अमरकंटक शक्तिपीठ से जुड़ा अद्भुत, आश्चर्यजनक सत्य
आदरणीय डॉ. चिन्मय जी के उद्बोधन से
पूर्व शक्तिपीठ व्यवस्थापक श्री विष्णु पण्ड्या जी ने स्वागत उद्बोधन दिया। इस अवसर पर उन्होंने शक्तिपीठ से जुड़ी एक विशेष घटना का उल्लेख किया। उन्होंने बताया-गायत्री शक्तिपीठ सावित्री सरोवर और गायत्री सरोवर के मध्य बना है। इस भूमि का चयन स्वयं परम पूज्य गुरूदेव ने किया था। उन्होंने यहाँ बिलासपुर के एक बड़े व्यापारी, समर्पित कार्यकर्त्ता श्री लक्ष्मण प्रसाद अग्रवाल जी से इस भूमि को शक्तिपीठ निर्माण के लिए आबंटित कराने का निर्देश दिया था। श्री अग्रवाल जी कलेक्टर महोदय के पास आवेदन लेकर पहुँचे, लेकिन उन्होंने यह जमीन नहीं दी, एक अन्य गड्ढे वाली भूमि आबंटित कर दी।
अग्रवाल जी निराश थे। शान्तिकुञ्ज आकर सारी बात परम पूज्य गुरूदेव को बताई। पूज्य गुरूदेव बोले, ‘‘बेटा! वही भूमि मिलेगी, जो मैंने चयन की है।’’अग्रवाल जी लौट आए। आने पर देखा कि चमत्कार हो गया है। पटवारी ने कलेक्टर द्वारा बताई भूमि को आबंटित करने की बजाय भूल से वही भूमि गायत्री परिवार को आबंटित कर दी थी, जो परम पूज्य गुरूदेव ने चुनी थी, जहाँ आज गायत्री शक्तिपीठ बना है।
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