शक्ति संचय के पथ पर (भाग 1)
अनेक प्रकार की कठिनाइयों विपत्तियों तथा तथा संकटों का प्रधान कारण निर्बलता है। निर्बल के ऊपर रोग, नुकसान, अपमान आक्रमण आदि के पहाड़ आये दिन टूटते रहते हैं। निर्बलता में एक ऐसा आकर्षण है जिससे विपत्तियाँ अपने आप आकर्षित हो जाती हैं। जिसका कुछ नहीं बिगाड़ा है वह भी निर्बल का शत्रु बन जाता है। बकरी की निर्बलता उसके प्राणों को घातक सिद्ध होती है। जंगली जानवर, मनुष्य यहाँ तक कि देवी देवता भी उसी के रक्त के प्यासे रहते हैं। बदला लेने की शक्ति रखने वाले और आसानी से हाथ न आने वाले सिंह व्याघ्र, भेड़िया आदि का माँस लेने की किसी की इच्छा नहीं होती। देवी देवता भी इनकी ओर आँख उठाकर नहीं देखते।
हिन्दू जाति बहुत समय से बकरी बनी हुई है। उस पर भीतर और बाहर से लगातार आक्रमण होते रहते हैं। पिछली शताब्दियों की ओर दृष्टिपात करते हैं तो प्रतीत होता है कि उसे बहुत समय से आक्रमणों का शिकार होना पड़ रहा है। यूनानियों ने हिन्दुस्तान पर हमला किया, सिकन्दर ने चढ़ाई करके काफी धन जन की हानि पहुँचाई। इसके बाद मुसलमानों के हमले शुरू हुए, एक के बाद एक हमला हुआ। नये-नये वंश आते रहे और मन चाही लूट खसोट करते रहे। धर्म विस्तार के लिए उन्होंने जो ज्यादतियाँ कीं, हिन्दू अबलाओं जिस प्रकार इज्जत लूटी वह किसी से छिपा नहीं है। इसके बाद अंग्रेज, फ्राँसीसी पोर्तगीज आदि के आक्रमण हुए उन्होंने भी अपने ढंग से हुकूमत चलाई और हुकूमत से मिलने वाले लाभों को खूब लूटा।
इतने बड़े देश पर, इतनी बहु संख्यक जाति पर थोड़े से लोगों ने इस प्रकार आक्रमण किये और ऐसी लूट खसोट मचाई इसे देखकर हैरत होती है। बड़ी संख्या को देखकर छोटी संख्या वाले खुद डर जाते हैं और दुर्व्यवहार करने का दुस्साहस नहीं करते, पर यहाँ तो बिल्कुल उलटा हुआ। मुट्ठी-मुट्ठी भर हमलावरों को तनिक से प्रयत्न में सफलता मिल गई। और वे काफी लंबे समय तक निधड़क होकर कब्जा किये बैठे रहें, यह सचमुच ही एक आश्चर्य की बात है।
पं श्रीराम शर्मा आचार्य
अखण्ड-ज्योति 1946 नवम्बर पृष्ठ 3
Recent Post
कौशाम्बी जनपद में 4 दिवसीय 24 कुण्डीय शक्तिसंवर्धन गायत्री महायज्ञ का कार्यक्रम हुआ सम्पन्न
● 28 नवंबर को सायंकालीन 2400 दीपों से दीपयज्ञ का हुआ आयोजन
● सैकड़ों परिजनों ने यज्ञ के साथ कराए विभिन्न संस्कार, महिलाओं ने धारण किया यज्ञोपवीत
● प्रतिदिन प्रातः 6 बजे से प...
24 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ को लेकर जोर शोर से चल रही हैं तैयारियां
कौशाम्बी जनपद के करारी नगर में अखिल विश्व गायत्री परिवार के तत्वावधान में 24 कुंडीय गायत्री महायज्ञ का आयोजन होने जा रहा है। कार्यक्रम 26 नवंबर से शुरू होकर 29 नवंबर तक चलेगा। कार्यक्रम की तैयारिया...
कौशाम्बी जनपद में 24 कुंडीय गायत्री महायज्ञ 26 नवंबर से 29 नवंबर तक
उत्तर प्रदेश के कौशाम्बी जनपद में अखिल विश्व गायत्री परिवार की जनपद इकाई के द्वारा करारी नगर में 24 कुंडीय गायत्री महायज्ञ का आयोजन 26 नवंबर से प्रारंभ हो रहा है। यह कार्यक्रम 26 से प्रारंभ होकर 29...
चिन्तन कम ही कीजिए।
*क्या आप अत्याधिक चिन्तनशील प्रकृति के हैं? सारे दिन अपनी बाबत कुछ न कुछ गंभीरता से सोचा ही करते हैं? कल हमारे व्यापार में हानि होगी या लाभ, बाजार के भाव ऊँचे जायेंगे, या नीचे गिरेंगे।* अमुक ...
भारत, भारतीयता और करवाचौथ पर्व
करवा चौथ भारतीय संस्कृति में एक विशेष और पवित्र पर्व है, जिसे विवाहित स्त्रियाँ अपने पति की दीर्घायु, सुख-समृद्धि और आरोग्य के लिए मनाती हैं। इस व्रत का धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व अत्यधिक...
प्रत्येक परिस्थिति में प्रसन्नता का राजमार्ग (भाग 4)
बुराई की शक्ति अपनी सम्पूर्ण प्रबलता के साथ टक्कर लेती है। इसमें सन्देह नहीं है। ऐसे भी व्यक्ति संसार में हैं जिनसे ‘‘कुशल क्षेम तो है’’ पूछने पर ‘‘आपको क्...
घृणा का स्थान
निंदा, क्रोध और घृणा ये सभी दुर्गुण हैं, लेकिन मानव जीवन में से अगर इन दुर्गुणों को निकल दीजिए, तो संसार नरक हो जायेगा। यह निंदा का ही भय है, जो दुराचारियों पर अंकुश का काम करता है। यह क्रोध ही है,...
अनेकता में एकता-देव - संस्कृति की विशेषता
यहाँ एक बात याद रखनी चाहिए कि संस्कृति का माता की तरह अत्यंत विशाल हृदय है। धर्म सम्प्रदाय उसके छोटे-छोटे बाल-बच्चों की तरह हैं, जो आकृति-प्रकृति में एक-दूसरे से अनमेल होते हुए भी माता की गोद में स...
प्रगति के पाँच आधार
अरस्तू ने एक शिष्य द्वारा उन्नति का मार्ग पूछे जाने पर उसे पाँच बातें बताई।
(1) अपना दायरा बढ़ाओ, संकीर्ण स्वार्थ परता से आगे बढ़कर सामाजिक बनो।
(...
कुसंगत में मत बैठो!
पानी जैसी जमीन पर बहता है, उसका गुण वैसा ही बदल जाता है। मनुष्य का स्वभाव भी अच्छे बुरे लोगों के अनुसार बदल जाता है। इसलिए चतुर मनुष्य बुरे लोगों का साथ करने से डरते हैं, लेकिन अच्छे व्यक्ति बुरे आ...