Magazine - Year 1991 - Version 2
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Language: HINDI
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परम पूज्य गुरुदेव की स्मृति में डाक टिकट समारोह
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भारत सरकार महापुरुषों की स्मृति और सम्मान में डाक टिकट निकालती है। परम पूज्य गुरुदेव की परम पुण्य तिथि पर 29 जून को इसी शृंखला का भव्य-प्रथम दिवस आवरण समारोह नई दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में रखा गया। भारत के उप राष्ट्रपति महामहिम श्री शंकर दयाल जी शर्मा ने डाक टिकट विमोचन किया। फर्स्ट डे कवर और एक रुपये मूल्य के इस डाक टिकट का स्वरूप पत्रिका के मुख पृष्ठ पर मुद्रित है।
इस अवसर पर समारोह में वंदनीय माता जी भी उपस्थित थीं। भारत सरकार के प्रमुख न्यायाधीश माननीय श्री रंगनाथ जी मिश्र, भूतपूर्व केन्द्रिय मंत्री महाराज कर्ण सिंह, संचार राज्य मंत्री श्री नायडू, पूर्व संचार मंत्री श्री संजय सिंह जी तथा अन्य गण्यमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया। दिल्ली के नागरिकों के अतिरिक्त सारे देश भर के मूर्धन्य मिशनरी कार्यकर्ता भी आयोजन में सम्मिलित हुए। साढ़े चार हजार क्षमता का स्टेडियम पीतवस्त्रधारी नर नारियों से खचाखच भरा था। देखने में ऐसा लगता था मानों कुछ क्षणों के लिए वहाँ सचमुच स्वर्ग उतर आया हो। शान्ति और श्रद्धा का जो वातावरण शान्तिकुँज में दिखाई देता है वही व्यवस्था और अनुशासन यहाँ भी साक्षात् विराजमान था।
इस तरह के डाक टिकट विमोचन समारोह भारत सरकार का डाक विभाग आयोजित करता है। अधिकारियों का कहना है अब तक कोई भी आयोजन इतना भव्य और अनुशासित नहीं हुआ। विमोचन के दिन ही इतनी बड़ी संख्या में टिकट तथा प्रथम दिवस आवरण बिके जितने अब तक के इतिहास में कभी नहीं बिके। अधिकारियों को उसी समय की माँग के आगे नतमस्तक होना पड़ा। अभी भी यह स्थिति है कि केन्द्रिय प्रशासन और उनका टिकट प्रकाशन केन्द्र नासिक इस असमंजस में है कि सारे देश में आई भारी माँग की आपूर्ति किस तरह की जावे। 80 रुपये के महँगे डाक टिकट एलबम की माँग को अभी तक भी पूरा नहीं किया जा सकता है।
आयोजन से पूर्व शान्तिकुँज में सम्पन्न 17 से 21 के विशेष प्रथम पुण्य तिथि समारोह में पधारे तीस हजार परिजनों का तथा 22 से 26 जून गुजरात के पटेल सम्मेलन का बड़ा वर्ग इस आयोजन के लिए शान्तिकुँज में रुका हुआ एक एक दिन गिन रहा था। 27 जून की प्रातःकाल उमड़ा उत्साह देखते ही बनता था। व्यक्तिगत गाड़ियों और बसों का पूरा जुलूस शान्तिकुँज से निकला और रुड़की, मुजफ्फरनगर, मेरठ, मोदिनगर, मुरादनगर तथा गाजियाबाद तक पहुँचते-पहुँचते काफिला इतना लम्बा हो गया कि कभी कभी दिल्ली में यह स्थिति हो जाती थी कि एक स्टॉप से दूसरे स्टॉप तक केवल डाक टिकट तीर्थ यात्रा की ही गाड़ियाँ नजर आती थीं। बैनर्स से सजी और गीत गाती गाड़ियों का काफिला ठीक चार बजे स्टेडियम पहुँच गया। राजधानी में उस दिन मौन क्रान्ति की आभा स्पष्ट विराजमान थी।
परम पूज्य गुरुदेव की प्रशस्ति में गीत के साथ आयोजन का शुभारंभ ठीक 5 बजे हुआ। सर्व प्रथम डॉ. प्रणव पंड्या ने अभ्यागतों का स्वागत किया। महामहिम उपराष्ट्रपति महोदय ने डाक टिकट विमोचन किया। सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश श्री रंगनाथ जी मिश्र उद्गार व्यक्त करते हुए भाव विभोर हो उठे। सभी वक्ताओं ने इस आयोजन को भारत इतिहास की एक विलक्षण किन्तु महान घटना बताया और आशा व्यक्त की यह मिशन राष्ट्र की उन सभी आकाँक्षाओं को एक दिन अवश्य पूरा करेगा जिसकी ओर आज सारे राष्ट्र की निगाहें टिकी हुई हैं।
डाक टिकट कहाँ से लें? पूज्य गुरुदेव की स्मृति में निकले गये 1 रुपये का यह डाक टिकट भारत के सभी प्रमुख डाकघरों में उपलब्ध है जिन शहरों में न पहुँचा हो वे टिकट फर्स्टडे कवर तथा डाक टिकट एलबम शान्तिकुँज हरिद्वार से प्राप्त कर सकते हैं।
डाक से भेजने में निरर्थक पोस्टेज लगेगा। किसी आते जाते के हाथ ही मँगाने चाहिए।
इसी अवसर पर देव संस्कृति का संदेश विदेश को जा रही टोली का महामहिम उपराष्ट्रपति महोदय ने तिलक किया तो चारों ओर आशा और विश्वास की लहर घूम गई। हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूँज उठा। वंदनीय माता जी की भाव संवेदना से आगन्तुक अतिथि और अपने सभी परिजन सजल हो उठे। इस मिशन को जन जन तक पहुँचाने का आत्म विश्वास हर चेहरे में छलक रहा था।
-ब्रह्मवर्चस्
*समाप्त*