Books - साकार और निराकार ध्यान
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Language: HINDI
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सिद्धांत जीवन में उतरें
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यह क्या है? बेटे, यह एक बुद्धि है, एक विचारणा है, एक संकल्प है, एक सिद्धांत है। अगर ये सिद्धांत हमारे और आपके मन में आएँ तो आप गायत्री के निश्चित रूप से उपासक हैं। यह विवेक आपके भीतर है, तो आप गायत्री के उपासक हैं। हमने इसके शिक्षण के लिए कलेवर बनाकर रखा है-हंस, जिस पर गायत्री सवार रहती हैं। गायत्री हरेक पर सवार नहीं होतीं। क्यों महाराज जी? हमारे यहाँ तो वह है, भैंसा। उस पर बैठा लाएँ तो आ जाएँगी? नहीं बेटे, उस पर नहीं आएँगी। तो महाराज जी, हमारे पास घोड़ा है, घोड़े पर ले आएँ? नहीं बेटे, घोड़े पर भी नहीं आएँगी। तो महाराज जी, हम गायत्री माता को बुलाने के लिए रिक्शा लेकर चले जाएँ? रिक्शा पर बिठाकर ले आएँ रिक्शा पर तो आ ही जाएँगी। नहीं बेटे, रिक्शा पर भी नहीं आएँगी। गायत्री माता को लाना हो तो बेटे, हंस के सिवाय और किसी पर नहीं आ सकतीं। महाराज जी, हंस तो बेकार होता है, किसी और सवारी पर नहीं आ सकतीं? घोड़ा कहें तो घोड़ा ला दूँ हाथी कहें तो हाथी ला दूँ? घोड़े-हाथी पर तो वे कतई नहीं बैठतीं। वे तो हंस पर ही बैठती हैं। हंस से क्या मतलब है? हंस से मतलब है वह व्यक्ति, जो धुला हुआ हो। जिसने अपने कपड़ों को धोकर साफ-सुथरा बनाया हो। हंस से मतलब है वह व्यक्ति, जिसको कि मोती खाने की आदत हो, जो कीड़े-मकोड़े नहीं खाता हो। हंस से मतलब है वह व्यक्ति जो दूध और पानी को अलग अलग करना जानता हो। महाराज जी, ऐसा हंस कौन सा होता है? कोई नहीं होता, बेटे, हम और आप हो सकते हैं।
दोस्तो! हंस एक अलंकार है। जैसा हंस हमने कल्पना कर रखा है, उसे दूध और पानी कहाँ से मिलेगा? दूध-पानी को वह कैसे अलग कर सकता है। यह तो अलंकार है। यह हंस जो कि गायत्री माता का वाहन है, ऐसा हमको भक्त बनना चाहिए अर्थात हमारा जीवन ऐसा बनना चाहिए जैसा कि हंस का होता है। तभी गायत्री माता हमारे कंधे पर सवार होंगी, हमारी पीठ पर सवार होंगी, हमारे सिर पर सवार होंगी। हमारे ऊपर उनकी छत्रछाया बनी रहेगी। क्या मतलब है? बेटे, इसका मतलब यह है कि हमको ध्यान करना चाहिए। किसका? साकार गायत्री माता का। गायत्री माता हमको स्नेह देती हैं। भगवान को जब हम माता के भाव से मानते हैं तो क्या देते हैं भगवान हमको? स्नेह देते हैं, हमको करुणा देते हैं, हमको दयालुता देते हैं और हमको श्रद्धा देते हैं।
दोस्तो! हंस एक अलंकार है। जैसा हंस हमने कल्पना कर रखा है, उसे दूध और पानी कहाँ से मिलेगा? दूध-पानी को वह कैसे अलग कर सकता है। यह तो अलंकार है। यह हंस जो कि गायत्री माता का वाहन है, ऐसा हमको भक्त बनना चाहिए अर्थात हमारा जीवन ऐसा बनना चाहिए जैसा कि हंस का होता है। तभी गायत्री माता हमारे कंधे पर सवार होंगी, हमारी पीठ पर सवार होंगी, हमारे सिर पर सवार होंगी। हमारे ऊपर उनकी छत्रछाया बनी रहेगी। क्या मतलब है? बेटे, इसका मतलब यह है कि हमको ध्यान करना चाहिए। किसका? साकार गायत्री माता का। गायत्री माता हमको स्नेह देती हैं। भगवान को जब हम माता के भाव से मानते हैं तो क्या देते हैं भगवान हमको? स्नेह देते हैं, हमको करुणा देते हैं, हमको दयालुता देते हैं और हमको श्रद्धा देते हैं।