Books - गायत्री महामंत्र की अद्भुत सामर्थ्य
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Language: HINDI
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मंत्र का विराट विस्तार
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मित्रो, गायत्री मंत्र क्या है? इसके महान पक्ष को जरा आप देख पाएँ तो अच्छा है। मैंने अभी निवेदन किया था कि गायत्री मंत्र के चार चरणों को अच्छी तरीके से समझना हो तो चार वेदों को आपको पढ़ना पढ़ेगा ताकि चार टुकड़ों में से हर टुकड़े का पूरी तरह से व्याख्यान किया जा सके। वेदों को और समझाइए? नहीं, वेदों को हम पूरी तरह से नहीं समझा सकते। इसको कहानियों के माध्यम से- कथाओं के माध्यम से, पुराणों, दृष्टान्तों के माध्यम से समझाना पड़ेगा। इसके लिए ब्राह्मण, आरण्यक और आर्षग्रन्थ पढ़ने चाहिए। आरण्यक और ब्राह्मण ग्रन्थों की तो भाषा बड़ी दुरूह है। उसमें सांकेतिक भाषा है। अच्छा, तो आपको उपनिषद् पढ़नी चाहिए। उपनिषद् में क्या है? अरे, वेदों का व्याख्यान है और क्या है? उपनिषदों में वेदों का सार है। इसके प्रत्येक मंत्र वेदों में समाये हुए हैं। आर्य समाज ने तो संहिता भाग को ही वेद माना है, लेकिन धर्म की व्याख्या के हिसाब से ब्राह्मण और आरण्यक भी वेद के अंग हैं। उपनिषद् को भी वेदवाणी कहा गया है। वेदों में बेटे, गायत्री का विस्तार है और कुछ भी नहीं। ये जो कुछ भी हैं, केवल गायत्री मंत्र का व्याख्यान है।
गुरुजी और बताइए ! और बेटे अठारह पुराण जो हैं। अठारह पुराण भी यही हैं। क्या है? गायत्री मंत्र का व्याख्यान है और भगवान के अवतार? भगवान के अवतार भी यही हैं। भगवान के अवतार क्या हैं? भगवान के अवतार- हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार चौबीस अवतार हैं। चौबीस अवतार क्या हैं- गायत्री के २४ अक्षर में एक- एक अवतार का व्याख्यान भरा पड़ा है। एक अवतार के एक अक्षर में क्या शिक्षा है? क्या प्रेरणा है? क्या दिशा- धाराएँ है? क्या मनुष्य जाति के लिए आदर्श उपस्थित करते हैं ये? एक अक्षर को आपको समझना हो तो एक अवतार के कथानक के माध्यम से गायत्री का एक अक्षर समझ लेना चाहिए। सारी की सारी कथाएँ- सब जितनी भी कथाएँ हैं, आपको गायत्री मंत्र के एक- एक अक्षर को बता सकती हैं।
हिन्दू धर्म में दो अवतार मुख्य माने गए हैं। अवतार तो २४ हैं, पर २४ अवतारों में दो अवतार मुख्य माने गए हैं- राम और कृष्ण। राम और कृष्ण के जीवन के दृष्टान्त सुनाने वाले दो ग्रन्थ हैं- एक का नाम है- ‘बाल्मीकि रामायण’ जिसमें रामचरित्र दिया हुआ है। दूसरी पुस्तकें उसके अनुवाद के रूप में अन्यान्य भाषाओं में बनाई गई है। रामायणों की बहुत- सी तादाद है। अरे पचास रामायण तो मेरे देखने में आई हैं। लेकिन इनका मूल बाल्मीकि रामायण ही है।
दूसरा ग्रन्थ है- भागवत् कथा- जिसमें श्रीकृष्ण चरित्र दिया हुआ है। ये क्या हैं? ये दोनों ग्रन्थ गायत्री मंत्र के व्याख्यान हैं। श्रीमद्भागवत् में कहा गया है ‘‘सत्यम् परम् धीमहि’’। इसके चौबीस हजार श्लोक है। चौबीस हजार श्लोकों में से एक एक- एक हजार श्लोकों के बाद एक- एक अक्षर गायत्री का संपुट के रूप में लगाया गया है। जैसे हम आपसे ही, श्रीं, क्लीं वगैरह का सम्पुट गायत्री महामंत्र में लगवाते हैं। रामायण पाठ होते हैं। उसमें सम्पुट लगाते चलते हैं। इसी तरह से एक अक्षर का सम्पुट एक हजार श्लोकों में बाँटा हुआ है। बाल्मीकि रामायण में भी यही है। उसमें भी चौबीस हजार श्लोक हैं और एक हजार श्लोकों से पहले गायत्री मंत्र का एक सम्पुट लगा हुआ है। आप गायत्री महाविज्ञान पढ़ लीजिए उसमें सारे के सारे कथानक दिए हुए हैं। कौन- से अक्षर के बाद में कौन- से श्लोक आते, हैं, पूरा का पूरा व्याख्यान दिया हुआ है। आपको रामचरित पढ़ना हो, कृष्णचरित्र पढ़ना हो तो गायत्री मंत्र की शिक्षाएँ कथानक के माध्यम से समझ लीजिए। ये सारे का सारा गायत्री मंत्र है, जो कुछ भी आपको दिखाई पड़ता है।
गुरुजी और बताइए ! और बेटे अठारह पुराण जो हैं। अठारह पुराण भी यही हैं। क्या है? गायत्री मंत्र का व्याख्यान है और भगवान के अवतार? भगवान के अवतार भी यही हैं। भगवान के अवतार क्या हैं? भगवान के अवतार- हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार चौबीस अवतार हैं। चौबीस अवतार क्या हैं- गायत्री के २४ अक्षर में एक- एक अवतार का व्याख्यान भरा पड़ा है। एक अवतार के एक अक्षर में क्या शिक्षा है? क्या प्रेरणा है? क्या दिशा- धाराएँ है? क्या मनुष्य जाति के लिए आदर्श उपस्थित करते हैं ये? एक अक्षर को आपको समझना हो तो एक अवतार के कथानक के माध्यम से गायत्री का एक अक्षर समझ लेना चाहिए। सारी की सारी कथाएँ- सब जितनी भी कथाएँ हैं, आपको गायत्री मंत्र के एक- एक अक्षर को बता सकती हैं।
हिन्दू धर्म में दो अवतार मुख्य माने गए हैं। अवतार तो २४ हैं, पर २४ अवतारों में दो अवतार मुख्य माने गए हैं- राम और कृष्ण। राम और कृष्ण के जीवन के दृष्टान्त सुनाने वाले दो ग्रन्थ हैं- एक का नाम है- ‘बाल्मीकि रामायण’ जिसमें रामचरित्र दिया हुआ है। दूसरी पुस्तकें उसके अनुवाद के रूप में अन्यान्य भाषाओं में बनाई गई है। रामायणों की बहुत- सी तादाद है। अरे पचास रामायण तो मेरे देखने में आई हैं। लेकिन इनका मूल बाल्मीकि रामायण ही है।
दूसरा ग्रन्थ है- भागवत् कथा- जिसमें श्रीकृष्ण चरित्र दिया हुआ है। ये क्या हैं? ये दोनों ग्रन्थ गायत्री मंत्र के व्याख्यान हैं। श्रीमद्भागवत् में कहा गया है ‘‘सत्यम् परम् धीमहि’’। इसके चौबीस हजार श्लोक है। चौबीस हजार श्लोकों में से एक एक- एक हजार श्लोकों के बाद एक- एक अक्षर गायत्री का संपुट के रूप में लगाया गया है। जैसे हम आपसे ही, श्रीं, क्लीं वगैरह का सम्पुट गायत्री महामंत्र में लगवाते हैं। रामायण पाठ होते हैं। उसमें सम्पुट लगाते चलते हैं। इसी तरह से एक अक्षर का सम्पुट एक हजार श्लोकों में बाँटा हुआ है। बाल्मीकि रामायण में भी यही है। उसमें भी चौबीस हजार श्लोक हैं और एक हजार श्लोकों से पहले गायत्री मंत्र का एक सम्पुट लगा हुआ है। आप गायत्री महाविज्ञान पढ़ लीजिए उसमें सारे के सारे कथानक दिए हुए हैं। कौन- से अक्षर के बाद में कौन- से श्लोक आते, हैं, पूरा का पूरा व्याख्यान दिया हुआ है। आपको रामचरित पढ़ना हो, कृष्णचरित्र पढ़ना हो तो गायत्री मंत्र की शिक्षाएँ कथानक के माध्यम से समझ लीजिए। ये सारे का सारा गायत्री मंत्र है, जो कुछ भी आपको दिखाई पड़ता है।