Magazine - Year 2003 - Version 2
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Language: HINDI
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लोग हर्ष से नाच उठे (kahani)
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अमेरिका के उपराष्ट्रपति जैफरसन बहुत सादगी से रहते थे। वे कहीं बाहर गए तो अपना बिस्तर कंधे पर लादे एक होटल में ठहरने पहुंचे।
होटल मालिक ने ऐसे साधारण आदमी को अपने यहां ठहराने में हेठी समझी और स्थान खाली न होने के बहाने इंकार कर दिया। जैफरसन चले गए और किसी अन्य होटल में ठहरे।
बाद में होटल मालिक को पता चला तो वह हड़बड़ा गया। इतने बड़े अधिकारी की अवज्ञा पर उसे डर लग रहा था। गाड़ी लेकर मैनेजर को भेजा और लौटा लाने का आदेश दिया।
जैफरसन ने नम्रता से कहा, जिस होटल में साधारण व्यक्ति के ठहरने तक का स्थान नहीं, उसमें उपराष्ट्रपति को ठहराने जितना स्थान कहा खाली होगा। वे नहीं गए।
एक आलसी ऊंट ने बहुत लंबे समय तक तप किया। देवताओं ने प्रसन्न होकर वरदान मांगने के लिए कहा।
आलसी ऊंट ने मागा कि एक जगह बैठे बैठे ही दूर दूर की घास चर लिया करे। अपनी गरदन को एक मील लंबा करा लिया। सो बहुत प्रसन्न था।
बरसात आई। उसने सिर छिपाने की कोई जगह तलाश की। एक गुफा में सिर भर रख सका। इतने में दो सियारों का जोड़ा उसमें घुस पड़ा। उन्होंने ऊंट की गरदन काट डाली और महीनों माँस खाते रहे। वरदान भी बेकार चला गया।
अट्ठारहवीं सदी में गुजरात में भीषण अकाल पड़ा। चारों ओर हाहाकार मच गया, पशु पक्षी सभी भूख से तड़प तड़पकर मरने लगे।
गुजरात के राजा ने साधु संतों से यज्ञानुष्ठान करने की प्रार्थना की। स्वयं भी बड़े बड़े ज्ञानी पंडितों को लेकर अनेक यज्ञ किए, फिर भी वर्षा नहीं हुई। प्रजा के दुख को देखकर राजा व्याकुल हो उठा। आंखों में आंसू भरकर स्वयं भगवान से प्रार्थना करने लगा। एक दिन प्रार्थनारत राजा के सामने एक संन्यासी प्रकट हुआ और साँत्वना के स्वर में बोला,राजन! चिंता मत करो। आपके राज्य में अमुक व्यापारी रहता है, यदि वह चाहे तो वर्षा हो सकती है।
राजा स्वयं चलकर व्यापारी के घर पहुंचे और उससे वर्षा कराने के लिए निवेदन करने लगे। पहले तो व्यापारी ने कुछ करने से आना कानी की, परंतु राजा की विनय और मनुष्यों के दुख को देखकर उसका हृदय द्रवित हो उठा। उसने राजा से कहा, “राजन! आप धैर्य धारण करे। मैं जलवृष्टि के लिए अवश्य उपाय करूंगा।”
व्यापारी ने अपनी तराजू उठा ली और बाहर निकलकर बोल उठा, ”हे इंद्रदेव! यदि इस तराजू से मैंने कभी कम या अधिक न तोला हो, सदा ईमानदारी का पालन किया हो तो देवराज इंद्र आप अवश्य जलवृष्टि करें।” व्यापारी का इतना कहना था कि आकाश में बादल आ गए और घनघोर वर्षा होने लगी। चारों ओर जल जल ही भर गया। लोग हर्ष से नाच उठे।