
चलें शहीदों के पथ हम
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चलें शहीदों के पथ हम
रक्षा बन्धन
चलें शहीदों के पथ हम, माँ संकल्प महान दो।
अगर तुम्हें यह ठीक लगे तो, बहनों राखी बाँध दो॥
फिर से आज महाभारत की, सेना सजती है भारी।
अवतारी के साथ चल पड़े, अपनी है यह तैयारी॥
मोह ग्रस्त होकर ना बैठे, माँ ऐसा सद्ज्ञान दो।
सद्विचार के धागे बाँटकर, बहनों राखी बाँध दो॥
एक ओर कौरव सेना का बिगुल बज रहा स्वार्थ भरा।
योगिराज ने पाण्डव ढल से यज्ञ, भाव भर दिया खरा॥
जो अनीति को मिटा सके माँ, उस साहस का दान दो।
कर्मठता का तिलक लगाकर, बहनों राखी बाँध दो॥
मानव को हम मानवता से, दूर नहीं होने देंगे।
सदभावों का साथ छोड़कर ,, क्रूर नहीं होने देंगे॥
हर मन में सद्भाव जगा दे, माँ ऐसा अनुदान दो।
ममता से मुंह मीठा करके, बहनों राखी बाँध दो॥
चलना है उज्ज्वल भविष्य तक, बिना रुके बढ़ जायेंगे।
मिले सफलता या कि शहीदी, हम मंजिल पा जायेंगे॥
हमसे तप करवालो माता, जन- जन को कल्याण दो।
ऋषि कन्याओं ऋषि पुत्रों को, तुम भी राखी बाँध दो॥
रक्षा बन्धन
चलें शहीदों के पथ हम, माँ संकल्प महान दो।
अगर तुम्हें यह ठीक लगे तो, बहनों राखी बाँध दो॥
फिर से आज महाभारत की, सेना सजती है भारी।
अवतारी के साथ चल पड़े, अपनी है यह तैयारी॥
मोह ग्रस्त होकर ना बैठे, माँ ऐसा सद्ज्ञान दो।
सद्विचार के धागे बाँटकर, बहनों राखी बाँध दो॥
एक ओर कौरव सेना का बिगुल बज रहा स्वार्थ भरा।
योगिराज ने पाण्डव ढल से यज्ञ, भाव भर दिया खरा॥
जो अनीति को मिटा सके माँ, उस साहस का दान दो।
कर्मठता का तिलक लगाकर, बहनों राखी बाँध दो॥
मानव को हम मानवता से, दूर नहीं होने देंगे।
सदभावों का साथ छोड़कर ,, क्रूर नहीं होने देंगे॥
हर मन में सद्भाव जगा दे, माँ ऐसा अनुदान दो।
ममता से मुंह मीठा करके, बहनों राखी बाँध दो॥
चलना है उज्ज्वल भविष्य तक, बिना रुके बढ़ जायेंगे।
मिले सफलता या कि शहीदी, हम मंजिल पा जायेंगे॥
हमसे तप करवालो माता, जन- जन को कल्याण दो।
ऋषि कन्याओं ऋषि पुत्रों को, तुम भी राखी बाँध दो॥