Magazine - Year 1986 - Version 2
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Language: HINDI
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तुम्हें अपने किये का फल मिल गया (kahani)
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विश्व विख्यात हकीम लुकमान जिस नगर में रहते थे वहीं एक सेठ भी रहता था जो अपने नौकरों पर सख्ती करने के लिए मशहूर था। उसका एक नौकर जो हकीम लुकमान के ही रूप रंग का था एक दिन भाग खड़ा हुआ। उसकी खोज करते हुए सेठ की भेंट लुकमान से हो गयी। उसने लुकमान को ही नौकर समझकर पकड़ लिया और घर लाकर काम में लगा दिया। लुकमान ने भी कोई प्रतिरोध नहीं किया, मेहनत से काम में जुट गये। एक वर्ष में मकान बन गया। तब एकाएक पुराना नौकर भी आ उपस्थित हुआ और अपनी भूल के लिए सेठ से क्षमा-याचना करने लगा। सेठ को यह बात तो भूल गया और यह चिन्ता छा गयी कि धोखे से किसे पकड़ लिया। वह लुकमान के पास गया बोला- सच सच कहिये आप कौन हैं, मुझसे बड़ी गलती हो गयी। “हकीम लुकमान’ लुकमान ने हँसकर कहा जो हुआ उसका दुःख न करो, तुम्हें अपने किये का फल मिल गया और मुझे मकान बनाने की विद्या मालूम हो गयी।