Books - हम बदलें तो दुनिया बदले
Media: TEXT
Language: HINDI
Language: HINDI
सामाजिक कुरीतियों का उन्मूलन
Listen online
View page note
Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
सामाजिक
बुराइयों
और
कुरीतियों
का
उन्मूलन
तभी
हो
सकता
है
जब
उनका
विरोधी-वातावरण
उत्पन्न
किया
जाय
एवं
कुछ
साहसी
लोग
उन्हें
तोड़ने
के
लिए
तत्पर
हों।
दहेज
की
बुराई
को
ही
लीजिए
यह
एक
बहुत
बड़ी
बुराई
है।
इसको
मिटाने
के
लिये
इस
कुरीति
पर
अपनी
स्वार्थपरता
के
कारण
अड़े
हुए
लोगों
को
निरुत्साहित
किया
जाना
आवश्यक
है।
अनीति
के
आगे
सिर
झुकाते
रहने
से
तो
वह
और
भी
अधिक
बढ़ेगी।
फिरोजाबाद
श्रमिक
बस्ती
में
एक
सिंधी
के
यहां
जयपुर
से
बारात
आई।
विवाह
आरम्भ
होने
से
कुछ
घन्टे
पूर्व
ही
लड़के
वाले
दहेज
में
लम्बी
रकम
मांगने
लगे।
लड़की
वाले
उतना
देने
में
असमर्थ
थे।
पर
लड़के
वाले
अपनी
जिद
पर
अड़े
ही
रहे।
उन्हें
इस
बात
का
भी
रंज
न था
कि
लड़की
के
भाई
की
अभी
चार
दिन
पूर्व
ही
रेल
के
कटकर
मृत्यु
हुई
है, ऐसे
अवसर
पर
इन्हें
इतना
परेशान
न
किया
जाय।
लड़के
वालों
की
हृदय
हीनता
पर
क्षुब्ध
होकर
कन्या
ने
स्वयं
ही
वह
विवाह
करने
से
इनकार
कर
दिया
और
बारात
को
वापिस
लौटना
पड़ा।
कपूरथला
के
पास
शाहकोट
से
एक
बरात
नकदोर
गई
थी।
कन्यापक्ष
ने
वरपक्ष
की
दहेज
की
सब
मांगों
को
मंजूर
किया, किन्तु
दहेज
में
जो
चीजें
दी
जा
रही
थीं
उनसे
वर
को
सन्तोष
नहीं
हुआ।
उसने
दहेज
की
चीजों
को
ठोकर
मारना
शुरू
कर
दिया।
आखिर
कन्या
पक्ष
को
रोष
का
प्याला
छलक
आया।
उसने
लड़की
विदा
करने
से
साफ-साफ
से
इन्कार
कर
दिया
और
बरात
को
बेरंग
वापस
जाना
पड़ा।
बात
यहीं
समाप्त
नहीं
हुई
लोगों
ने
वर
के
मुंह
पर
कालिख
पोत
दी
और
उसको
गधे
पर
बिठाकर
जुलूस
निकालने
की
कोशिश
की
गई।
वर
को
ऐसी
शिक्षा
मिली
है
कि
जिसे
वह
जीवन
भर
नहीं
भूल
सकेगा।
रोहतक
की
खबर
है
कि
नरवाना
से
5 मील
दूर
खरल
गांव
में
एक
वैश्य
के
यहां
कैधल
तहसील
के
किसी
गांव
से
बरात
आई
हुई
थी।
लड़की
वाले
ने
बरात
की
खातिर
करने
में
कोई
कसर
न रखी
और
काफी
से
ज्यादा
दहेज
भी
दिया।
विदा
के
समय
5 रुपये
और
गिलास
प्रत्येक
बराती
को
भी
दिये।
लड़के
वाले
ने
चांदी
के
गिलास
मांगे।
लड़की
वाले
ने
कहा
हमारे
पास
इस
समय
चांदी
के
गिलास
नहीं
हैं।
लड़के
वाला
गिलास
लेने
की
जिद्द
पर
अड़ा
रहा।
आखिर
ग्राम
की
पंचायत
ने
दहेज
इत्यादि
सारा
रख
लिया
और
लड़की
को
भेजने
से
इन्कार
कर
दिया।
पटियाले
के
पास
गांव
धनौर
में
मलार
कोटला
के
एक
अग्रवाल
परिवार
की
बरात
आई
थी।
वर
ने
अपने
श्वसुर
से
मांग
की
कि
उसे
दहेज
में
स्कूटर
दिया
जाय।
जब
लड़की
को
पता
लगा
कि
उसका
पति
स्कूटर
के
लिए
जोर
दे
रहा
है
और
समझाने
का
उस
पर
कोई
असर
नहीं
हो
रहा
है
तो
उसने
ऐसे
लालची
युवक
से
शादी
करने
से
इन्कार
कर
दिया।
मंगनी
के
समय
चीजों
का
आदान-प्रदान
हुआ
था
वापस
कर
दी
गईं
और
बारात
बिना
वधू
के
वापिस
चली
गई।
संस्थाओं,
सभाओं
तथा
पंचायतों
एवं
व्यक्तियों
द्वारा
इन
सामाजिक
बुराइयों
का
उन्मूलन
करने
के
लिए
कुछ
प्रयत्न
किये
भी
जा
रहे
हैं।
इन्हें
प्रोत्साहित
करने
की
आवश्यकता
है।
अम्बाला
के
निकटस्थ
गांव
शाहपुर
के
लोगों
ने
प्रतिज्ञा
की
है
कि
वे
दहेज
पर
व्यर्थ
खर्च
न
किया
करेंगे।
उन्होंने
तह
फैसला
किया
है
कि
वे
विवाह
में
वर-वधू
को
नेशनल
सेविंग
सर्टीफिकेट
देंगे।
मथुरा
के
चमेलीदेवी
खंडेलवाल
गर्ल्स
इन्टर
कालेज
के
प्रांगण
में
देश
के
अनेक
स्थानों
से
जाये
हुए
20 वर-वधुओं
का
एक
साथ
ही
विवाह
सम्पन्न
हो
गया।
विवाह
में
यज्ञ
आदि
का
व्यय
अ.भा.
खंडेलवाल
महासभा
ने
उठाया।
इन
वर
वधुओं
के
माता
पिताओं
को
दहेज
यथा
दावत
में
एक
पैसा
भी
खर्च
नहीं
करना
पड़ा।
खंडेलवाल
सभा
ने
भरतपुर
के
नामा
नगर
में
तथा
आगरा
में
ऐसे
सामूहिक
विवाहों
का
आयोजन
कराया
जिसमें
बिना
किसी
लेने-देने
अथवा
दहेज
के
केवल
एक
रुपया
कन्यादान
में
देकर
विवाह
कार्य
संपन्न
हुये।
वर
तथा
वधू
के
माता-पिताओं
को
इन
विवाहों
में
कुछ
भी
खर्च
नहीं
करना
पड़ा।
इस
अनुकरणीय
उदाहरण
की
अन्य
जातियों
में
भी
बड़ी
चर्चा
है
और
वे
भी
इसी
प्रकार
की
व्यवस्था
करने
की
तैयारी
कर
रहे
हैं।
रोहतक,
करनाल,
गुड़गांव,
महेन्द्रगढ़,
हिसार
व
दिल्ली
प्रदेशों
की
जनता
की
एक
सार्वदेशिक
पंचायत
ने
निर्णय
किया
कि
विवाह
तथा
अन्य
धार्मिक
व
सामाजिक
उत्सवों
में
व्यर्थ
का
व्यय
न
किया
जायेगा।
पंचायत
में
20 हजार
के
लगभग
व्यक्ति
उपस्थित
थे।
दिल्ली
के
एक
धनी
व्यापारी
का
लड़का
गोपाल
दास
अपनी
शादी
से
एक
घन्टे
पहले
ही
गायब
हो
गया
था।
कई
दिन
बाद
वह
मिल
गया
लड़के
ने
इस
प्रकार
गायब
होने
का
कारण
बताया
कि
उसके
विवाह
पर
लड़की
वाले
से
बहुत
बड़ी
रकम
दहेज
में
ठहराई
गई
थी।
मुझे
इस
से
बड़ा
दुख
हुआ
और
सोचा
कि
इस
अनर्थ
को
रोकने
का
उपाय
अब
मेरा
गायब
हो
जाना
ही
हो
सकता
है, इसलिये
मैं
भाग
खड़ा
हुआ।
लड़के
ने
कहा
यदि
दहेज
न
लिया
दिया
जाय
तो
मैं
खुशी-खुशी
यह
शादी
करने
को
तैयार
हूं।
जहां-तहां
ऐसे
ही
साहस
के
परिचय
कन्याओं
ने
भी
दिये
हैं
और
उन्होंने
अपने
घर
वालों
से
कह
दिया
है
कि
वे
आजीवन
ब्रह्मचारिणी
रह
कर
मेहनत
मजूरी
करके
अपना
गुजारा
करेंगी
पर
दहेज
के
लोभी
कसाइयों
के
यहां
इस
प्रकार
तिरस्कारपूर्ण
रीति
से
जाना
पसन्द
न
करेंगी।
सामाजिक
कुरीतियों
का
उन्मूलन
ऐसे
ही
साहसी
शूरवीरों
द्वारा
हो
सकना
संभव
है।