प्राणवान परिजनों के शुभ संकल्पों की शानदार परिणति
हजारों नए लोगों को मिशन से स्थायी रूप से जोड़ने की योजना रंग लाई
परम पूज्य गुरूदेव के विचारों को जन-जन तक पहुँचाना, जनसंपर्क बढ़ाना और उन तक युगशक्ति गायत्री का दिव्य प्रकाश पहुँचाना अपनी पावन गुरूसत्ता की आकांक्षा है, समय की माँग है और नैष्ठिक शिष्यों से माँगी गई गुरूदक्षिणा भी। मुम्बई अश्वमेध महायज्ञ में संगठन-सहगमन के प्रभाव से इस दिशा में अत्यंत प्रेरक पहल हुई है। इसके अंतर्गत महायज्ञ के समय विभिन्न भाषाओं में मिशन की नियमित पत्रिकाएँ अखण्ड ज्योति, प्रज्ञा अभियान और युग निर्माण योजना के सदस्य बनाने के लिए भी ब्रह्मभोज योजना लागू की गई थी। इसके अंतर्गत आधी कीमत पर इन पत्रिकाओं की वार्षिक सदस्यता लोगों को दिलाई गई।
समग्र योजना के समन्वयक दिल्ली निवासी श्री आलोक श्रीवास्तव जी बताते हैं कि यह संकल्प विगत दिसम्बर माह में उभरा। इसी शान्तिकुञ्ज से श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या जी और श्रद्धेया शैल जीजी द्वारा पत्रिकाओं को घर-घर पहुँचाने का आह्वान करने वाला पत्र जारी हुआ, जो पाक्षिक प्रज्ञा अभियान में प्रकाशित भी हुआ। आदरणीय डॉ. चिन्मय जी ने भी एन.सी.आर. शाखा को पत्रिकाओं के लिए ब्रह्मभोज करने की प्रेरणा दी। अनेक लोग इस महायज्ञ में साहित्य प्रचार के लिए कार्य करना चाहते थे। उन सबसे संपर्क कर साझा प्रयासों की योजना बनाई गई। ज्ञानयज्ञ शाखा प्रयागराज द्वारा इस दिशा में विगत लगभग 5 वर्षों से किए जा रहे भागीरथी प्रयासों से भी
प्रेरणा मिली।
श्री आलोक श्रीवास्तव जी बताते हैं कि योजना बहुत सफल रही। इसमें सैकड़ों लोगों का सहयोग मिला। हजारों लोगों ने विभिन्न पत्रिकाओं की सदस्यता ग्रहण की।
ब्रह्मभोज योजना के अंतर्गत अखण्ड ज्योति, प्रज्ञा अभियान और युग निर्माण पत्रिकाओं के लिये 17 लाख रूपये का ब्रह्मभोज किया गया।
स्वाध्याय ग्रुप की विशिष्ट सेवाएँ :
इस महायज्ञ में हुए ऑनलाइन चल रहे स्वाध्याय समूह की सेवाएँ बहुत उपयोगी और प्रभावशाली रहीं। श्री आलोक श्रीवास्तव जी बताते हैं कि पिछले 3-4 वर्षों से 60 ग्रुपों में स्वाध्याय का क्रम चल रहा है। इन स्वाध्यायियों ने मिलकर पिछल्ले 6 माह में लगभग 700 पुस्तकों का सारांश तैयार किया। इनमें से बहुत से स्वाध्यायी मुम्बई अश्वमेध महायज्ञ में शामिल हुए।
उन्होंने पुस्तक मेले में आने वाले लोंगों को पुस्तकों की विशेषताओं की जानकारी दी और उनकी आवश्यकता और रूचि के अनुरूप पुस्तक चयन करने में बहुत मदद की। परिणाम यह रहा कि लोगों में साहित्य के प्रति विशेष रूचि देखी गई। अंग्रेजी भाषा में अब तक की सबसे बड़ी प्रदर्शनी थी, जितना साहित्य था वह सब बिक गया।
लक्ष्य :
* यज्ञस्थल तक आने वाले हर व्यक्ति को साहित्य प्रदर्शनी तक लेकर आना।
* हर व्यक्ति को पूज्य गुरूदेव के जीवन और विचारों से अवगत कराना।
* जो जुड़ रहे हैं, उनका आगे भी मिशन से संपर्क बना रहे, गुरूदेव के विचार उन तक पहुँचते रहें, ऐसा प्रयास करना।
इसके लिए डाटाबेस तैयार हुआ, फोन से संपर्क और सहायता करते रहेंगे।
विशिष्ट प्रयास :
* साहित्य स्टॉल पर 600 पंजीकृत समयदानियों ने सेवाएँ दीं, लेकिन श्री आलोक जी बताते हैं कि जिसने भी ज्ञानयज्ञ की इच्छा व्यक्त की, उसकी सेवाएँ ली गई। ज्ञानयज्ञ के लिए 2000 से अधिक कार्यकर्त्ता समर्पित रहे। जो पंजीकृत नहीं थे, उन्हें ज्ञानपट्ट गले में डालकर लोगों को युग साहित्य की जानकारी देने की और पुस्तक प्रदर्शनी, युगऋषि का जीवन दर्शन प्रदर्शनी तक लाने क जिम्मेदारी दी गई थी।
* ‘विचार क्रान्ति बुक्स’ के माध्यम से 5 स्थानों पर कियोस्क लगाए गए, जिनके माध्यम से लोग स्वत: विविध विषयों, पुस्तकों एवं मिशन की जानकारी प्राप्त करते रहे।
* शीघ्र बिलिंग के लिए विशेष सॉफ्टवेयर का प्रयोग किया गया, जो आगे भी विभिन्न कार्यक्रमों में बहुत उपयोगी सिद्ध होगा।