मनमोहक सांस्कृतिक कार्यक्रमों में था लोकमंगल का प्रभावशाली संदेश
मनुष्य जो देखता है उसका प्रभाव उसके मन की गहराइयों तक उतरता है। इसीलिए परम पूज्य गुरूदेव ने कला को लोकरंजन से लोकमंगल का उत्तम माध्यम बताया है। युग निर्माण आन्दोलन के विविध मंचों में सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने बड़ी भूमिका निभाई है। ये गायत्री परिवार की अश्वमेध यज्ञ शृंखला का भी प्रभावशाली अंग रहे हैं।
मुम्बई अश्वमेध महायज्ञ में भी कला मंच से प्रभावशाली सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ दी गई। देव संस्कृति विश्व विद्यालय के युवाओं ने द्वितीय दिवस अश्वमेध संबंधी नाटक, गायत्री चालीसा और प्रज्ञागीत के माध्यम से समाज में नवजागरण का संदेश
पहुँचाया। नाटकों में समाज के सुधार और विकास में युवाओं की विशिष्ट भूमिका समझाई गई थी। तीसरे दिन देव संस्कृति
विश्वविद्यालय के छात्रों ने ‘मिले सुर मेरा तुम्हारा...’ की भावना के साथ अपने आकर्षक प्रदर्शन से दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया। गीत में विभिन्न संस्कृतियों का सरस समन्वय दिखाई दिया। एक प्रसिद्ध भारतीय कलाकार श्री मिलन कुमार ने मोहन वीणा पर अपनी कुशल प्रस्तुति से दर्शकों पर गहरी छाप छोड़ी। इंडियाज गॉट टैलेंट की प्रथम उपविजेता इशिता विश्वकर्मा की प्रज्ञा गीत की भावपूर्ण प्रस्तुतियों ने सभी को मंत्रमुग्ध किया। इसके अतिरिक्त डांग जिले के बच्चों द्वारा नृत्य प्रदर्शन ने वातावरण को उत्साह से भर दिया। उनकी सुंदर चाल, जीवंत वनवासी वेशभूषा और सकारात्मक ऊर्जा ने सभी को आकर्षित किया। इस आयोजन के माध्यम से, संस्कृति, कला, और प्रतिभा के महत्व को बढ़ावा दिया गया और भारतीय विरासत को नई ऊर्जा और उत्साह के साथ देखा गया।