मेंहदी में खिले अश्वमेध महायज्ञ के रंग
अश्वमेध यज्ञ 21 से 25 फरवरी की तिथियों में सम्पन्न हुआ, लेकिन गायत्री परिवार से जुड़े लाखों श्रद्धालुओं ने महीनों
पहले से अपनी युग निर्माणी आस्थाओं की आहुतियाँ देना
आरंभ कर दिया था। श्रद्धा-समर्पण के अलग-अलग रंग
देखे गए। कोई गड्ढ़े खोद कर, सफाई कर आने वाले
श्रद्धालुओं की सुविधा बढ़ा रहा था, तो बहिनें गोबर से यज्ञशाला की लिपाई कर आयोजन स्थल में पवित्रता और दिव्यता का संचार कर रही थीं।
कुछ बहिनों ने तो अपने हाथों पर मेंहदी ही अश्वमेध महायज्ञ के रंग से रंग डाली। दोनों हाथों पर ‘प्रखर प्रज्ञा-सजल श्रद्धा’ के चित्र, गायत्री मंत्र, अश्वमेध का संदेश सहित अत्यंत आकर्षक मेंहदी रचाई गई थी।
हरीतिमा संवर्धन
यज्ञशाला व यज्ञ परिसर को तुलसी, केला, गेंदा एवं अन्य फूलों के पौधों से एवं कुण्डों को गेहूँ के जवारे से सजाया गया था। इनके माध्यम से प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया गया।