बच्चों का ग्रीष्मकालीन सत्र ‘उत्कर्ष-2024’
जैसलमेर। राजस्थान
गायत्री परिवार की युवा इकाई दिया द्वारा आदर्श विद्या मंदिर सुल्ताना में समर कैम्प ‘उत्कर्ष-2024’ का आयोजन किया गया। मई के तृतीय सप्ताह में आयोजित इस शिविर में सैकड़ों बच्चों ने इसमें भाग लेते हुए बहुआयामी शिक्षाएँ प्राप्त कीं। उन्हें योग, यज्ञ, खेलकूद, विभिन्न प्रतियोगिताएँ एवं बौद्धिक कक्षाओं के माध्यम से स्वावलम्बन,सहकारिता, नेतृत्व, राष्ट्रप्रेम, व्यक्तित्व निर्माण, विपरीत परिस्थितियों में आत्मविश्वास संबंधी शिक्षाएँ दी गई।
कमल सिंह, सुमेर सिंह एवं महिपाल सिंह ने योगाभ्यास कराया। लूण सिंह कनोई, नरपतलाल शर्मा ने यज्ञ के माध्यम से शिक्षाएँ दीं। मुकुट शर्मा ने रामायण की प्रगतिशील प्रेरणाएँ बताइर्ं। माया बोरावट व किरण भाटी ने संगीत, अभिनय कला, लेखन, भाषण इत्यादि संबंधी मार्गदर्शन दिया। इसी प्रकार अनेक युवा प्रशिक्षकों ने बच्चों को नैतिक शिक्षाएँ दीं, गुणवान बनने के सूत्र सिखाए।
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परीक्षा की वेला आ गई-
साल में एक बार छात्रों की परीक्षा होती है, उस पर उनके आगामी वर्ष का आधार बनता है। प्रबुद्ध आत्माओं की परीक्षा का भी कभी-कभी समय आया करता है। त्रेता में दूसरे लोग कायरताग्रस्त हो चुप हो बैठे थे, तब ...
माँसाहार या शवाहार
मित्रों !! जिसे हम मांस कहते हैं वह वास्तव में क्या है?आत्मा के निकल जाने के बाद पांच तत्व का बना आवरण अर्थात शरीर निर्जीव होकर रह जाता है।यह निर्जीव,मृत अथवा निष्प्राण शरीर ही लाश या शव कहलाता है।...
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कर्मफल हाथों-हाथ
अहंकार और अत्याचार संसार में आज तक किसी को बुरे कर्मफल से बचा न पाये। रावण का असुरत्व यों मिटा कि उसके सवा दो लाख सदस्यों के परिवार में दीपक जलाने वाला भी कोई न बचा। कंस, दुर्योधन, हिरण्यकशिपु की क...
अहंकार के मोह जाल से बचिये।
यद्यपि सम्पूर्ण भीतरी शत्रुओं- माया, मोह, ईर्ष्या, काम, लोभ, क्रोध इत्यादि का तजना कठिन है, तथापि अनुभव से ज्ञान होता है कि ‘अहंकार’ नामक आन्तरिक शत्रु को मिटाना और भी कष्ट साध्य है। यह...
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विपत्ति में अधीर मत हूजिए।
जिस बात को हम नहीं चाहते हैं और देवगति से वह हो जाती है, उसके होने पर भी जो दुखी नहीं होते किन्तु उसे देवेच्छा समझ कर सह लेते हैं, वही धैर्यवान पुरुष कहलाते हैं। दुःख और सुख में चित्त की वृत्ति को ...
सेवाव्रती साधुओं! आओ!!
हिन्दू धर्म और हिन्दू समाज की सेवा के व्रती लाखों साधु संन्यासी, भारतवर्ष के ग्रामों, कस्बों और नगरों में स्वतन्त्रता से विचरते हैं। हिन्दू जाति के इस घोर संकट के समय उनका क्या कर्तव्य है? इस विषय ...
पाँच अमानतें, जो ईश्वरीय प्रयोजनों में ही लगाई जाएँ
गीता में भगवान ने विभूति योग का वर्णन करते हुए बताया है कि जहाँ कहीं विशेषताएँ परिलक्षित होती हैं, वहाँ मेरा विशेष अंश देखा, समझा जाना चाहिए। सर्व साधारण को जो विशेषताएँ, विभूतियाँ नहीं मिली हैं और...
आवेशग्रस्त न रहें, सौम्य जीवन जियें (अन्तिम भाग)
भय में अपनी दुर्बलता की अनुभूति प्रथम कारण है और दूसरा है- हर स्थिति को अपने विपरीत मान बैठना। आशंकाग्रस्त व्यक्ति भोजन में विष मिला होने की कल्पना करके स्त्री द्वारा बनाये, परोसे जाने पर भी ...