Magazine - Year 1991 - Version 2
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Language: HINDI
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प्रसन्नता एक विभूति, एक वैभव
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प्रसन्न रहना सभी चाहते हैं, पर उनमें से रह कोई विरला ही पाता है। कारण कि लोग समझते हैं कि वह किन्हीं सुविधा साधनों के साथ जुड़ी हुई हैं। वे न हों तो किस प्रकार प्रसन्न रहें? जिन्हें अभाव और कठिनाइयाँ ही अपने इर्द गिर्द दीखती हैं, उन्हें उदास या खिन्न, उद्विग्न रहने के अतिरिक्त और कुछ बन भी क्या पड़ सकता है।
प्रसन्नता एक ऐसी विभूति है जिसके सहारे मनुष्य खिले हुए फूल की तरह सुन्दर आकर्षक दीखता है। समीप आने वालों को भी अपने इस वैभव का लाभ वितरित कर देता है। हर किसी का दृष्टिकोण अपना-अपना है। उसी के अनुरूप जिसे जो पसन्द होता है चुन लेता है। खिन्नता, उदासी और प्रसन्नता तीनों ही ऐसी हैं जो भीतर से उफनती हैं, मात्र प्रतीत भर ही ऐसा होता है कि यह दूसरों के स्वभाव या व्यवहार की परिणति है। किन्तु इसमें आँशिक सच्चाई ही है। इसे समग्र वास्तविकता मानकर नहीं चलना चाहिए।
इच्छित वस्तुएँ जिस मात्रा में, जिस स्तर की हम चाहते हैं, उस अनुपात में उनका मिल सकना संभव नहीं कारण कि इच्छाओं की कोई सीमा नहीं। अभी जो वस्तु पर्याप्त प्रतीत होती है, वह कुछ क्षण उपरान्त स्वल्प प्रतीत होने लगती है। अधिक मिलने पर और अधिक की चाह बढ़ती है। यही बात लोगों के संबंधी भी है किसी के सहयोग या उपकार का पक्ष देखा जाय तो उतना ही पर्याप्त प्रतीत होता है। यदि किसी की उपेक्षा देखनी हो तो वह तनिक सी भी होने पर शत्रुता जैसी प्रतीत होती है और लगता है कि जैसा चाहा गया था वैसा नहीं हो रहा है।
हर वस्तु सीमित मात्रा में ही मिल सकती है। अच्छा तो असीम और अनन्त है। उसको अब तक कोई भी पर्याप्त नहीं कह सका और न संतुष्ट ही हो सका। फिर अपनी इच्छित वस्तुएँ असीम मात्रा में मिलने लगें यह कैसे हो सकता है? इसी प्रकार कोई सर्वथा अनुकूल होकर रहे यह भी असंभव है। हर व्यक्ति का अपना स्तर और अपना स्वभाव है। ऐसी दशा में यह कैसे जान पड़े कि उतनी मात्रा में उतनी वस्तुएँ हमें मिलने लगें जितनी कि चाही गई। सद्व्यवहार की भी अपनी-अपनी परिभाषा है। किसी को थोड़ा सहयोग-उपकार भी असीम जान पड़ता है और किसी के लिए अतिशय सहकर भी तुच्छ प्रतीत होता है। कभी-कभी तो वह अवज्ञा, उपेक्षा एवं शत्रुता जैसी प्रतीत होता है। ऐसी दशा में मात्र बाहरी उपलब्धियों या परिस्थितियों के आधार पर ही कोई यह अनुभव नहीं कर सकता है कि प्रसन्नता के निमित्त जो कुछ जितना