Books - युग परिवर्तन-प्रज्ञावतरण
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Language: HINDI
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गायत्री-तीर्थ एवं उसका ऋषि तंत्र
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शांति-कुंज के रूप में गायत्री-तीर्थ की अभिनव स्थापना प्रज्ञा-अभियान मिशन के प्रवर्तक युग निर्माण योजना के संस्थापक पं. श्रीराम शर्मा आचार्य द्वारा 1971 में की गयी, जब वे गायत्री तपोभूमि मथुरा का कार्यभार कुछ वरिष्ठ कार्यकर्ताओं के कंधों पर छोड़कर एक वर्ष के लिये हिमालय प्रवास हेतु यहां आए। प्रवास से लौटने के बाद वे एवं उनकी सहधर्मिणी माता भगवती देवी एक ऋषि युग्म की तरह इस तंत्र का सूत्र संचालन कर रहे हैं जो सारे विश्व में क्रियारत है। भारत में 2400 प्रज्ञा संस्थानों एवं 10000 स्वाध्याय मंडलों तथा 74 देशों में स्थित प्रवासी परिजनों के माध्यम से धर्मतंत्र से लोक शिक्षण की सत्प्रवृत्तियां क्रियान्वित हो रही हैं। युग शिल्पियों की ढलाई का कार्य नव निर्माण की इस बेला में शान्तिकुंज के साधना सत्रों में सम्पन्न हो रहा है। ब्रह्मवर्चस् के माध्यम से लेखनी तंत्र द्वारा विचार क्रान्ति का सरंजाम जुटाया गया है, एवं वैज्ञानिक शोध प्रयासों द्वारा अध्यात्म प्रतिपादनों एवं साधना अनुशासनों के प्रयोग परीक्षण का अभिनव कार्य हाथ में लिया गया है जो अपने आप में अद्भुत है।
हिमालय के उत्तराखण्ड क्षेत्र से पुरातन काल में जो ऋषिकल्प गतिविधियां सम्पन्न होती थीं उन्हें ही आधुनिक रूप में आज की परिस्थितियों के परिप्रेक्ष्य में इस ऋषितंत्र द्वारा संचालित क्रियान्वित किया जा रहा है। प्रज्ञावतरण की इस वेला में इस मिशन के प्रयासों का अपना विशेष महत्व है। इसे हर दूरदर्शी समझता व हाथ बटाने का प्रयास करता है।
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*समाप्त*