Magazine - Year 1991 - Version 2
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Language: HINDI
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परिणाम वही (Kahani)
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एक ज्योतिषी से किसी व्यक्ति ने अपने तीन बच्चों का भविष्य पूछा। उसने पत्र के पन्ने पलटते रहने के बहाने उन बच्चों की गतिविधियाँ गौर से देखी। पिता ने तीनों बच्चों को एक-एक केला दिया। पहले बच्चे ने छिलका सड़क पर फेंक दिया। दूसरे ने उसे कूड़ेदान में डाला। तीसरे ने गाय को खिला दिया।
तीनों बच्चों में से ज्योतिषी ने एक को मूर्ख, दूसरे को समझदार और तीसरे को उदार बनने की घोषणा की।
इसका कारण पूछे जाने पर ज्योतिषी को पत्र के पन्नों की अपेक्षा तात्कालिक प्रतिक्रियाओं को महत्व दिया। उसने कहा मनुष्य की प्रकृति जैसी होती है, वैसी ही नियति बन जाती है।
संसार में जिनकी भी उन्नति हुई है, उनने पहले अपना विश्वास जमाया है और लोगों पर अपनी ईमानदारी की छाप छोड़ी है। इसके पश्चात ही उसके प्रशंसक, विश्वासी और साथी-सहयोगी बने हैं। उन्नति का वास्तविक मार्ग यही है। भलमनसाहत को सदा श्रेय और सहयोग मिलता रहा है। आरंभ में किसी से कुछ भूल होती रही हो, तो भी बाद में वास्तविकता समझाने पर लोग अपने विचार बदल लेते हैं गलत बात भी देर तक नहीं टिकती। सच्चाई देर तक छिपी नहीं रहती। गलतफहमी में लोग थोड़े समय ही धोखे में रह सकते हैं, पर जब यथार्थता प्रकट होती है, तो स्थिति ठीक उलटी हो जाती है और परिणाम वही होता है, जो होना चाहिए।