Books - संस्कृति का वैभव पुन:लौटेगा
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Language: HINDI
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गायत्री व यज्ञ सबके
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मित्रो! नया युग, जो आने वाला है; नया संसार; जो आने वाला है; नया समाज, जो आने वाला है नया मनुष्य जो आने वाला है और उसके भीतर जो देवत्व का उदय होने वाला है और धरती पर स्वर्ग का अवतरण होने वाला है। इसके लिए सारे विश्व में गायत्री का आलोक, सविता का आलोक फैलने वाला है। हिंदुस्तान में? केवल हिंदुस्तान में नहीं, वरन सारे विश्व में ब्राह्मण में ही नहीं वरन पूरे मानव समाज में, जिसमें मुसलमान भी शामिल हैं, ईसाई भी शामिल हैं, सबमें गायत्री का प्रकाश फैलने वाला है। तो आप सबको गायत्री पढ़ाएँगे? हाँ बेटे! सबको पढ़ाएँगे। सूरज सबका है, चंद्रमा सबका है, गंगा सबकी है, हवा सबकी है, इसी तरह गायत्री भी सबकी है। गायत्री का जाति-बिरादरी से कोई ताल्लुक नहीं है। वह वेदमाता है, देवमाता है और विश्वमाता है। अगले दिनों इसको विश्वमाता तक पहुँचाने में हमारे जो पुरश्चरण हैं और इसमें जो सामर्थ्य है, इससे हम जनमानस को जाग्रत करेंगे। निष्ठावानों की संख्या बढ़ाएँगे। वातावरण को गरम करेंगे। गायत्री यज्ञों के माध्यम से हम लोक-शिक्षण करेंगे। गायत्री के माध्यम से हम लोगों को नई विचारणाएँ देंगे। गायत्री मंत्र के चौबीस अक्षरों की हम व्याख्या करेंगे और मनुष्य जीवन से संबंधित पारिवारिक जीवन, शारीरिक जीवन, मानसिक जीवन, भौतिक जीवन, हर तरह का जीवन-शिक्षण करेंगे। गायत्री में विचारणाओं का शिक्षण करने की पूरी-पूरी गुंजाइश है और क्या करेंगे? अगले दिनों यज्ञ का शिक्षण करेंगे। लोक-शिक्षण के दो आधार हैं—पहला है विचारों का परिष्कार और दूसरा है कर्म में शालीनता। व्यक्ति के जीवन में शालीनता, सज्जनता और शराफत, सामाजिक जीवन में श्रेष्ठ परंपराएँ अर्थात जीवन को श्रेष्ठ बनाना और समाज को परिष्कृत करना। विचार ऊँचे करना और अच्छे करना, यही प्रमुख लोक-शिक्षण है जिसे हम गायत्री और यज्ञ के माध्यम मे करेंगे। आज की बात समाप्त।
आज की बात समाप्त।
॥ॐ शान्ति:॥
आज की बात समाप्त।
॥ॐ शान्ति:॥