श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्वोत्सव ने उकेरी सत्प्रवृत्ति संवर्धन एवं दुष्प्रवृत्ति उन्मूलन की उमंगें
शान्तिकुञ्ज के सत्संग भवन में मनाए गए जन्माष्टमी उत्सव में उमंग और उल्लास के साथ भाग लेते भक्तगण
गायत्री तीर्थ शान्तिकुञ्ज में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर भगवान श्रीकृष्ण की भव्य झाँकी सजाई गयी थी। श्रद्धालुओं ने विधि विधान से पूजा अर्चना की। सम्पूर्ण कार्यक्रम में भगवान श्रीकृष्ण के प्रति श्रद्धा और भक्ति का सुंदर समन्वय किया गया था। बाल गोपाल के दर्शन, नमन, वंदन करने सबके प्रिय युवा आदर्श आदरणीय डॉ. चिन्मय पण्ड्या जी भी
सपत्नीक कार्यक्रम में उपस्थित हुए। उन्होंने अपने संदेश में कहा कि श्रीकृष्ण बाल्यावस्था ही नहीं, उनका सम्पूर्ण जीवन ही अन्याय का प्रतिकार और न्याय की रक्षा करने में बीता था। श्रीकृष्ण ने कभी भी किसी प्रलोभन या भय के वशीभूत होकर अन्याय के सम्मुख सिर नहीं झुकाया, वरन उसके विरूद्ध डटकर लड़े और अन्याय व अत्याचार को मिटाया। भगवान श्रीकृष्ण ने जनीतिक, सामाजिक, धार्मिक, कला संबंधी सभी क्षेत्रों में कार्य किया और लोगों को असत मार्ग से हटाकर सन्मार्ग पर चलाया। श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या जी एवं श्रद्धेया शैल जीजी ने सभी को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनाएँ दी। उन्होंने कहा कि योगेश्वर श्रीकृष्ण की ही तरह परम पूज्य गुरूदेव एवं परम वंदनीया माताजी की शक्तियाँ और उनका दिव्य संरक्षण हमारे साथ है। श्रीकृष्ण के साथी, सखाओं की तरह हमें भी अवांछनीयताओं और अनाचारों से संघर्ष के लिए साहसपूर्वक आगे आना चाहिए। श्री श्याम बिहारी दुबे जी ने विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से जनमानस को राक्षसी प्रवृत्तियों से दूर रहने के उपाय सुझाये। उन्होंने कहा कि दुष्प्रवृत्तियाँ मानव जीवन को खोखला कर देती हैं। संगीत विभाग के युगगायकों ने श्रीकृष्ण के भजन एवं गीत प्रस्तुत कर श्रोताओं की श्रद्धा और भक्तिभाव को प्रेरक उछाल दी। गायत्री विद्यापीठ के नौनिहालों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। इस अवसर पर गायत्री विद्यापीठ व्यवस्था मण्डल की प्रमुख आदरणीया शेफाली पण्ड्या जी ने छात्र-छात्राओं का उत्साहवर्धन किया।
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