शिक्षक ही राष्ट्र के सच्चे भाग्य विधाता ः डॉ पण्ड्या
देसंविवि व गायत्री विद्यापीठ ने शिक्षक दिवस उल्लासपूर्वक मनाया
हरिद्वार 5 सितंबर।
अपना जीवन शिक्षा के विस्तार के लिए समर्पित करने वाले भारतरत्न डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी की जन्म जयंती देवसंस्कृति विश्वविद्यालय और गायत्री विद्यापीठ में उत्साहपूर्वक मनायी गयी। कार्यक्रम का शुभारंभ पूर्व राष्ट्रपति भारतरत्न डॉ राधाकृष्णन के चित्र में पुष्पांजलि अर्पित कर की गयी। पश्चात प्रज्ञागीत, समूह भावनृत्य, लघु नाटक के माध्यम से गुरु शिष्य परंपरा और शिक्षा-विद्या पर मार्मिक चित्रण किया।
देसंविवि में कार्यक्रम में देसंविवि के कुलाधिपति श्रद्धेय डॉ प्रणव पण्ड्या जी वर्चुअल जुड़े। उन्होंने कहा कि सच्चे शिक्षक वे हैं जो केवल पुस्तक ही नहीं, अपने जीवन से लोगों को कुछ बनने और सीखने की प्रेरणा देते हैं, चाहे वे शिक्षण तंत्र से जुड़े हों अथवा किसी अन्य पेशे से। डॉ राधाकृष्णन, युगऋषि पं. श्रीराम शर्मा आचार्य, महात्मा बुद्ध, डॉ. अब्दुल कलाम जैसे व्यक्तित्वों का स्मरण करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसे आदर्श शिक्षक ही राष्ट्र के सच्चे भाग्य विधाता होते हैं। ऐसे महान व्यक्तित्वों ने सारी दुनिया को जीने की राह दिखाई है। कुलाधिपति ने कहा कि युगऋषि पं. श्रीराम शर्मा आचार्य ने अपने हर अनुयायी को एक शिक्षक के रूप में विकसित किया है। समाज को रूढ़ियों, मूढ़मान्यताओं से निकालकर उनमें नया आत्मविश्वास जगाया है। समाज में नैतिकता और राष्ट्र के प्रति निष्ठा का विकास करना हमारा नैतिक कर्त्तव्य है। हमें इसे पूरी निष्ठा के साथ निभाना चाहिए।
समापन अवसर पर देसंविवि के कुलपति, प्रतिकुलपति, कुलसचिव एवं संकायाध्यक्ष जी ने विश्वविद्यालय में सेवारत सभी शिक्षकों, अधिकारियों एवं गैर शैक्षणिक स्टाफ को उपहार भेंट किया। विश्वविद्यालय परिवार ने शिक्षक दिवस बड़े उत्साह एवं उल्लास के साथ मनाया।
उधर गायत्री विद्यापीठ में भी भारतरत्न डॉ राधाकृष्णन की जयंती के अवसर पर नौनिहालों ने उनके व्यक्त्वि व कर्तृत्व को उकेरते हुए विविध कार्यक्रम किये। गायत्री विद्यापीठ की व्यवस्था मण्डल प्रमुख श्रीमती शेफाली पण्ड्या ने डॉ राधाकृष्णन के जीवन से बच्चों को सीखने तथा नियमित रूप से पढ़ाई करने के प्रेरित किया। श्रीमती पण्ड्या ने कहा कि उनकी बौद्धिकता, सूझबूझ और व्यापक सोच को हम सभी याद को रखना चाहिए।
अस्मिता खेलो इंडिया योगासन प्रतियोगिता में देसंविवि का परचम
01 से 03 सितंबर तक भारत एवं उत्तर प्रदेश योगासन स्पोर्ट एसोसिएशन के तत्वावधान में उत्तरप्रदेश के गोरखपुर में अस्मिता खेलो इंडिया का आयोजन हुआ। इसमें नॉर्थ जोन के अंतर्गत 18 वर्ष के ऊपर वर्ग में देव संस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार के विद्यार्थियों ने प्रतिभाग कर विश्वविद्यालय का परचम लहराया। आर्टिस्टिक पेयर वर्ग में तनिष्का एवं अकुला ज्योतिका ने उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए पदक और नगद पुरस्कार जीते। वहीं आर्टिस्टिक ग्रुप में ज्योति कुमारी, रिद्धि लखेरा, अंशिका पटेल, तनिष्का एवं अकुला ज्योतिका ने भी कई पदक अपने नाम किया। देसंविवि लौटने पर सभी विजयी प्रतिभागियों ने प्रति-कुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या से भेंट की और उनका मार्गदर्शन एवं आशीर्वाद प्राप्त किया। प्रतिकुलपति ने सभी विद्यार्थियों एवं टीम कोच को प्रमाण पत्र प्रदान कर, उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।
Recent Post
24 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ को लेकर जोर शोर से चल रही हैं तैयारियां
कौशाम्बी जनपद के करारी नगर में अखिल विश्व गायत्री परिवार के तत्वावधान में 24 कुंडीय गायत्री महायज्ञ का आयोजन होने जा रहा है। कार्यक्रम 26 नवंबर से शुरू होकर 29 नवंबर तक चलेगा। कार्यक्रम की तैयारिया...
कौशाम्बी जनपद में 24 कुंडीय गायत्री महायज्ञ 26 नवंबर से 29 नवंबर तक
उत्तर प्रदेश के कौशाम्बी जनपद में अखिल विश्व गायत्री परिवार की जनपद इकाई के द्वारा करारी नगर में 24 कुंडीय गायत्री महायज्ञ का आयोजन 26 नवंबर से प्रारंभ हो रहा है। यह कार्यक्रम 26 से प्रारंभ होकर 29...
चिन्तन कम ही कीजिए।
*क्या आप अत्याधिक चिन्तनशील प्रकृति के हैं? सारे दिन अपनी बाबत कुछ न कुछ गंभीरता से सोचा ही करते हैं? कल हमारे व्यापार में हानि होगी या लाभ, बाजार के भाव ऊँचे जायेंगे, या नीचे गिरेंगे।* अमुक ...
भारत, भारतीयता और करवाचौथ पर्व
करवा चौथ भारतीय संस्कृति में एक विशेष और पवित्र पर्व है, जिसे विवाहित स्त्रियाँ अपने पति की दीर्घायु, सुख-समृद्धि और आरोग्य के लिए मनाती हैं। इस व्रत का धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व अत्यधिक...
प्रत्येक परिस्थिति में प्रसन्नता का राजमार्ग (भाग 4)
बुराई की शक्ति अपनी सम्पूर्ण प्रबलता के साथ टक्कर लेती है। इसमें सन्देह नहीं है। ऐसे भी व्यक्ति संसार में हैं जिनसे ‘‘कुशल क्षेम तो है’’ पूछने पर ‘‘आपको क्...
घृणा का स्थान
निंदा, क्रोध और घृणा ये सभी दुर्गुण हैं, लेकिन मानव जीवन में से अगर इन दुर्गुणों को निकल दीजिए, तो संसार नरक हो जायेगा। यह निंदा का ही भय है, जो दुराचारियों पर अंकुश का काम करता है। यह क्रोध ही है,...
अनेकता में एकता-देव - संस्कृति की विशेषता
यहाँ एक बात याद रखनी चाहिए कि संस्कृति का माता की तरह अत्यंत विशाल हृदय है। धर्म सम्प्रदाय उसके छोटे-छोटे बाल-बच्चों की तरह हैं, जो आकृति-प्रकृति में एक-दूसरे से अनमेल होते हुए भी माता की गोद में स...
प्रगति के पाँच आधार
अरस्तू ने एक शिष्य द्वारा उन्नति का मार्ग पूछे जाने पर उसे पाँच बातें बताई।
(1) अपना दायरा बढ़ाओ, संकीर्ण स्वार्थ परता से आगे बढ़कर सामाजिक बनो।
(...
कुसंगत में मत बैठो!
पानी जैसी जमीन पर बहता है, उसका गुण वैसा ही बदल जाता है। मनुष्य का स्वभाव भी अच्छे बुरे लोगों के अनुसार बदल जाता है। इसलिए चतुर मनुष्य बुरे लोगों का साथ करने से डरते हैं, लेकिन अच्छे व्यक्ति बुरे आ...
अहिंसा और हिंसा
अहिंसा को शास्त्रों में परम धर्म कहा गया है, क्योंकि यह मनुष्यता का प्रथम चिन्ह है। दूसरों को कष्ट, पीड़ा या दुःख देना निःसंदेह बुरी बात है, इस बुराई के करने पर हमें भयंकर पातक लगता है। और उस पातक ...