Magazine - Year 1943 - Version 2
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Language: HINDI
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नये वृक्ष लगाइए!
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(श्री मोरपंख वाले भक्त जी महाराज, गोवर्धन)
‘वृक्षाँश्छित्वा पशूनहत्वा कृत्वा रुधिर कर्दमम्।
यद्येन गम्यते र्स्वगः नरकः केन गम्यते॥’ (चार्वाक)
दशपुत्रसमोवापी दशवापीसमोह्रदः।
दशहृदसमः पुत्रः दशपुत्रसमोद्रुमः।’ (पराशर)
सभी मजहबों के धर्मशास्त्रों, ऋषि-मुनि तथा साधु-महात्माओं ने वृक्ष लगाने को बड़ा धर्म माना है और बड़े-बड़े वैज्ञानिकों (Experts) व गवर्नमेन्ट के ‘Meteorological’, ‘D.F.O’, Departments द्वारा भी सिद्ध हो चुका है कि—
1-वृक्ष जहाँ ज्यादा होते हैं, वहीं वर्षा अधिक होती है। वृक्ष जमीन से पानी खींचकर सूर्य को देते हैं। बादल बन जाने पर वृक्ष-समूह अपने आकर्षण से वर्षा को खींच लेते हैं।
2-वृक्ष गंदी हवा (Carbon dioxide) को सोखकर, शुद्ध-निरोग प्राण-वायु (Oxygen) देते रहते हैं। वृक्ष ही प्राणीमात्र का जीवन है।
3-वृक्ष सर्दी-गर्मी (Humidity) को घटने-बढ़ने नहीं देते।
4-वृक्ष अकाल और बाढ़ को रोकते हैं। इनके कटने से ही अकाल पर अकाल पड़ने लगे हैं।
5-वृक्ष प्राकृतिक सौंदर्य को बढ़ाते हैं और अपनी हरियाली से नेत्र-रोगों को घटाकर, तरावट रखते हैं। मन और दिमागी शक्तियों को विकसित करते हैं।
6-वृक्ष, फल-फूल, पत्र-मंजरी, औषधि-लकड़ी, चारा-छाया-आश्रय आदि द्वारा मनुष्य, पशु, पक्षी सबको अनेक लाभ पहुँचाते हैं।
इसलिए हर धर्म-प्रेमी व्यक्ति का कर्तव्य है कि नये वृक्ष लगाने व पुराने वृक्ष कटने से रोकने के लिए जो कुछ अधिक से अधिक प्रयत्न कर सके करता रहे।
*समाप्त*