हम विश्व के मित्र बनें - आदरणीय डॉ चिन्मय पंड्या
मुंबई अश्वमेध महायज्ञ के चौथे दिन 24 फरवरी 2024 को यज्ञ मंच से डॉक्टर चिन्मय पंड्या जी ने लोगों को अच्छा इंसान बनने के लिए आवाहन किया। लोगों को सत्कर्म के रास्ते पर चलने के लिए आह्वान किया और अश्वमेध यज्ञ की महता को बताते हुए कहा की यज्ञ से समस्त विश्व का कल्याण होता है। गायत्री से मानव मात्र में सदविवेक का जागरण होता है।यज्ञ से बाहर का वातावरण और अपने अंतःकरण दोनों की शुद्धि होती है। यज्ञ एवं गायत्री से समस्त विश्व को रथ से रौंदने वाला विश्वरथ विश्व का मित्र विश्वामित्र ऋषि बन जाता है। आदरणीय डॉक्टर चिन्मय पंड्या जी ने आज यज्ञ मंच से लोगों का आह्वान किया कि हम सत्कर्म के रास्ते पर आगे बढ़े। हम अच्छाई के रास्ते पर आगे बढ़े। हम लोगों को गलत कर्मों से छुड़ाएं बुराई से छुड़ाकर अच्छाई की तरफ ले जाने की कोशिश करें। हम सम्पूर्ण विश्व के मित्र बनें।
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*क्या आप अत्याधिक चिन्तनशील प्रकृति के हैं? सारे दिन अपनी बाबत कुछ न कुछ गंभीरता से सोचा ही करते हैं? कल हमारे व्यापार में हानि होगी या लाभ, बाजार के भाव ऊँचे जायेंगे, या नीचे गिरेंगे।* अमुक ...
भारत, भारतीयता और करवाचौथ पर्व
करवा चौथ भारतीय संस्कृति में एक विशेष और पवित्र पर्व है, जिसे विवाहित स्त्रियाँ अपने पति की दीर्घायु, सुख-समृद्धि और आरोग्य के लिए मनाती हैं। इस व्रत का धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व अत्यधिक...
प्रत्येक परिस्थिति में प्रसन्नता का राजमार्ग (भाग 4)
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घृणा का स्थान
निंदा, क्रोध और घृणा ये सभी दुर्गुण हैं, लेकिन मानव जीवन में से अगर इन दुर्गुणों को निकल दीजिए, तो संसार नरक हो जायेगा। यह निंदा का ही भय है, जो दुराचारियों पर अंकुश का काम करता है। यह क्रोध ही है,...
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यहाँ एक बात याद रखनी चाहिए कि संस्कृति का माता की तरह अत्यंत विशाल हृदय है। धर्म सम्प्रदाय उसके छोटे-छोटे बाल-बच्चों की तरह हैं, जो आकृति-प्रकृति में एक-दूसरे से अनमेल होते हुए भी माता की गोद में स...