Magazine - Year 1965 - Version 2
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Language: HINDI
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जब तक हम स्वयं अपने छोटे-छोटे दीपकों को न जलायें, तब तक आकाश का दीप-जगत व्यर्थ है, और जब तक हम स्वयं अपनी तैयारियाँ न करें, तब तक संसार की तैयारियों की सारी विधि उसी तरह प्रतीक्षा करती रहती है जैसे वीणा अँगुली के स्पर्श की राह देखती है।
-टैगोर