Books - दीर्घ जीवन के रहस्य
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Language: HINDI
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दीर्घ आयु प्राप्त करने का रहस्य
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अपने सेवा काल के पश्चात पूरे साठ वर्ष तक विश्राम भत्ता पाने वाले पोस्टमैन की मृत्यु अभी हाल ही में धन-बाद में हुई है। मृत्यु के समय इस कर्मचारी की आयु 125 वर्ष थी। जिन व्यक्तियों ने इस पोस्टमैन को कार्य करते देखा है उनका कहना है कि इसने अपना सारा कार्य पैदल ही किया। जब कि अनेक पोस्टमैन डाक जल्दी बंट जाने की सुविधा हेतु साइकिल खरीद लेते हैं पर इस व्यक्ति ने पैदल जाकर डाक बांटना पसन्द किया।
इस कर्मचारी के स्वस्थ रहने का रहस्य हर समय कार्य में लगे रहना ही था। उसने न कभी नशा किया और न क्रोध। शांत स्वभाव के इस पोस्टमैन से जब कभी दीर्घ जीवन का रहस्य पूछा गया तो उसने यही उत्तर दिया मैं कभी निठल्ला नहीं रहता, हर समय कुछ न कुछ कार्य करता ही रहता हूं। अपने को कार्य में व्यस्त रखने से ही प्रत्येक व्यक्ति स्वस्थ और दीर्घ जीवी बन सकता है।
प्रायः रूस में लोग दीर्घ आयु प्राप्त करते हैं। वहां 100 वर्ष से अधिक आयु के लगभग तीस हजार व्यक्ति हैं, जिनमें 4 सौ महिलाएं भी सम्मिलित हैं। 644 दीर्घ आयु प्राप्त व्यक्ति तो काकेसस में रहते हैं। रूसी वैज्ञानिक ने दीर्घ आयु के सम्बन्ध में जो सर्वेक्षण किया है उसमें बड़े महत्व पूर्ण तथ्य सामने आये हैं।
वैज्ञानिकों का कहना है कि यदि किसी कार्य को आनन्द लेकर किया जाय तो वह महत्वपूर्ण प्रेरणा सिद्ध होता है। खान-पान की आदतों पर भी स्वास्थ्य और दीर्घ जीवन निर्भर रहता है। लम्बी आयु प्राप्त करने वाले यह व्यक्ति शराब नहीं पीते, यदि उनमें दस-बीस शौकीन भी हैं तो अंगूरी शराब के। वे कभी धूम्रपान भी नहीं करते। अधिकतर पैदा चलते हैं और सारा समय खुली हवा में व्यतीत होता है।
158 वर्षीय किसान मखमूद इवाजेम को सन् 1965 में सोवियत सरकार ने आर्डर आफ रेड बैनर आफ लेबर’ से विभूषित करके सम्मान दिया है। वह मानते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति को अपना जीवन सरस बनाने के लिए शारीरिक और मानसिक श्रम करना चाहिए। इससे शरीर का प्रत्येक अंग सक्रिय रहता है। जो व्यक्ति आराम तलबी में जीवन व्यतीत करते हैं उनके शरीर में जंग लग जाती है और समय से पहले ही वृद्धावस्था आ घेरती है।
बहने वाला जल सदैव स्वस्थ व स्वास्थ्यदायक रहता है। उसी प्रकार यौवन की शक्ति को बनाये रखने के लिए श्रम महत्व को नहीं भुलाया जा सकता। इससे स्नायु तक सक्रिय रहते हैं। जब उनसे एक बार यह कहा गया ‘अब तो आपकी वृद्धावस्था है अतः आराम करना चाहिए।’ तो उन्होंने बहुत सीधा-सादा उत्तर दिया कि इस तरह का विचार घातक सिद्ध हो सकता है। मेरा तो यह अनुभव है कि जब तक व्यक्ति जीवित रहे अपने शरीर, मस्तिष्क और आत्मा पर कार्य का बोझ डालना ही चाहिए। खाली बैठना शरीर और मन दोनों को हानि पहुंचाने वाला है।
जापान में सबसे अधिक उम्र की महिला श्रीमती कोवावासी यासू ने कभी भी तम्बाकू व शराब को हाथ नहीं लगाया। सिर्फ सब्जियों पर गुजारा करने वाली यह 118 वर्षीय महिला कभी बीमार नहीं पड़ी और न कभी उसे दवाइयों की ही आवश्यकता अनुभव हुई।
रजिस्ट्रार जनरल आफ इण्डियन द्वारा आयोजन एक सर्वेक्षण के अनुसार भारत में शतायु व्यक्तियों की सबसे अधिक संख्या उत्तर प्रदेश में है। इस समय भारत में जीवित शतायु व्यक्तियों की संख्या 77 हजार है जिसमें से 23,2,58 व्यक्ति उत्तर प्रदेश में हैं। सर्वेक्षण की सबसे अधिक दिलचस्प बात यह है अधिकांश शतायु व्यक्ति उत्तर प्रदेश के पूर्वी जिलों के हैं, जो आर्थिक दृष्टि से पिछड़े हैं। सम्भवतः इन पिछड़े जिलों में रहने के कारण उन्हें श्रम की उपासना में अधिक समय देना पड़ता है और प्रकृति ने उन्हें वरदान स्वरूप दीर्घ आयु प्रदान की है।
फ्रांसिस एलेस्टिन नामक शतायु व्यक्ति ने लम्बी आयु प्राप्त करने का रहस्य बताते हुये कहा है—‘‘मैंने आज तक अपने कार्य में कभी प्रमाद नहीं किया। सच्चाई और ईमानदारी से श्रम की उपासना में लगा रहा।’ एलेस्टिन की ईश्वर में अटूट श्रद्धा थी और अपना बचा हुआ समय समाज कल्याण के कार्यों में लगाते थे।
ईरान के 181 वर्षीय श्री सैयद अबू तालेब मोसावी के अनुसार दीर्घ आयु का रहस्य ‘सुखी परिवार तथा कठोर परिश्रम है।’
अमेरिका के 122 वर्षीय श्री चार्ली स्मिथ ने यह मत व्यक्त किया है कि मेरी लम्बी आयु का कारण ईश्वर में विश्वास है। कश्मीर के सबसे वृद्ध व्यक्ति पीर मकबूल शाह का शीघ्र में ही कोयल-मुगम गांव में देहान्त हुआ है। पीर अपने गांव की मस्जिद का इमाम था उसका सम्पूर्ण जीवन धर्म के अनुसार आचरण करने में ही व्यतीत हुआ था।
सिंगापुर की 133 वर्षीय श्रीमती नोरिचा विमते बुयामेन भी दिन में 5 बार नमाज पढ़ती हैं।
दी इलादी नामक महिला, जो सौ वर्ष से अधिक आयु प्राप्त कर चुकी है का अधिकांश समय ईश्वर उपासना और पीड़ित व्यक्तियों की सेवा में ही बीतता है। वह अपने व्यवहार में सदैव इस बात का ध्यान रखती रही कि शत्रुओं की अपेक्षा मित्रों की संख्या में वृद्धि हो। चिन्ताओं की उपेक्षा करने वाली यह महिला सादा जीवन को ही अपना उद्देश्य बनाये रही है।
102 वर्षीय श्रीमती डोरा फेलिंग का यह मत है कि यदि व्यक्ति ईश्वर पर विश्वास रखकर सच्चाई और ईमानदारी के साथ नेकी की राह पर चलता रहे तो वह दीर्घायु अवश्य ही प्राप्त करता है।
इस कर्मचारी के स्वस्थ रहने का रहस्य हर समय कार्य में लगे रहना ही था। उसने न कभी नशा किया और न क्रोध। शांत स्वभाव के इस पोस्टमैन से जब कभी दीर्घ जीवन का रहस्य पूछा गया तो उसने यही उत्तर दिया मैं कभी निठल्ला नहीं रहता, हर समय कुछ न कुछ कार्य करता ही रहता हूं। अपने को कार्य में व्यस्त रखने से ही प्रत्येक व्यक्ति स्वस्थ और दीर्घ जीवी बन सकता है।
प्रायः रूस में लोग दीर्घ आयु प्राप्त करते हैं। वहां 100 वर्ष से अधिक आयु के लगभग तीस हजार व्यक्ति हैं, जिनमें 4 सौ महिलाएं भी सम्मिलित हैं। 644 दीर्घ आयु प्राप्त व्यक्ति तो काकेसस में रहते हैं। रूसी वैज्ञानिक ने दीर्घ आयु के सम्बन्ध में जो सर्वेक्षण किया है उसमें बड़े महत्व पूर्ण तथ्य सामने आये हैं।
वैज्ञानिकों का कहना है कि यदि किसी कार्य को आनन्द लेकर किया जाय तो वह महत्वपूर्ण प्रेरणा सिद्ध होता है। खान-पान की आदतों पर भी स्वास्थ्य और दीर्घ जीवन निर्भर रहता है। लम्बी आयु प्राप्त करने वाले यह व्यक्ति शराब नहीं पीते, यदि उनमें दस-बीस शौकीन भी हैं तो अंगूरी शराब के। वे कभी धूम्रपान भी नहीं करते। अधिकतर पैदा चलते हैं और सारा समय खुली हवा में व्यतीत होता है।
158 वर्षीय किसान मखमूद इवाजेम को सन् 1965 में सोवियत सरकार ने आर्डर आफ रेड बैनर आफ लेबर’ से विभूषित करके सम्मान दिया है। वह मानते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति को अपना जीवन सरस बनाने के लिए शारीरिक और मानसिक श्रम करना चाहिए। इससे शरीर का प्रत्येक अंग सक्रिय रहता है। जो व्यक्ति आराम तलबी में जीवन व्यतीत करते हैं उनके शरीर में जंग लग जाती है और समय से पहले ही वृद्धावस्था आ घेरती है।
बहने वाला जल सदैव स्वस्थ व स्वास्थ्यदायक रहता है। उसी प्रकार यौवन की शक्ति को बनाये रखने के लिए श्रम महत्व को नहीं भुलाया जा सकता। इससे स्नायु तक सक्रिय रहते हैं। जब उनसे एक बार यह कहा गया ‘अब तो आपकी वृद्धावस्था है अतः आराम करना चाहिए।’ तो उन्होंने बहुत सीधा-सादा उत्तर दिया कि इस तरह का विचार घातक सिद्ध हो सकता है। मेरा तो यह अनुभव है कि जब तक व्यक्ति जीवित रहे अपने शरीर, मस्तिष्क और आत्मा पर कार्य का बोझ डालना ही चाहिए। खाली बैठना शरीर और मन दोनों को हानि पहुंचाने वाला है।
जापान में सबसे अधिक उम्र की महिला श्रीमती कोवावासी यासू ने कभी भी तम्बाकू व शराब को हाथ नहीं लगाया। सिर्फ सब्जियों पर गुजारा करने वाली यह 118 वर्षीय महिला कभी बीमार नहीं पड़ी और न कभी उसे दवाइयों की ही आवश्यकता अनुभव हुई।
रजिस्ट्रार जनरल आफ इण्डियन द्वारा आयोजन एक सर्वेक्षण के अनुसार भारत में शतायु व्यक्तियों की सबसे अधिक संख्या उत्तर प्रदेश में है। इस समय भारत में जीवित शतायु व्यक्तियों की संख्या 77 हजार है जिसमें से 23,2,58 व्यक्ति उत्तर प्रदेश में हैं। सर्वेक्षण की सबसे अधिक दिलचस्प बात यह है अधिकांश शतायु व्यक्ति उत्तर प्रदेश के पूर्वी जिलों के हैं, जो आर्थिक दृष्टि से पिछड़े हैं। सम्भवतः इन पिछड़े जिलों में रहने के कारण उन्हें श्रम की उपासना में अधिक समय देना पड़ता है और प्रकृति ने उन्हें वरदान स्वरूप दीर्घ आयु प्रदान की है।
फ्रांसिस एलेस्टिन नामक शतायु व्यक्ति ने लम्बी आयु प्राप्त करने का रहस्य बताते हुये कहा है—‘‘मैंने आज तक अपने कार्य में कभी प्रमाद नहीं किया। सच्चाई और ईमानदारी से श्रम की उपासना में लगा रहा।’ एलेस्टिन की ईश्वर में अटूट श्रद्धा थी और अपना बचा हुआ समय समाज कल्याण के कार्यों में लगाते थे।
ईरान के 181 वर्षीय श्री सैयद अबू तालेब मोसावी के अनुसार दीर्घ आयु का रहस्य ‘सुखी परिवार तथा कठोर परिश्रम है।’
अमेरिका के 122 वर्षीय श्री चार्ली स्मिथ ने यह मत व्यक्त किया है कि मेरी लम्बी आयु का कारण ईश्वर में विश्वास है। कश्मीर के सबसे वृद्ध व्यक्ति पीर मकबूल शाह का शीघ्र में ही कोयल-मुगम गांव में देहान्त हुआ है। पीर अपने गांव की मस्जिद का इमाम था उसका सम्पूर्ण जीवन धर्म के अनुसार आचरण करने में ही व्यतीत हुआ था।
सिंगापुर की 133 वर्षीय श्रीमती नोरिचा विमते बुयामेन भी दिन में 5 बार नमाज पढ़ती हैं।
दी इलादी नामक महिला, जो सौ वर्ष से अधिक आयु प्राप्त कर चुकी है का अधिकांश समय ईश्वर उपासना और पीड़ित व्यक्तियों की सेवा में ही बीतता है। वह अपने व्यवहार में सदैव इस बात का ध्यान रखती रही कि शत्रुओं की अपेक्षा मित्रों की संख्या में वृद्धि हो। चिन्ताओं की उपेक्षा करने वाली यह महिला सादा जीवन को ही अपना उद्देश्य बनाये रही है।
102 वर्षीय श्रीमती डोरा फेलिंग का यह मत है कि यदि व्यक्ति ईश्वर पर विश्वास रखकर सच्चाई और ईमानदारी के साथ नेकी की राह पर चलता रहे तो वह दीर्घायु अवश्य ही प्राप्त करता है।