या हो गई। डॉ. ओ. ए. अल्स्टे का कथन है कि उसी मृतक लड़की ने जो उनसे पूर्व में चिकित्सा कराती रही थी, उनसे प्रार्थना करने सूक्ष्म रूप में कुछ घण्टों बाद आयी व बोली- कि मेरी मृत्यु का सही पता मिसोरी पुलिस से लगाकर इसकी सूचना मेरे माता-पिता को भेज दें ताकि उन्हें सही स्थिति मालूम हो जाये।
पुलिस से पता लगा कि वास्तव में एडीना एलिस की मृत्यु हो गई है और उसका हत्यारा बताए विवरण अनुसार पकड़ा गया है। रहस्यमय बात यह है कि मृतक एलीस सशरीर प्रकट हुई और बोली भी !!
डॉ. डब्लू विन वेस्काट 2.30 बजे दोपहर में 12 अप्रैल 1288 को एक ब्रिटिश म्यूजियम में गए। वहाँ उनने चार लोगों से बातचीत की और एक कुर्सी पर बैठ गए। थोड़ी देर बात वे गायब हो गए पर किसी ने उन्हें बाहर जाते नहीं देखा, यद्यपि वे पास ही बैठे थे।
वेस्काट के घर वालों का कहना है कि उस समय डॉ. वेस्काट घर से बाहर निकले ही नहीं। जब वे घर से बाहर निकले, तो म्यूजियम में कैसे आए? म्यूजियम में आए तब वे अचानक गायब कैसे हो गए? इस प्रकार के अचानक गायब हो जाने के ऐसे घटनाक्रमों, जिनमें व्यक्तियों का फिर कभी पता न चला, से भरी अनगिनत फाइलें न्यूयार्क, स्काटलैण्ड यार्ड व फ्राँस के एस.ए.एस. विभाग के पास हैं। वे व्यक्तियों की लाशें, यदि वे मारे गये, तक पाने में अब तक असफल रहे हैं। इसका कोई प्रत्युत्तर उनके पास नहीं है कि ऐसा क्यों व कैसे हुआ?
ऐसे ही कभी-कभी कुछ अविज्ञात वस्तुओं के प्रकटीकरण के घटनाक्रम भी घटते रहे हैं। 1962 में एक दिन शिकागो के डेविड डीट्स ने देखा कि एक अग्नि का गोला, एक फुट व्यास का, ऊपर से आया और कुछ देर मँडराने के बाद गायब हो गया।
1953 की एक रात्रि को वाशिंगटन के मि. व मिसेज फ्रेड ने देखा कि एक प्रकाश पुँज पेन्सिल के आकार में आया जो थोड़ी ही देर में बॉल जितना बड़ा गोला बन गया। वह अग्नि का गोला कुछ देर तक मँडराया, फिर अदृश्य हो गया। जनवरी 1962 में आस्ट्रेलिया, चेल्टनहम की श्रीमती डोरिस विल ने देखा कि उनके कन्धे के पास एक अग्नि गोला आया जो उनके बेडरूम में चला गया और वहाँ तत्काल हानि रहित विस्फोट हो गया। इस तरह के अग्नि के गोले कहाँ से आते हैं और क्यों आते हैं यह रहस्यमय है।
दिसम्बर 1942 को निकोलस ह्वाइट के यहाँ पचास बार आग एक ही रात्रि में जगह-जगह प्रकट हुई। अलग-अलग जगह विभिन्न वस्तुएँ इससे जल गईं। बार-बार आग को बुझाया गया कई बार फायर ब्रिगेड और इन्श्योरोन्स कम्पनी वाले आए। कागज, परदा, कपड़ा, सूट, बिस्तर, फर्नीचर, टेबल आदि में एक बार में एक ही जगह आग पकड़ती और वह वस्तु जलती। ऐसी अपने देश में अनेकों घटनाएँ घटित होती रही हैं व जादू तन्त्र के मत्थे मड़ी जाती रही हैं। पर वस्तुतः उनका कारण अभी तक ज्ञात नहीं। 1956 में श्रीमती एवा ओला गोल्डफ्रे का शरीर अचानक सिर से पैर तक तब जल गया, जब वह सोई थी। परन्तु उनके ढके कपड़ों और उनके बालों में जलने का कोई निशान नहीं था। यह घटना विचिटा, कन्सास की है।
1955 के ग्रीष्मकाल में शाम को केस्टन, इंग्लैण्ड की श्रीमती विनीफ्रेड मानसेल बगीचे में काम कर रही थी। वहाँ उसे डायमंड के अनेक टुकड़े मिले जिनमें से प्रत्येक की कीमत 100 डालर थी। आश्चर्य! कि यह हीरा कहाँ से आया? उसकी प्यारी बिल्ली के पैर से चिपके ये हीरे रहस्यमय हैं। अमेरिकी महाद्वीप में बंकर हिल सिल्वर माइन इडाहो उत्कृष्ट श्रेणी की है जिसे एक खच्चर ने ढूँढ़ा था। उसका मालिक उस खच्चर पर कहीं जा रहा था। रास्ते में एक जगह खच्चर ने मालिक को गिरा दिया और उसे फिर लात मारना चाहा। क्रोधित मालिक ने वहाँ पड़े पत्थर को उठाकर उससे खच्चर को मारना चाहा। आश्चर्य कि यह पत्थर चाँदी का था और बाद में वहाँ एक बड़ी चाँदी की खदान मिली।
ऐसे अविज्ञात घटनाक्रमों से जुड़े कुछ ऐसे संयोग भी हैं जो यदा-कदा घटते रहते हैं पर अंकात्मक दृष्टि से उनकी सुनिश्चितता हमें आश्चर्यचकित कर देती है।
आस्ट्रेलिया के लोगों का विश्वास है कि अकारण लाटरी जीतने वालों या पैसा प्राप्त करने वालों की शीघ्र मौत हो जाती है। अनेक घटनाओं से यह बात सही मालूम पड़ती है यथा- मुर्गी का हर्बर्ट चुन 70000 डालर जीता पर उसी दिन हार्ट फेल से वह मर गया। विलियम लोन 250000 डालर जीता परन्तु 6 सप्ताह बाद कैंसर से मर गया। हेरोल्ड रिचर्ड्स 200000 डालर जाती पर चार माह के भीतर उसकी मृत्यु हो गई। कारण अज्ञात था। एनी हेरिम 20000 डालर जीती पर वह खबर सुनकर ही मर गई। जेम्स कपूर 25000 डालर जीता परन्तु उसने एक पुलिस मैन की हत्या कर दी। अन्ततः वह पागलखाने में डाल दिया गया। वाल्टर वेस्टरर ने एक प्रतियोगिता में एक लाख डालर का इनाम जीता, उसी दिन उसकी मृत्यु हो गई। ये सारे घटनाक्रम आस्ट्रेलिया में घटे हैं।
जान टी. विलियमसन ने कैनेडा के उत्तम हीरों की खदान टाँगानिका में अपने माँगरेल कुत्ते के ढूंढ़ने से पाई और पृथ्वी का वह सर्वाधिक धनी व्यक्ति बन गया। घटना यों थी कि- थका, गरमी से त्रस्त और निरुत्साहित विलियमसन पेड़ के नीचे विश्राम कर रहा था। वहीं पास में उसका कुत्ता गड्ढा खोद रहा था। उस गड्ढे में हीरे की एक बड़ी खदान मिली। कुत्ते की होशियारी ने उसे धनी बनाया। उसने अपने कुत्ते के नाम पर उस स्थान का नाम रखा व अन्त तक वे साथ रहे। मरे भी साथ-साथ।
1912 में उत्तरी मिचिगन में हल्बर्ट नामक एक किसान अपना सुअर ढूँढ़ रहा था। जहाँ पर उसका सुअर खड़ा था, वहाँ एक बड़ी ताँबे की खदान मिली। इससे 5 लाख डालर से अधिक वार्षिक आय उन्हें हुई।
11 मार्च 1962 को इण्डियानापोलिस में श्रीमती रीनेट बेक के यहाँ अनेकों आश्चर्यजनक घटनाऐं एक साथ घटीं। रात्रि में एक दर्पण को किसी शक्ति द्वारा दीवाल पर फेंका गया। वह टूटकर फर्श पर बिखर गया। फिर एक भारी तस्तरी दीवाल में जाकर लगी। तब ग्लास फेंका गया। फिर चीनी-मिट्टी का कप फेंका गया और फूट गया। फ्रीज के भीतर रखे 125 डालर का बैग गायब हो गया। आवाज भी आने लगी। फिर उस घर में रहने वाली तीनों औरतों के शरीरों को विभिन्न जगहों में कोई काटने लगा। जिससे जगह-जगह छिद्र के निशान शरीर में पड़ गए। पुलिस पार्टी ने खूब जाँच पड़ताल की। पर कुछ भी समझ में नहीं आया। कोई रहस्य इसका नहीं खुल पाया। तब समझा गया कि यह किसी अविज्ञात शक्ति की करामात है। परन्तु इसका कोई कारण प्रत्यक्षतः नहीं मिला। घटनाक्रम सहसा स्वयमेव बन्द हो गए।
क्या वस्तुतः उपरोक्त घटनाक्रमों का किसी के पास कोई तर्क सम्मत समाधान है? वैज्ञानिक तो इस सम्बन्ध में जवाब देने में असमर्थ हैं।