Magazine - Year 1962 - Version 2
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गायत्री तपोभूमि में शानदार स्वास्थ्य शिविर
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गायत्री तपोभूमि में 1 जून से स्वास्थ्य शिविर, बड़े उत्साहपूर्ण वातावरण में संपन्न हुआ। चिकित्सार्थियों और शिक्षार्थियों की संख्या आशा से बहुत अधिक थी। प्राकृतिक चिकित्सा की विधिवत शिक्षा का सुनियोजित कार्यक्रम भली प्रकार चलता रहा। जयपुर प्राकृतिक चिकित्सालय के संचालक डॉ. सुखरामदास, नागपुर के डॉ. के. एम. रेड्डी, उरुली काँचन के डॉ. शरणप्रसाद, ग्वालियर के डॉ. अमलकुमार दत्त, झाँसी के प्रो. अन्ना, कोटा के डॉ. रामचरण महेंद्र आदि कितने ही विद्वानों ने शारीरिक मानसिक और सामाजिक स्वास्थ्य के संबंध में महत्त्वपूर्ण शिक्षण दिया। आचार्य जी की एक क्रमबद्ध व्याख्यानमाला 'युगनिर्माण योजना' पर प्रकाश डालने के लिए चलती रही। शिक्षार्थियों में बड़ा उत्साह रहा और उनने मनोयोगपूर्वक सारे कार्यक्रम को अपनाया।
रोगियों को इस थोड़ी ही अवधि में आशाजनक लाभ हुआ। आधे से अधिक कष्ट इस थोड़ी ही अवधि में अच्छा होने पर प्रायः सभी चिकित्सार्थियों को बड़ा संतोष रहा। जिनने प्राकृतिक चिकित्सा विज्ञान को इस अवधि में ठीक तरह समझ लिया है, वे इस प्रणाली के अनन्य भक्त बन गए हैं और लगता है कि वे अपना ही नहीं दूसरे अनेकों का भी स्वास्थ्य सुधार सकने में समर्थ होंगे।
इस बार बहुत अधिक रोगी इकट्ठे हो जाने से व्यवस्था में असुविधा रही। आगे थोड़ी संख्या ही रखने का निश्चय किया गया है, ताकि व्यवस्था और सेवा, ठीक प्रकार की जा सके। आगे अभी कब्ज के रोगी ही चिकित्सालय में रखने का कार्यक्रम रखा गया है।
अगले तीन अंक
स्वास्थ्य शिविर में जो लोग नहीं आ सके, उनकी जानकारी के लिए प्राकृतिक चिकित्सा शिक्षण के लिए अगस्त की अखण्ड ज्योति, ‘प्राकृतिक चिकित्सा अंक’ के रूप में रहेगी। शिविर में हुए शिक्षण का सारांश उसमें रहेगा। सितंबर का अंक 'युग−निर्माण अंक' होगा, जिसमें योजना के सत्संकल्प में सन्निहित भावनाओं का विश्लेषण प्रस्तुत किया जाएगा और किस प्रकार आत्मनिर्माण एवं राष्ट्रनिर्माण की गतिविधियों को आगे बढ़ाया जाए, इस पर प्रकाश डाला जाएगा। अक्टूबर अंक में 'पंचकोशी गायत्री-साधना' का अगले वर्ष का साधना क्रम रहेगा। गत अक्टूबर अंक के अनुसार प्रथम वर्ष की साधना-पद्धति को जिन्होंने अपनाया है, उनके लिए दूसरे वर्ष का यह अगला पाठ्यक्रम है। इसी प्रकार हर साल अक्टूबर अंकों में एक−एक वर्ष का 'पंचकोशी-साधना शिक्षण' चलते रहने से वह दश वर्ष में पूर्ण हो जाएगा।
कल्प चिकित्सालय तपोभूमि में पूर्व योजना के अनुसार बराबर चलता रहेगा। अप्रैल से जून तक तीन महीनों में जो आशाजनक लाभ रोगियों को हुआ है, उसे देखते हुए लगता है कि इस पद्धति से लाभ उठाने के लिए बड़ी संख्या में अस्वस्थ लोग यहाँ आते रहेंगे। अभी कब्ज सरीखे पेट के रोगी ही लिए जा रहे हैं। स्थान आदि की अधिक सुविधा होने पर जटिल रोगों के लिए भी व्यवस्था करेंगे।
गुरु पूर्णिमा पर सामूहिक आयोजन
ता. 17 जुलाई को 'गुरु पूर्णिमा' पर्व है। उस दिन सामूहिक उत्सव का आयोजन किया जाए। यज्ञ, भजन, कीर्त्तन, एवं गुरुजनों के प्रति श्रद्धांजलि के अतिरिक्त इस पर्व के महत्त्व पर प्रवचन भी हों। इन आयोजनों की सूचना मथुरा भी भेजनी चाहिए।
*समाप्त*