100 सूत्रीय कार्यक्रम
हालांकि आचार्य जी (गुरुदेव) का परिवर्तन सिद्धांत मानता है कि व्यक्तिगत परिवर्तन सामाजिक स्तर पर परिवर्तन की नींव है और एक बार शुरू होने पर सामाजिक परिवर्तन सुचारू रूप से चलेगा, जब सामाजिक परिवर्तन लाया जाएगा, तो यह इस उद्देश्य के लिए जागरूक एवं व्यावहारिक कार्यों से प्रेरित होगा। इसी वजह से उन्होंने पारिवारिक और सामाजिक स्तर पर भी बदलाव कैसे लाया जाए, इस बारे में भी दिशा-निर्देश दिए हैं। इन दिशा-निर्देशों की सबसे पूर्ण अभिव्यक्ति उनके द्वारा "नए युग के लिए 100 सूत्रीय कार्यक्रम" के रूप में की गई थी। इसे आंदोलन के प्रमुख दस्तावेजों में से एक माना जाता है।
इसे निम्नलिखित 10 श्रेणियों में बाँटा गया है:
I. भोजन और व्यक्तिगत स्वास्थ्य
II. अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए सामूहिक प्रयास
III. शिक्षा
IV. धर्म की भूमिका
V. पारिवारिक और सामुदायिक जीवन
VI. विशेष प्रतिभा वाले लोगों की भूमिका
VII. कला की भूमिका
VIII. सद्भावना का वातावरण बनाना है
IX. राजनीति और स्वच्छ चरित्र
X. नए युग की आध्यात्मिक नींव