Books - संस्कृति का वैभव पुन:लौटेगा
Media: TEXT
Language: HINDI
Language: HINDI
यज्ञ का विज्ञान सिद्ध करेंगे
Listen online
View page note
Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
यह महापुरश्चरण कैसा है? आप सबने अखबारों में पढ़ा होगा। तो क्या पच्चीस कुंडीय यज्ञों के माध्यम से पुरश्चरण होगा? यज्ञ नहीं बेटे! पुरश्चरण। यज्ञ और पुरश्चरण क्या फर्क पड़ता है? बेटे! अब तक जो हमारे यज्ञ थे, वे प्रशिक्षण और प्रचार, दो उद्देश्यों के लिए होते थे। लोगों को भारतीय संस्कृति के माता पिता की जानकारी कराने के लिए प्रशिक्षण और प्रचार के अब तक के यज्ञ होते रहे हैं। अब क्या है? अब सामर्थ्य वाले यज्ञ होंगे। अब आगे क्या करेंगे? अब हमारे पास दो उद्देश्य हैं। एक तो यज्ञ की वैज्ञानिकता को सिद्ध करना है, जिसमें आप सिद्धि और चमत्कार ढूँढ़ते हैं। जिस सिद्धि और चमत्कार के लिए आप यज्ञ करते हैं, वह काफी नहीं हो सकता। उसके लिए विशेष चीजों की जरूरत होगी। समिधाएँ अलग चाहिए। समिधाएँ ही नहीं, वरन व्यक्तियों ने किस पेड़ पर से कब, किस तरीके से उन्हें तोड़ा और उनके अंदर कैसे संस्कार भर दिए? हवन के लिए जड़ी−बूटियाँ आप बाजार में से नहीं ला सकते। जिस तरह से आप यज्ञ के लिए किसी मंत्र से अभिमंत्रित करके जल लाते हैं, उसी तरह जड़ी-बूटियाँ भी अभिमंत्रित करके लानी पड़ती हैं। सामग्री भी अभिमंत्रित करके लानी पड़ेगी और जो आदमी हवन करने वाले होंगे, उनको भी संस्कारित करना पड़ेगा। उनको क्या करना पड़ेगा? इतने दिनों तक आपने उपवास किया है कि नहीं किया है, ब्रह्मचर्य रखते हैं कि नहीं। बेटे! वे सामर्थ्य वाले यज्ञ हैं, बरसात कराने वाले यज्ञ हैं, संतान देने वाले यज्ञ हैं, शांति देने वाले यज्ञ हैं। वे अलग होंगे। इसके लिए हम अलग प्रयत्न कर रहे हैं।