Magazine - Year 1994 - Version 2
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Language: HINDI
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बूढ़ा लोभी (Kahani)
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जो संस्कार जीवन भर हावी रहते हैं वे अंत तक पीछा नहीं छोड़ते।
एक बूढ़ा बीमार पड़ा। जमीन भर लोभ में बीता था। अपनी दवा पर भी ठीक से खर्च न करदे। कमजोरी बढ़ती गयी। उसी स्थिति में उसने देखा आँगन में बछड़ा झाडू चबा रहा है। उसका मन बड़ा दुखी हुआ। मेरी कमाई इस तरह बरबाद जा रही है। बोलने का प्रयास किया पर कमजोरी में स्पष्ट शब्द नहीं निकल सके।
लड़कों ने समझा शायद भगवान् का नाम ले रहे हैं। दूसरे ने सोचा शायद अपनी गुप्त संपत्ति के बारे में अंत समय में बतलाना चाहते हैं। उन्होंने चिकित्सक को बुलाकर कहा- “कुछ भी खर्च हो, ऐसा प्रयास करके कि इनके कुछ शब्द सुनाई दे जायें।”
कीमती दवाओं का प्रयोग किया गया। दवाओं का मूल्य और फीस मिलाकर हजार के लगभग खर्च हो गये। दवाओं ने सारी शक्ति इकट्ठी कर दी। सुनाई दिया, बछड़ा, झाडू, बछड़ा, झाडू यही में दुहराते हुए प्राण छूट गये।