Books - संस्कृति का वैभव पुन:लौटेगा
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Language: HINDI
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ज्ञान बनाम व्याख्यान
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मित्रो! अभी तो हमने मर्यादा बताई थी, शिष्टाचार बताया था, लोकाचार बताया था, पंचशील बताए थे। वह केवल मर्यादा थी, कानून थे, व्यवस्था थी। यह केवल कानून-व्यवस्था के अंतर्गत पाँच बातें बताई थीं। वह चरित्र संशोधन नहीं था। चरित्र संशोधन के लिए यम-नियमों के लिए हम आपको दावत देंगे और कहेंगे कि आप आइए हमारे साथ रहिए हमारे वातावरण में रहिए। फिर क्या करेंगे? बेटे! हम आपको ज्ञान देंगे। कैसा ज्ञान देंगे? ऐसा जिससे कि आप लोगों को सलाह दे सकने में समर्थ हो सकें। अभी आप लोगों की सलाह नहीं दे सकते। व्याख्या तो कर सकते हैं, पर सलाह नहीं दे सकते। अभी जब आप सलाह देंगे तो गंदी सलाह देंगे, गलत सलाह देंगे। अभी आपका भीतर वाला हिस्सा जब किसी को सलाह देगा तो कैसी सलाह देगा? जैसे आप हैं। आप बढ़िया सलाह नहीं दे सकते, क्योंकि सलाह के समय में आप स्टेज की बात भूल जाएँगे। स्टेज पर खड़े होकर बात कहना अलग है और सलाह की बात अलग है। हमको सलाह देने वाले चाहिए सलाहकार चाहिए। हमको वक्ता नहीं चाहिए सलाहकार चाहिए। हमें सलाह देने वालों की जरूरत पड़ेगी, वक्ताओं की जरूरत नहीं पड़ेगी।