दिवंगत देवात्माओं को भावभरी श्रद्धाञ्जलि
भावभरी श्रद्धाञ्जलि
घाटोटांड़, रामगढ़। झारखण्ड गायत्री शक्तिपीठ घाटोटांड़ से जुड़े समर्पित कार्यकर्त्ता श्री दुर्गा प्रसाद जी का 8 अक्टूबर को 69 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वे मुंगेर, बिहार के मूल निवासी थे और सन् 1989 से मिशन को अपनी सेवाएँ प्रदान कर रहे थे।
इंदौर। मध्य प्रदेश : इंदौर के वयोवृद्ध कार्यकर्त्ता श्री राधेश्याम आचार्य तथा श्री रमेशचंद्र राजपूत का देहावसान हो गया। स्व. श्री आचार्य जी ने भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा के जिला संयोजक के रूप में भी सेवाएँ प्रदान कीं। अनेक वर्षों तक मिशन की सेवा करने के बाद 84 वर्ष की आयु में उन्होंने जीवन की अंतिम साँस ली। श्री रमेशचंद्र राजपूत पुलिस विभाग में पुलिस सब इंस्पेक्टर, इंस्पेक्टर, पुलिस उप अधीक्षक आदि पदों पर सेवाएँ देते हुए भी परम पूज्य गुरूदेव के सच्चे शिष्य की भूमिका निभाते रहे। वे गायत्री शक्तिपीठ केसरबाग रोड, इंदौर के साथ जुड़कर पूज्य गुरूदेव की विचारधारा से लोगों को जोड़ते रहे।
निभाई नेत्रदान की पुण्य परंपरा
श्री महेन्द्र कुमार गुप्ता, मेरठ। उत्तर प्रदेश गायत्री परिवार मेरठ के वयोवृद्ध परिजन श्री महेंद्र कुमार गुप्ता, मुरारीपुरम का दिनांक 4 नवम्बर को 85 वर्ष की आयु में देहावसान हो गया। उन्होंने मरणोपरांत भी परमार्थ की पुण्य परंपरा का अनुसरण करते हुए अपने नेत्रदान का संकल्प लिया था, तद्नुसार उनके दोनों नेत्र लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज के आई बैंक को दान कर दिये गए।
श्री समरेन्द्र नारायण सिंह, उत्तरी दिल्ली: उत्तरी दिल्ली शाखा के साथ जुड़कर मिशन का विस्तार कर रहे श्री समरेन्द्र नारायण सिंह का दिनांक 29 अक्टूबर 2024 को देहावसान हो गया। स्व. श्री समरेन्द्र जी ने सुमधुर वाणी में प्रज्ञा गीतों के माध्यम से और मिशन की विभिन्न पत्रिकाओं का वितरण करते हुए समाज पर अपनी अमिट छाप छोड़ी है। वे अपनी धर्मपत्नी श्रीमती मधु सिंह और तीन बच्चों के साथ रहते हुए दिल्ली में अपनी सेवाएँ प्रदान कर रहे थे।
श्रीमती कुमारी बाई साहू, भिलाई। छत्तीसगढ़: रिसाली, भिलाई निवासी मिशन की कार्यकर्त्ता बहिन श्रीमती कुमारी बाई साहू का दिनांक 9 नवम्बर 2024 को 55 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वे 30 वर्षों से अधिक समय से मिशन की सेवा में संलग्न थीं। 1993 में संपन्न भिलाई अश्वमेघ यज्ञ में और 1911 में सम्पन्न जन्म शताब्दी समारोह में उन्होंने विशेष सेवाएँ प्रदान कीं।
Recent Post
24 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ को लेकर जोर शोर से चल रही हैं तैयारियां
कौशाम्बी जनपद के करारी नगर में अखिल विश्व गायत्री परिवार के तत्वावधान में 24 कुंडीय गायत्री महायज्ञ का आयोजन होने जा रहा है। कार्यक्रम 26 नवंबर से शुरू होकर 29 नवंबर तक चलेगा। कार्यक्रम की तैयारिया...
कौशाम्बी जनपद में 24 कुंडीय गायत्री महायज्ञ 26 नवंबर से 29 नवंबर तक
उत्तर प्रदेश के कौशाम्बी जनपद में अखिल विश्व गायत्री परिवार की जनपद इकाई के द्वारा करारी नगर में 24 कुंडीय गायत्री महायज्ञ का आयोजन 26 नवंबर से प्रारंभ हो रहा है। यह कार्यक्रम 26 से प्रारंभ होकर 29...
चिन्तन कम ही कीजिए।
*क्या आप अत्याधिक चिन्तनशील प्रकृति के हैं? सारे दिन अपनी बाबत कुछ न कुछ गंभीरता से सोचा ही करते हैं? कल हमारे व्यापार में हानि होगी या लाभ, बाजार के भाव ऊँचे जायेंगे, या नीचे गिरेंगे।* अमुक ...
भारत, भारतीयता और करवाचौथ पर्व
करवा चौथ भारतीय संस्कृति में एक विशेष और पवित्र पर्व है, जिसे विवाहित स्त्रियाँ अपने पति की दीर्घायु, सुख-समृद्धि और आरोग्य के लिए मनाती हैं। इस व्रत का धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व अत्यधिक...
प्रत्येक परिस्थिति में प्रसन्नता का राजमार्ग (भाग 4)
बुराई की शक्ति अपनी सम्पूर्ण प्रबलता के साथ टक्कर लेती है। इसमें सन्देह नहीं है। ऐसे भी व्यक्ति संसार में हैं जिनसे ‘‘कुशल क्षेम तो है’’ पूछने पर ‘‘आपको क्...
घृणा का स्थान
निंदा, क्रोध और घृणा ये सभी दुर्गुण हैं, लेकिन मानव जीवन में से अगर इन दुर्गुणों को निकल दीजिए, तो संसार नरक हो जायेगा। यह निंदा का ही भय है, जो दुराचारियों पर अंकुश का काम करता है। यह क्रोध ही है,...
अनेकता में एकता-देव - संस्कृति की विशेषता
यहाँ एक बात याद रखनी चाहिए कि संस्कृति का माता की तरह अत्यंत विशाल हृदय है। धर्म सम्प्रदाय उसके छोटे-छोटे बाल-बच्चों की तरह हैं, जो आकृति-प्रकृति में एक-दूसरे से अनमेल होते हुए भी माता की गोद में स...
प्रगति के पाँच आधार
अरस्तू ने एक शिष्य द्वारा उन्नति का मार्ग पूछे जाने पर उसे पाँच बातें बताई।
(1) अपना दायरा बढ़ाओ, संकीर्ण स्वार्थ परता से आगे बढ़कर सामाजिक बनो।
(...
कुसंगत में मत बैठो!
पानी जैसी जमीन पर बहता है, उसका गुण वैसा ही बदल जाता है। मनुष्य का स्वभाव भी अच्छे बुरे लोगों के अनुसार बदल जाता है। इसलिए चतुर मनुष्य बुरे लोगों का साथ करने से डरते हैं, लेकिन अच्छे व्यक्ति बुरे आ...
अहिंसा और हिंसा
अहिंसा को शास्त्रों में परम धर्म कहा गया है, क्योंकि यह मनुष्यता का प्रथम चिन्ह है। दूसरों को कष्ट, पीड़ा या दुःख देना निःसंदेह बुरी बात है, इस बुराई के करने पर हमें भयंकर पातक लगता है। और उस पातक ...