Magazine - Year 1971 - Version 2
Media: TEXT
Language: HINDI
Language: HINDI
विदाई की घड़ी (Kavita)
Listen online
View page note
Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
जनम भर न बैठा कभी चैन से जो,
लिये साथ बेचैनियाँ जा रहा हैं!
खुली आँख, देखा जगत की व्यथा को,
पढ़ा वेदना से कसकती कथा को,
पिघल तब गया वह हृदय मोम वाला,
छलक ही गया नेत्र का अश्रु प्याला,
हँसा जो हमारे लिये-साथ रोया,
वही दूर हम से चला जा रहा है।
पुकारा हमें यों कहा-साथ आओ,
प्रभाती प्रहर में सृजन गीत गाओ,
उठो साथ मेरे चलो युग बदलने,
हवा की तरह आँधियाँ वन मचलने,
मगर हम न जागे रहे आँख मींचे,
अरे! क्षण विदाई भरा आ रहा है।
जनम भर नई ज्योति जग में जगाई,
न मन में कभी भी शिकन झाँक पाई,
मिटाने सघन तम स्वयं जो जला है,
हृदय कंटकों बीच जिसका खिला है।,
हुआ दूर है पथ प्रदर्शक सितारा,
हृदय तल हमारा हिला जा रहा है।
नयन में भरे आस कण देखता है,
सुनो! चिरप्रवासी तुम्हें टेरता है,
अगर दे सको एक विश्वास दे दो,
उसे प्राण का आज उल्लास दे दो,
चला जायगा बाँध आशा हृदय में,
सदा के लिये जो चला जा रहा है।
जनम भर बैठा कभी चैन से जो,
लिये साथ बेचैनियाँ जा रहा है।
*समाप्त*