डॉ. चिन्मय पंड्या जी का बागली प्रवास: गायत्री प्रज्ञापीठ के नए भवन का लोकार्पण और जटाशंकर महादेव का अभिषेक
आदरणीय डॉक्टर चिन्मय पंड्या जी अपने पांच दिवसीय प्रवास के अगले चरण में देवास जिले के गायत्री प्रज्ञापीठ, बागली पहुंचे। इस अवसर पर नवयुग के मत्स्यावतार के प्रतीक चरण के रूप में अखिल विश्व गायत्री परिवार के प्रज्ञा संस्थान, गायत्री प्रज्ञापीठ, बागली के नए भवन का लोकार्पण किया गया।
इस अवसर पर बागली में कार्यकर्ता गोष्ठी में परिजनों को संबोधित करते हुए उन्होंने गायत्री परिवार की मत्स्यावतार प्रक्रिया को समझाया और उन्होंने कहा कि परम पूज्य गुरुदेव की साधना, परम वंदनीया माताजी के जन्म के सौ वर्ष और अखंड दीपक के प्राकट्य के सौ वर्ष का यह ऐतिहासिक अवसर मानवता के अंधकार को दूर करने का हैं। गायत्री परिजनों के सौभाग्य की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा, "मनुष्य के जीवन में सौभाग्य का जागरण उसी दिन से प्रारंभ हो जाता है जब मन निर्मल होना प्रारंभ हो जाता है। भावनाएं प्रार्थना बन जाती है, मुंह से निकलने वाले शब्द मंत्र बन जाते है। निर्मलता और भक्ति के भाव के साथ हम जब भगवान को पुकारते है भगवान कहीं भी हों उन्हें आना पड़ता है।"
इसके पश्चात उन्होंने गायत्री परिवार बागली के परिजनों के घर जाकर उन्हें देव स्थापना का चित्र भेंट किया।
तत्पश्चात् डॉ पंड्या जी ने बागली स्थित प्रसिद्ध जटाशंकर महादेव का अभिषेक एवं पूजन कर सभी के कल्याण की प्रार्थना की। जटाशंकर महादेव बागली क्षेत्र में स्थित एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण एवं आध्यात्मिक स्थल है जहां जल की एक धारा से सदियों से जटाशंकर महादेव का निरंतर अभिषेक हो रहा है। यह मां नर्मदा की सहायक नदी खारी नदी का उद्गम स्थल भी है। मान्यताओं के अनुसार भौगोलिक दृष्टिकोण से जटाशंकर महादेव बाबा महाकाल और ओंकारेश्वर महादेव की ठीक मध्य में स्थित है।
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