Magazine - Year 2003 - Version 2
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Language: HINDI
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खंडित कर दिया (kahani)
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परशुराम उन दिनों शिवजी से शिक्षा प्राप्त कर रहे थे। भगवान शिव शिष्यों में से ऐसे प्रतिभाशाली छात्र की तलाश कर रहे थे, जो न्याय और औचित्य के प्रति अटूट निष्ठावान हो, साथ ही निर्भर और पराक्रमी भी।
खोज के लिए भगवान शिव ने कुछ अनुचित आचरण आरंभ किए और बारीकी से देखा, शिष्यों में से किस की क्या प्रतिक्रिया होती है।
अन्य सभी दरगुजर करते या सहन करते चले गए। मात्र परशुराम ही एक ऐसे थे, जिन्होंने सुझाया ही नहीं, विरोध भी किया। एक दिन बात बढ़ते बढ़ते यहाँ तक पहुँची कि परशुराम तनकर खड़े हो गए और न मानने पर शिवाजी से युद्ध करने को तत्पर हो गए।
भगवान को विश्वास हो गया कि यही है जो फैली अनीति का निराकरण कर सकेगा। उन्होंने प्रसन्न होकर दिव्य परशु प्रदान किया और सहस्रबाहु से लेकर धरातल के समस्त आतताइयों से निपट लेने का आदेश दिया।
गुरु शिष्य की लड़ाई पुराणों की अमर कथा में सम्मिलित है। शिवाजी के सहस्र नामों में से एक नाम ‘खण्ड परशु’ भी है। अर्थात् परशुराम ने जिन्हें खंडित कर दिया।