Magazine - Year 1986 - Version 2
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धन गया तो कुछ गया। स्वास्थ्य गया तो बहुत कुछ गया और चरित्र गया तो समझो कि सब कुछ चला गया।
अतीन्द्रिय दृष्टि में एक्स-रे, लेसर किरणों जैसी विशेषता पैदा होती है। इसे तीसरा नेत्र खुलना भी कहते हैं। ज्ञान चक्षुओं का उन्मीलन भी। किसी के मन की बात, उसकी जेब या अटैची टटोल लेना, जमीन में गड़े धन या खोये कागजों, पदार्थों को ढूंढ़ निकालना भी इस आधार पर सम्भव हो सकता है। भूमि के भीतर जल स्रोतों का पता लगाया जा सकता है। जिन गोपनीय बातों को साधारण बुद्धि रहने या साक्षी के अभाव में साधारण रीति से नहीं जाना जा सकता है, उनका ज्ञान अतीन्द्रिय दृष्टि के विकसित होने पर सहज ही प्राप्त किया जा सकता है।
पूर्व जन्म की स्मृति साधारणतया छोटे बालकों में देखी गई है। प्रस्तुत परिवार के साथ सम्बन्ध घने न होने और पिछले जन्म के सम्बन्धों में झोल ने पड़ पाने की दशा में अक्सर अपने पिछले जन्म का विवरण बताते हैं और बताये हुए स्थान तक ले पहुँचने पर वे अपने सम्बन्धियों तथा वस्तुओं को पहचानते और घटित हुई घटनाओं को बताते भी हैं। पर यह स्थिति आयु बढ़ने के साथ-साथ समाप्त होती जाती है। इस साधारण क्रम में असाधारण साधना विज्ञान द्वारा की जा सकती है। अपना पूर्व जन्म जाना जा सकता है और दूसरों के सम्बन्ध में ऐसा विवरण बताया जा सकता है जो परीक्षा की कसौटी पर खरा उतरे।
पूर्व ज्ञान सिद्धि को भविष्य कथन भी कह सकते हैं। व्यक्ति विशेष का जीवन-क्रम किस दिशा में मोड़ लेने जा रहा है। साँसारिक गतिविधियाँ किस रूप में विकसित होने जा रही हैं। इसका पूर्वज्ञान आत्म-साधना से हो सकता है। प्रत्यक्ष में प्रकट होने से पूर्व किसी भी घटना का पूर्व रूप अदृश्य जगत में बन जाता है। यह अभ्यास अनेक पशु पक्षियों को होता है। कोई दुर्घटना घटित होने वाली होती है या ऋतु परिवर्तन होना है तो वे अपनी सूक्ष्म क्षमता से उसकी जानकारी प्राप्त कर लेते हैं और बचाव के उपाय समय रहते करने लगते हैं। मौसमी गुब्बारे उड़ाकर यह जाना जाता है कि वर्षा कब और कहाँ होने वाली है। इस पूर्वज्ञान क्षमता को मनुष्य भी विकसित कर सकता है। अनिष्टों से बच सकता है और जो शुभ संभावना है उसकी तैयारी पहले से ही करने पर उपलब्धियों का सदुपयोग हो सकता है। यकायक विपत्ति या सम्पत्ति आ धमकने पर मनुष्य घबरा जाता है और यह नहीं सोच पाता कि आगत परिस्थिति से कैसे निपटा जाय। पर यदि पूर्व ज्ञान के आधार पर संभावनाओं को जाना जा सके तो आवश्यक प्रबन्ध कर लेने की बात बन सकती है। इस ज्ञान के अभाव में कितने ही व्यक्ति मरते समय अपने पीछे अनेक झंझट छोड़ जाते हैं। यदि उन्हें संभावना का ज्ञान रहा होता तो समय रहते वे काम निपटा सकते थे जो पीछे उलझते और समस्यायें पैदा करते रहे।
अदृश्य जगत के प्राणियों से सम्बन्ध स्थापित करने की सिद्धि में- भूत प्रेतों के कष्ट दायक आक्रमणों से बचा जा सकता है। साथ ही यह भी हो सकता है कि जो उनमें से उदार प्रतिभावान् हैं उनकी अनुकंपा उपलब्ध की जाय और उसकी सहायता से ऐसा लाभ उठाया जाय जिसे एकाकी व्यक्ति बिना किसी सहायता के आश्चर्यजनक रूप से उपलब्ध नहीं कर सकता। समर्थ व्यक्ति प्रत्यक्षतः जो किसी को लाभ हानि पहुँचा सकते हैं उससे अधिक मात्रा में वे सूक्ष्म शरीर से संभव कर सकते हैं।
परकाया प्रवेश की सिद्धि में अपनी विशेषतायें दूसरे के शरीर में प्रवेश की जा सकती हैं। मैस्मरेजम और हिप्नोटिज्म के समस्त क्रिया-कलाप इसी आधार पर सम्पन्न होते हैं। अपनी विद्युत शक्ति से दूसरों के शारीरिक, मानसिक रोग दूर किये जा सकते हैं। सम्मोहित करके मन की गांठें खोली जा सकती हैं। उसके छिपे रहस्य उगलवाये जा सकते हैं। गुण, कर्म, स्वभाव में अभीष्ट परिवर्तन किया जा सकता है। इस प्रयोग को एक प्रकार का वशीकरण भी कह सकते हैं।
यह सामान्य उपचार है जिसकी यथार्थता के अनेकानेक प्रमाण आये दिन मिलते रहते हैं। शोधकार्य में निरत रहकर हम ऐसी सिद्धियों को भी पा सकते हैं जो सामान्य मनुष्य को असाधारण शक्ति सम्पन्न बना दे।