Books - अन्तरिक्ष विज्ञान एवं परोक्ष का अनुसन्धान
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Language: HINDI
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हरिद्वार के शान्तिकुंज और ब्रह्मवर्चस् आश्रम
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शांतिकुंज में साधकों को गायत्री उपासना, नौ कुण्डों की यज्ञशाला में दैनिक यज्ञ, दुर्लभ जड़ी बूटियों का उत्पादन और उनका शारीरिक-मानसिक रोगों के निवारण में प्रयोग, प्रेस तथा प्रज्ञा साहित्य का अंग्रेजी अनुवाद, पुस्तकालय, साधकों की शारीरिक-मानसिक स्थिति का बहुमूल्य यन्त्रों और चिकित्सा-विज्ञान के पोस्ट ग्रेजुएट द्वारा सांगोपांग निरीक्षण परीक्षण की व्यवस्था है।हिमालय तथा उसके समस्त तीर्थों का भव्य मन्दिर, गायत्री मन्दिर, सूर्य मन्दिर तथा रुद्राभिषेक का ऐसा दर्शनीय कक्ष यहां है, जैसा अन्यत्र कदाचित् ही कहीं देखने को मिले। बच्चों का गुरुकुल, महिलाओं का विद्यालय यहां की विशेषता है।पच्चीस मोटर गाड़ियों में संगीत तथा प्रवचन करने वाले कार्य-कर्ताओं के निवास की यहां व्यवस्था है। देश-विदेशों में फैले हुए प्रज्ञा पीठों एवं प्रज्ञा संस्थानों के कार्यकर्ताओं के युग शिल्पी प्रशिक्षण का ऐसा प्रबन्ध है, जिसमें लोक मानस परिष्कार—विचार क्रान्ति अभियान की आवश्यकता पूर्ण करने वाले कार्यकर्ता प्रशिक्षित किये जाते हैं। संगीत-प्रवचन में उन्हें प्रवीण कराया जाता है। साहित्य सृजन एवं आर्ष साहित्य उपलब्ध कराने का सुप्रबन्ध है।दृश्य गणित के आधार पर पंचांग बनाने और ग्रह-नक्षत्र की सही स्थिति का पता लगाने के लिए यहां की पुरातन और आधुनिक यंत्रों से सुसज्जित वेधशाला है। नित्य प्रज्ञा पुराण की कथा, संगीत-प्रवचन का क्रम चलता है। युग परिवर्तन के सन्दर्भ में प्रज्ञा परिजनों के कर्तव्यों का बोध कराने वाला वीडियो कैसेट प्रदर्शन नित्य चलता है। सूर्य शक्ति से अनेक आवश्यक काम करने का एक विशेष कक्ष है। उत्तराखण्ड दर्शनों के लिए जाने वाले इस पुनीत गायत्री तीर्थ की रज मस्तक पर लगा कर यात्रा को सफलतापूर्वक सम्पन्न करते हैं। दर्शकों को इतनी सत्प्रवृत्तियों का संचालन एक स्थान पर चलने का अवसर कभी कदाचित ही कहीं मिला होगा।ब्रह्मवर्चस् गंगातट के ठीक उस स्थान पर है, जहां से गंगा की सात धाराओं के कटने और सप्त ऋषियों की तपस्थलियों को देखने का अवसर मिलता है। इस आश्रम में गायत्री के 24 अक्षरों की 24 मातृकाओं के मन्दिर विनिर्मित हैं। यज्ञ विज्ञान की साधना के फलितार्थों की गंभीर शोध यहां होती है। जिसे देखकर प्रत्यक्षवादियों को भी अध्यात्मवादी बनने का अवसर मिलता है। इस संस्थान के सभी कार्यकर्त्ता ग्रेजुएट स्तर के हैं। सप्त सरोवर रोड पर बना हुआ यह आश्रम और उसकी चित्र प्रदर्शनी, भव्य पुस्तकालय, कीमती परीक्षण उपकरण दर्शकों को इस तथ्य से अवगत कराते हैं कि अध्यात्म और विज्ञान के समन्वय का कैसा अद्भुत प्रयोग भारत के एक मात्र स्थान में कैसे सुचारू ढंग से हो रहा है।आश्चर्य इस बात का है कि इतने सुयोग्य कार्यकर्ता, इतनी बड़ी संख्या में मात्र भोजन वस्त्र लेकर काम चलाते हैं और इतने विशालकाय देश-विदेशों में फैले हुए मिशन का खर्च केवल उन भावनाशील सदस्यों द्वारा दस पैसा नित्य निकाले जाने वाले अनुदान से चलता है।****समाप्त*