Mumbai Ashwamedh yagya
श्रद्धेयद्वय द्वारा मुंबई अश्वमेध महायज्ञ के सफलतापूर्वक समापन के बाद शांतिकुंज लौटी टीम के साथ समीक्षा बैठक
देश एवं दुनिया अब भारत की ओर आशा भरी दृष्टि से देख रही है।हमारे ऋषियों द्वारा प्रदत्त सांस्कृतिक धरोहर की ओर अब दुनिया चलने लगी है। उक्त विचार शांतिकुंज की अधिष्ठात्री शैलदीदी ने व्यक्त किए। वे मुंबई में पांच दिवसीय अश्वमेध महायज्ञ के अभूतपूर्व सफलता के साथ समापन के बाद लौटी शांतिकुंज टीम के साथ समीक्षा बैठक कर रही थी।
परम श्रद्धेया शैलदीदी ने कहा कि जिस प्रकार केंद्र सरकार और राज्य सरकार के अग्रिम पंक्ति के लोगों ने अश्वमेध महायज्ञ में प्रतिभाग किया। आयोजन को लेकर अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की और महायज्ञ के उद्देश्यों की पूर्ति का संकल्प लिया, वह यह बताता है कि देश का राजतंत्र धर्मतंत्र को अपने से ऊपर का स्थान दे रहा है। अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख श्रद्धेय डॉ प्रणव पण्ड्या ने कहा कि सांस...
मुंबई अश्वमेध महायज्ञ से नई ऊर्जा लेकर वापस पहुंचे टाटानगर गायत्री परिवार के कार्यकर्ता
परम श्रद्धेय डॉ प्रणव पंड्या एवं स्नेहसलीला परम श्रद्धेया दीदी के प्रत्यक्ष मार्गदर्शन एवं दलनायक परम आदरणीय डॉ चिन्मय पंड्या जी के कुशल नेतृत्व में ऐतिहासिक 1008 कुंडीय अश्वमेध गायत्री महायज्ञ,मुंबई, महाराष्ट्र में टाटानगर गायत्री परिवार के नवयुग दल, युवा प्रकोष्ठ, प्रज्ञा महिला, मंडल के सदस्यों ने उत्साह एवं उमंग के साथ गुरु चरणों के प्रति श्रद्धा समर्पण का भाव रखते हुए अहर्निश अपनी सेवा देकर कीर्तिमान रच दिए। मुंबई अश्वमेध महायज्ञ के व्यवस्था से जुड़े हर विभाग में टाटानगर के युवा एवम महिला मंडल के भाई बहनों का योगदान रहा। युवाओं ने अश्वमेध महायज्ञ में रक्तदान के लिए आहूत शिविर में 15 यूनिट रक्तदान किए। 25 से अधिक युवाओं ने अश्वमेध स्थल में लगाए गए अंगदान शिविर मे अंगदान किए ।सबने मि...
विश्वमंच पर भारत को एक नई पहचान देने के संकल्प के साथ अश्वमेध महायज्ञ की पूर्णाहुति
मुंबई महानगर के खारघर कार्पोरेट पार्क ग्राउण्ड में 21 फरवरी 2024 से शुरु हुए अश्वमेध महायज्ञ के अंतिम दिन 25 फरवरी 2024 को नारी सशक्तिकरण और नशा मुक्त भारत बनाने का संकल्प लिया गया।यज्ञदेव से समस्त संसार के भाव को उज्ज्वल करने,वसुधैव कुटुंबकम के भाव भरने की कामना करते हुए यज्ञशाला की परिक्रमा की गई।सत्य को धारण करने की शक्ति प्रदान करने हेतु यज्ञाश्व से प्रार्थना की गयी। शांतिकुंज के ब्रह्मवादिनी बहिनों, विद्वान आचार्यों एवं उदगाता बंधुओं दृवारा संचालित इस महायज्ञ में सामूहिक कर्मकांड एवं वेदपाठ और ध्यान साधना से लाखों साधक भक्ति के रंग से सतरंगी हो गए। देश के विभिन्न क्षेत्र के अग्रणी लोगों ने भी आहुतियां डालकर इस ऐतिहासिक महायज्ञ में सहभागिता कर राष्ट्र निर्माण की शपथ ली।स्वयं देश के यशस्व...
मुंबई अश्वमेध महायज्ञ में आज अंतिम दिन 24 फरवरी 2024 को यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी लाइव जुड़े
भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री आदरणीय श्री नरेंद्र मोदी जी आज अश्वमेध महायज्ञ में लाइव जुड़े और अखिल विश्व गायत्री परिवार हेतु विशेष संदेश दिया।उन्होनें कहा की “गायत्री परिवार का अश्वमेध यज्ञ सामाजिक संकल्प का महाअभियान बन चुका है। इस अभियान से लाखों युवा नशे और व्यसन की कैद से बचेंगे और युवाओं की शक्ति राष्ट्र निर्माण में लगेंगी। मैं इस अश्वमेध यज्ञ के लिए गायत्री परिवार को शुभकामनाएं देता हूँ”।
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विराट दीपयज्ञ - देव संस्कृति के आलोक से पूरे विश्व को आलोकित करने का संकल्प
'कृण्वन्तो विश्वमार्यम्' अर्थात पूरा विश्व आर्य (श्रेष्ठ) बने, आर्यसमाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती का यह उद्घोष परम पूज्य गुरुदेव का उद्घोष – ‘इक्कीसवीं सदी उज्ज्वल भविष्य’,’घर घर अलख जगाएंगे हम, बदलेंगे जमाना’ आज साकार होता दिखा। आज मुंबई अश्वमेध महायज्ञ के चौथे दिन के भव्य, विराट, दिव्यता से ओतप्रोत सायं काल होने वाले दीप महायज्ञ में परम पूज्य गुरुदेव की भविष्यवाणी एक धर्म, एक जाति, एक देश, एक भाषा का स्वरूप साकार होता हुआ दिखा। कॉर्पोरेट ग्राउन्ड में मानों सम्पूर्ण ब्रह्मांड के साकार दर्शन हो रहे हों। धर्म, जाति, प्रांत, देश, भाषा, आदि के बंधन से ऊपर उठकर सतयुग के सपने को साकार करने के लिए केवल युग सैनिक ही नहीं, मानों सम्पूर्ण धरा के श्रेष्ठ लोग हाथ में दीप लेकर संकल्पित हो रहा हो...
हम विश्व के मित्र बनें - आदरणीय डॉ चिन्मय पंड्या
मुंबई अश्वमेध महायज्ञ के चौथे दिन 24 फरवरी 2024 को यज्ञ मंच से डॉक्टर चिन्मय पंड्या जी ने लोगों को अच्छा इंसान बनने के लिए आवाहन किया। लोगों को सत्कर्म के रास्ते पर चलने के लिए आह्वान किया और अश्वमेध यज्ञ की महता को बताते हुए कहा की यज्ञ से समस्त विश्व का कल्याण होता है। गायत्री से मानव मात्र में सदविवेक का जागरण होता है।यज्ञ से बाहर का वातावरण और अपने अंतःकरण दोनों की शुद्धि होती है। यज्ञ एवं गायत्री से समस्त विश्व को रथ से रौंदने वाला विश्वरथ विश्व का मित्र विश्वामित्र ऋषि बन जाता है। आदरणीय डॉक्टर चिन्मय पंड्या जी ने आज यज्ञ मंच से लोगों का आह्वान किया कि हम सत्कर्म के रास्ते पर आगे बढ़े। हम अच्छाई के रास्ते पर आगे बढ़े। हम लोगों को गलत कर्मों से छुड़ाएं बुराई से छुड़ाकर अच्छाई की तरफ...
"अप्प दीपो भव" का भाव लेकर अपने घरों को जाइए - आदरणीय डॉ चिन्मय पंड्या
मुंबई अश्वमेध महायज्ञ के चौथे दिन 24 फरवरी 2024 के सायं गोधूलि वेल में विराट दीप महायज्ञ का आयोजन किया गया । टिमटिमाते लाखों दीपकों के मध्य में उपस्थित विशाल जनसमूह को आदरणीय डॉ चिन्मय पंड्या जी ने सम्बोधित करते हुए कहा कि ज्योति दीपक से "अप्प दीपो भव" का भाव अपने मन में जगाकर कुछ करने की उमंग लेकर अपने घरों को जाना चाहिए।
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भव्य दीप महायज्ञ का आयोजन
मुंबई अश्वमेध महायज्ञ के चौथे दिन २४ फरवरी २०२४ मुंबई संध्या की वेला में विराट दीप महायज्ञ का आयोजन हुआ। शांतिकुंज के विद्वान आचार्यों द्वारा ज्ञान मंच से दीप महायज्ञ के लिए कर्मकांड का संचालन किया गया। हज़ारों की संख्या में प्रज्ज्वलित दीपकों को देखकर ज्ञान मंच के विशाल प्रांगण में बैठे लाखों श्रद्धालु रोमांचित हो उठे।
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आदरणीया शेफाली पंड्या जीजी का सप्तक्रांतियों द्वारा रचनात्मक भूमिका निभाने के लिए नारियों का आह्वान
मुंबई अश्वमेध महायज्ञ के दूसरे दिन 22 फरवरी 2024 को सायं कलामंच से संस्कृतिपरक प्रेरणादायक मनोहारी कार्यकर्मों के मध्य परम आदरणीया शेफाली जीजी द्वारा अपने उद्बोधन में सप्तक्रांतियों द्वारा रचनात्मक कार्यक्रमों के लिए नारियों का आह्वान किया गया। उनने अपने प्रवचन में कहा की वस्तुतः नारी देवत्व की मूर्तिमान प्रतिमा है- वह दया करुणा, सेवा सहयोग, ममता, वात्सल्य, प्रेम और संवेदना की जीती जागती तस्वीर होती है।पुरुष में साहस, पराक्रम, बल, शौर्य आदि गुण प्रधान होता है परन्तु नारी संवेदना प्रधान होती है। वह ईश्वर की अनुपम कृति है, रचना है जो संसार में प्रेम दिव्यता, संवेदना, ममता, करुणा का संचार करती है। वह मातृत्व व वात्सल्य की विलक्षण विभूति है जो ईश्वर का प्रतिनिधित्व करती है।परम पूज्य गुरुदेव ने न...
स्नेह सलिला, परम श्रद्धेया जीजी द्वारा एक विशाल शिष्य समुदाय को गायत्री मंत्र से दीक्षा
गुरु का ईश्वर से साक्षात संबंध होता है। गुरु जब अपनी आध्यात्मिक ऊर्जा का कुछ अंश शिष्य को हस्तांतरित करता है तो यह प्रक्रिया गुरु दीक्षा कहलाती है। गुरु दीक्षा के उपरांत शिष्य गुरु की आध्यात्मिक सत्ता का उत्तराधिकारी बन जाता है। गुरु दीक्षा एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें गुरु और शिष्य के मध्य ऊर्जा का प्रवाह होने लगता है। गुरु दीक्षा के उपरान्त गुरु और शिष्य दोनों के उत्तरदायित्व बढ़ते हैं। गुरु का उत्तरदायित्व समस्त बाधाओं को दूर करते हुए शिष्य को आध्यात्मिकता की तरफ अग्रसर करना होता है, वहीं शिष्य का उत्तरदायित्व हर परिस्थिति में गुरु के द्वारा बताए गए नियमों का पालन करना होता है। आज मुंबई अश्वमेध के तीसरे दिन 23 फरवरी 2024 को स्नेह सलिला, परम श्रद्धेया जीजी द्वारा एक विशाल शिष्य समुदाय को गायत...