दे.सं. विश्वविद्यालय में मातृभूमि मंडपम और भारत माता की भव्य प्रतिमा का अनावरण
देसंविवि : एक अद्वितीय स्मारक
राष्ट्रीयता एवं सामाजिक चेतना जगाने वाला विश्व का अद्वितीय विश्वविद्यालय बना देव संस्कृति विश्वविद्यालय, जहाँ एक ही परिसर में स्थापित हैं विशाल राष्ट्रध्वज, शौर्य की दीवार और मातृभूमि मंडपम्
देव संस्कृति विश्वविद्यालय, शान्तिकुञ्ज में दिनांक 27 अक्टूबर को लगभग 1000 लोगों के बैठने की क्षमता वाले ‘मातृभूमि मंडपम’ और उसमें स्थापित ‘भारत माता’ की भव्य प्रतिमा का अनावरण हुआ। विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति आदरणीय डॉ. चिन्मय पण्ड्या जी के मार्गदर्शन में एक अभिनव प्रयोग के साथ इसका लोकार्पण हुआ। तिरंगे के रंगों में स्थित लगभग आठ वर्ष के 24 बच्चों ने अपने हाथों में तिरंगा लहराते हुए वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच मातृभूमि मण्डपम का अनावरण-लोकार्पण किया। आदरणीय डॉ. चिन्मय जी ने कहा कि देश के भावी 24 कर्णधारों के हाथों मातृभूमि मण्डपम का अनावरण होना एक आनंदित करने वाला पल है। कल उन्हीं का है और जिनका कल है, उन्हें आज की कहानी लिखने का अधिकार होना चाहिए। माननीय प्रति कुलपति जी ने कहा कि देव संस्कृति विश्वविद्यालय राष्ट्र की सांस्कृतिक चेतना में रचे-पचे देश के भावी कर्णधारों को गढ़ने की टकसाल है। यह विश्व का एक ऐसा अद्वितीय विश्वविद्यालय बन गया है, जहाँ 100 फीट ऊँचा विशाल राष्ट्रध्वज, उत्तराखण्ड के शहीदों के सम्मान में निर्मित शौर्य की दीवार तथा राष्ट्रीयता की भावना का पोषण करने वाला मातृभूमि मंडपम स्थित है। मातृभूमि मण्डपम के अनावरण के पश्चात् आदरणीय डॉ. चिन्मय पण्ड्या जी, कुलपति श्री शरद पारधी जी, शान्तिकुञ्ज के व्यवस्थापक श्री योगेन्द्र गिरी जी एवं अन्य गणमान्यों ने भारत माता की आरती की। श्री शरद पारधी जी एवं योगेन्द्र जी ने भी राष्ट्रगौरव बढ़ाने वाले उद्गार व्यक्त किये। इस अवसर पर देसंविवि एवं शान्तिकुञ्ज परिवार के अनेकानेक लोग उपस्थित रहे।
मातृभूमि मण्डपम
मातृभूमि मण्डपम एक गोलाकार, सीढ़ीदार सभागार है। इसमें लगभग एक हजार व्यक्ति एक साथ बैठ सकते हैं। सामने भारत माता के ध्यान एवं वंदना की सुविधा के लिए पृथ्वी केऊपर भारत माता की दिव्य मूर्ति लगाई गयी है।
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