अखिल विश्व गायत्री परिवार के प्रतिनिधि डॉ. चिन्मय पंड्या की पोलैंड यात्रा: भारतीय दर्शन का वैश्विक मंच पर प्रसार
बाल्टिक सागर से लेकर कारपैथी पर्वतमालाओं तक विस्तृत पोलैंड गणराज्य, अपने समृद्ध इतिहास और अप्रतिम वास्तुकला के लिए विश्व भर में प्रशंसित है। इसी मध्य यूरोप की धरती पर हाल ही में अखिल विश्व गायत्री परिवार के प्रतिनिधि और देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी का आगमन हुआ। यह यात्रा उनके बाल्टिक देशों की सफल यात्रा के बाद आयोजित हुई थी।
पोलैंड की राजधानी वारसॉ में, आदरणीय डॉ. पंड्या ने भारतीय राजदूत सुश्री नगमा मलिक से सौहार्दपूर्ण भेंट की। इस महत्त्वपूर्ण अवसर पर, डॉ. पंड्या ने उन्हें युगप्रवर्तक पूज्य गुरुदेव पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी द्वारा प्रतिपादित "वसुधैव कुटुंबकम्" की अमर विचारधारा से परिचित कराया। यह विचारधारा सम्पूर्ण मानव जाति को एक परिवार मानते हुए, परस्पर प्रेम, सौहार्द और सहयोग की भावना को बल देती है।
डॉ. पंड्या ने इस मुलाकात के दौरान विचार किया कि गुरुदेव द्वारा प्रकट की गई यह दर्शनशास्त्र न केवल भारतीय संस्कृति का निखार है, बल्कि आज के वैश्विक परिप्रेक्ष्य में मानवता को नई दिशा देने की क्षमता रखती है। वसुधैव कुटुंबकम् का यह सिद्धांत, विश्वभर के समाजों को एक सूत्र में बाँधने और अंतर्राष्ट्रीय एकता का मार्ग प्रशस्त करने का आह्वान करता है।
आदरणीय डॉ. पंड्या की यह यात्रा केवल भारतीय विचारों के प्रसार तक सीमित नहीं रही, अपितु यह विश्व में शांति, सौहार्द और आध्यात्मिक उत्थान के संदेश को व्यापक रूप से जन-जन तक पहुँचाने की एक नई पहल साबित हुई।
इस यात्रा ने यूरोप की भूमि पर भारतीय आध्यात्मिक धरोहर का पुनः आह्वान किया, जो सम्पूर्ण विश्व के लिए कल्याण और समरसता का संदेश लेकर आया है।