मुम्बई अश्वमेध महायज्ञ में दीप महायज्ञ न जगाया जग का अंधियारा मिटाने का संकल्प
‘‘यह दीप महायज्ञ परम पूज्य गुरूदेव के सतयुगी संकल्पों को पूरा करने के लिए अंत:करण में उमड़ते संकल्प और उत्साह का प्रतीक है। यह भारतीय संस्कृति की उस सनातन गरिमा की, इस देवभूमि की सामर्थ्य की याद दिला रहा है। भारत की मिट्टी इतनी अद्भुत है जिसमें परम पूज्य गुरूदेव, स्वामी विवेकानन्द, शंकराचार्य, बुद्ध जैसे महापुरूष जन्म लेते हैं और पतन के प्रवाह को प्रगति और समृद्धि की ओर मोड़ देते हैं। यह दीपयज्ञ यह विश्वास दिलाने आया है कि हर व्यक्ति में एक देवता विद्यमान है। भीतर के साहस और संकल्प को जगाकर संगठित प्रयास किए जाएँ तो घोर अंधकार को भी चुनौती दी जा सकती है।’’मुम्बई अश्वमेध महायज्ञ में दिनांक 24 फरवरी की सायंकाल आयोजित दीपयज्ञ को संबोधित करते हुए आदरणीय डॉ. चिन्मय पण्ड्या जी ने सूक्ष्म जगत में घनीभूत परम पूज्य गुरूदेव एवं परम वंदनीया माताजी की इच्छा-आकांक्षाओं को इन शब्दों के साथ प्रस्तुत कियो। इस अवसर पर पूरा परिसर लाखों दीपकों के दिव्य प्रकाश से जगमगा रहा था। ज्ञानमंच के समक्ष मशाल, स्वस्तिक, ॐ व विविध आध्यात्मिक शब्दावलियों, कलाकृतियों में जगमगाते, रंगोली की शोभा बढ़ाते ये दीपक अंत:करण में अलौकिक दिव्यता का संचार कर रहे थे। पूरे परिसर में ऊँचे टेबलों पर दीप सजाए गए थे। हजारों लोगों के सहयोग से दीप प्रज्वलित हुए तो दीपावली जैसे दिव्य वातावरण की अनुभूतियाँ हुई।
यह जीवन में कभी न भूल पाने वाला दृश्य था। महायज्ञ में भागीदार एवं इसे सोशल मीडिया के माध्यम से इस दिव्य दृश्य को लाखों लोगों ने देखा जो गुरूसत्ता के स्नेहानुदान एवं
संकल्पों की सतत याद दिलाता रहेगा। दीप महायज्ञ में शान्तिकुञ्ज के युग पुरोहितों के लौकिक मंत्रोच्चार, युगऋषि द्वारा दी गई प्रेरणाएँ एवं युग गायकों के ओजस्वी गीतों ने प्रखर प्राण प्रवाह उत्पन्न किया। श्रोताओं में अपने-अपने क्षेत्रों में संगठित होकर नशा, कुरीतियों, अंधविश्वासों, मूढ़मान्यताओं की चुनौतियों का सामना करने के संकल्प जगाये।