कौशाम्बी जनपद में 4 दिवसीय 24 कुण्डीय शक्तिसंवर्धन गायत्री महायज्ञ का कार्यक्रम हुआ सम्पन्न
● 28 नवंबर को सायंकालीन 2400 दीपों से दीपयज्ञ का हुआ आयोजन
● सैकड़ों परिजनों ने यज्ञ के साथ कराए विभिन्न संस्कार, महिलाओं ने धारण किया यज्ञोपवीत
● प्रतिदिन प्रातः 6 बजे से प्रज्ञायोग, ध्यान साधना के साथ प्रारंभ होता था कार्यक्रम
कौशाम्बी: उत्तर प्रदेश से मां शीतला शक्तिपीठ का तीर्थक्षेत्र, भगवान बुद्ध जी की तपस्थली, 6वें तीर्थंकर पद्मप्रभु जी की जन्मस्थली ऐतिहासिक क्षेत्र कौशाम्बी जनपद के करारी नगर में अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज के तत्वावधान में 24 कुण्डीय शक्तिसंवर्धन गायत्री महायज्ञ का आयोजन 26 नवंबर से प्रारंभ होकर शुक्रवार 29 नवंबर को गायत्री महायज्ञ में पूर्णाहुति के साथ संपन्न हुआ।
करारी नगर में कोतवाली के समीप 26 नवंबर से 24 कुंडीय गायत्री महायज्ञ का शुभारंभ हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ नगर में भव्य कलश यात्रा निकाल कर किया गया। कलश यात्रा में महिलाएं 108 कलश के साथ, प्रज्ञा पुराण, झंडा, सदवाक्य दफ़्ती आदि लेकर चल रहीं थीं साथ ही माइक से जयकारों के साथ विचार क्रांति के नारों की पुकार हो रही थी। कलश यात्रा के समाप्त होने के पश्चात शाम 5 बजे से शांतिकुंज हरिद्वार से पधारे टोली नायक आचार्य राम तपस्या जी के साथ दीपक कुमार, जनक, हरिबीर ने संगीतमय प्रवचन किया। प्रवचन का आयोजन प्रतिदिन शाम 5 बजे से होता था जो 28 नवंबर तक चला। 28 नवंबर शाम को प्रवचन के बाद 2400 दीपों से दीपयज्ञ का आयोजन हुआ। दीपों को सजाने का कार्य गायत्री परिवार की कार्यक्रम उपाचार्य बहनों ने किया। दीपों के जलते ही मंत्रोच्चार के साथ पूरा पंडाल भक्ति भाव से सराबोर हो गया।
शांतिकुंज के टोली नायक राम तपस्या जी ने बताया कि गायत्री परिवार का आयोजन मानव को महामानव व मनुष्य में देवत्व के उदय के उद्देश्य से आयोजित किया जाता है। प्रवचन के माध्यम से बताया गया कि हमें अपने कार्यों के साथ ही समाज और राष्ट्र को समर्थ, सशक्त बनाने के लिए भी सोचने, विचारने और कार्य करने की आवश्यकता है। समाज में जाति पाति जैसी अनेक प्रकार की कुरीतियां फैली हुई हैं जिसका उन्मूलन आवश्यक है। नारी जागरण से लेकर पर्यावरण संरक्षण के विषय पर भी आचार्य जी का मार्गदर्शन प्रवचन के माध्यम से सभी को प्राप्त हुआ।
कौशाम्बी से अभिषेक जायसवाल ने बताया कि 28 एवं 29 नवंबर को महायज्ञ के साथ ही सौ से अधिक दीक्षा संस्कार, पुंसवन संस्कार, यज्ञोपवीत संस्कार, नामकरण संस्कार, अन्नप्राशन संस्कार, विवाह दिवस आदि संस्कार सम्पन्न हुए। कार्यक्रम में 30 से अधिक महिलाओं ने दीक्षा संस्कार प्राप्त कर यज्ञोपवीत धारण किया। 27 से 29 नवंबर तक सुबह 8 बजे से चलने वाले महायज्ञ में हजारों की संख्या में जनपद के साथ ही अन्य जनपद से आए लोगों ने प्रतिभाग किया।
कार्यक्रम में प्रमुख रूप से जिला समन्वयक घनश्याम सिंह, जिला संयोजक डॉ झुन्नू शास्त्री, सहसंयोजक सुरेश जायसवाल, राजेन्द्र प्रसाद, भा० संस्कृति ज्ञान परीक्षा संयोजक राम सनेही, धर्मेंद्र सोनी, मंच संचालक डॉ ज्ञानेश्वर त्रिपाठी, योग प्रशिक्षक राधिका कुशवाहा, नरेश चंद्र, उमेश केसरवानी, राकेश अग्रहरि, राजेश श्रीवास्तव, वीरेंद्र जायसवाल, रामबाबू केसरवानी, सौरभ वर्मा, प्रेमलता, नीरज देवी, शिखा कुशवाहा, सीता केसरवानी, तनुश्री, महिमा, उर्मिला, सीमा, अंजली, अर्चना, प्रियंका, सुनीता, हिमांशु कुमार, आकाश वैदिक, उमेश निषाद, मनोज केसरवानी, कामता प्रसाद आदि लोग रहें।
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