अखण्ड ज्योति के प्राकट्य एवं परम वंदनीया माता भगवती देवी शर्मा जी की जन्मशताब्दी के निमित्त आरंभ हो रही हैं राष्ट्रव्यापी ज्योति कलश यात्राएँ
बसंत पंचमी सन् 1926 में परम पूज्य गुरूदेव द्वारा अखण्ड ज्योति प्राकट्य और शक्तिस्वरूपा परम वंदनीया माता भगवती देवी शर्मा जी के धरा पर अवतरण की दो ऐतिहासिक घटनाएँ घटीं। दोनों का उद्देश्य आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक चेतना के पुनर्जागरण के साथ समाज में वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना का विस्तार और उसके द्वारा ‘मानव में देवत्व का उदय एवं धरती पर स्वर्ग का, नवयुग का अवतरण’ रहा है। अखिल विश्व गायत्री परिवार ने विगत कई दशकों से इस कल्प की सिद्धि हेतु अथाह कार्य किया है, तरह-तरह के अभियान चलाए हैं। वर्ष 2026 अखण्ड ज्योति के प्राकट्य और परम वंदनीया माताजी के जन्म का शताब्दी वर्ष है। इसे देखते हुए युगतीर्थ शान्तिकुञ्ज में अखण्ड ज्योति को प्रचण्ड ज्योति में परिवर्तित करने का संकल्प उभरा है, जिसके प्रकाश में जन-जन के मन में सनातन संस्कृति के उदात्त आदर्शों के प्रति आस्था बढ़े, समाज में व्याप्त कुरीतियों, अंधविश्वास, भेदभाव, अराजकता, अवांछनीयताओं का कुहासा छटे और पूरे देश में समरसता, सद्भावना का वातावरण बने, ऐसे प्रयास किए जा रहे हैं। आगामी दिनों पूरे देश में ‘ज्योति कलश यात्राएँ’ निकाली जा रही हैं। यह यात्राएँ सीधे शान्तिकुञ्ज के नेतृत्व और मार्गदर्शन में संचालित होंगी। शान्तिकुञ्ज में इन दिनों ज्योति कलश यात्राओं हेतु क्षेत्रवार विशेष कार्यशालाएँ आयोजित हो रही हैं। इनमें जोन, उपजोन, जिला और तहसील स्तरीय कार्यकर्त्ता भाग ले रहे हैं। ज्योति कलश यात्राओं के उद्देश्य और समग्र योजना की रूपरेखा स्पष्ट करना, यात्राओं के मार्ग का निर्धारण तथा उनके संचालन की विधि-व्यवस्था सुनिश्चित करना इन कार्यशालाओं का मुख्य प्रयोजन है।
ज्योति कलशों का हस्तांतरण
शान्तिकुञ्ज में आयोजित कार्यशालाओं में श्रद्धेया शैल जीजी एवं श्रद्धेय डॉक्टर साहब शक्ति कलशों में शक्ति संचार हेतु विशेष पूजन करने के पश्चात् उन्हें रथों में स्थापित करने के लिए संबंधित क्षेत्र के कार्यकर्त्ताओं को सौंप रहे हैं। इस विशिष्ट पूजन के साथ कार्यकर्त्ताओं को युगतीर्थ के ऊर्जा अनुदान भी प्राप्त हो रहे हैं।
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