यह अच्छी आदतें डालिए (भाग 3)
परिस्थितियों के अनुकूल ढल जाना :-
अपने आपको नई नई विषम तथा विरोधी परिस्थितियों के अनुसार ढाल लेना, इच्छाओं, आवश्यकताओं और रहन सहन को नवीन परिस्थितियों के अनुसार घटा बढ़ा लेना एक बड़ा गुण है। मनुष्य को चाहिए कि वह दूसरे व्यक्तियों, चाहे वे कैसे ही गुण स्वभाव के क्यों न हों, के अनुसार अपने को ढालना सीखे। नई परिस्थितियाँ चाहे जिस रूप में आयें, उसके वश में आ जायं। अच्छी और बुरी आर्थिक परिस्थितियों के अनुसार अपने को घटा बढ़ा लिया करें।
अधिकाँश व्यक्ति दूसरे के अनुसार अपने को ढाल नहीं पाते, इसलिए वे दूसरों का हृदय जीत नहीं पाते, न झुक सकने के कारण वे सफल नहीं हो पाते। पत्नी पति के अनुसार, पति पत्नी के अनुसार, विक्रेता ग्राहक के अनुसार, मातहत अफसर के अनुसार, विद्यार्थी गुरु के अनुसार, पुत्र पिता के अनुसार न ढल सकने के कारण दुःखी रहते हैं।
आप बेंत की तरह लचकदार बनें जिससे अपने को हर प्रकार के समाज के अनुसार ढाल लिया करें। इसके लिए आप दूसरे की रुचि, स्वभाव, आदतों और मानसिक स्तर का ध्यान रखें। शक्कर से मीठे वचन बोलें, प्रेम प्रदर्शित करें, दूसरों की आज्ञाओं का पालन करें। आपसे बड़े व्यक्ति यह चाहते हैं कि आप उनकी आज्ञा का पालन करें। सभ्यता पूर्वक दूसरे से व्यवहार करें। ढलने की प्रवृत्ति से मित्रताएं स्थिर बनती हैं, व्यापार चलाते हैं, बड़े बड़े काम निकलते हैं। इस गुण से इच्छा शक्ति बढ़ती है और मनुष्य अपने ऊपर अनुशासन करना सीखता है। इससे आत्मबलिदान की भावना का विकास होता है, स्वार्थ नष्ट होता है।
अखण्ड ज्योति, अप्रैल 1955 पृष्ठ 19
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